BilaspurChhattisgarhDurgRaipur

असुरक्षित दिव्यांग केंद्र: बच्चियों के साथ शराब के नशे में गलत काम चिंता का विषय

प्रदेश के अन्य जिलों में भी इस तरह की घटनाएं सामने आती रही हैं। कांकेर और राजनांदगांव में इसी तरह के मामलों में काफी हंगामा हो चुका है। तब सरकार की तरफ से सुरक्षित व्यवस्था विकसित करने की बात कही गई थी। प्रभारी के भरोसे दिव्यांग बच्चों को सौंप दिया गया था और संबंधित अधिकारी भी वहां नहीं रह रहे थे। केयर टेकर और चौकीदार ही पूरी व्यवस्था संभाल रहे थे, जिन्होंने शराब के नशे में बच्चियों के साथ दुष्कर्म और छेड़खानी की। ऐसे लोग, जिनकी वजह से दिव्यांग केंद्र में नौकरी पाने में कामयाब हुए थे, उन्हें भी गिरफ्तार कर कार्रवाई की जरूरत है। सवाल यह उठता है कि संबंधित अधिकारियों को क्यों नहीं पता था कि इतने संवेदनशील स्थान पर कार्यरत कर्मचारी शराब पीते हैं और आपराधिक प्रवृत्ति के हैं? क्या शराब पीने वालों की वहां नियुक्ति होनी चाहिए?

छत्तीसगढ़ के जशपुरनगर स्थित दिव्यांग आवासीय प्रशिक्षण केंद्र में किशोरियों के साथ दुष्कर्म और छेड़खानी के मामले में दो कर्मचारियों की गिरफ्तारी तथा महिला केयर टेकर के निलंबन के बाद राजीव गांधी शिक्षा मिशन के जिला समन्यवक भी सवालों के घेरे में हैं। 22 सितंबर की घटना को जिस तरह से तीन दिनों तक दबाने की कोशिश की गई, उससे पूरी व्यवस्था पर प्रश्नचिह्न खड़ा हो गया है।

विपक्षी दलों और स्थानीय लोगों के बढ़ते दबाव और विरोध-प्रदर्शनों के बीच प्रदेश सरकार ने सोमवार को जिलाधिकारी महादेव कावरे का स्थानांतरण कर दिया है। दूसरी तरफ दिव्यांग बच्चों के स्वजन उन्हें घर ले जाने के लिए दिव्यांग केंद्र पहुंच रहे हैं। शुरू में अधिकारियों ने पीड़ितों के स्वजन पर यह कहते हुए दबाव बनाने की कोशिश की थी कि ज्यादा विरोध करने पर केंद्र को ही बंद कर दिया जाएगा

सरकार की तरफ से एक बार फिर जांच और व्यवस्था में सुधार के लिए समीक्षा की बात की जा रही है, परंतु पिछली घटनाओं से सबक नहीं लिया जाना भविष्य में स्थिति सुधार की संभावनाओं को संदिग्ध ही बना रहा है। ऐसे केंद्रों पर तैनात किए जाने वाले कर्मचारियों की नियुक्ति में समझौतावादी प्रवृत्ति ही सबसे अधिक खतरनाक है। गिरफ्तार किए गए दोनों आरोपित अस्थायी कर्मचारी थे और प्राथमिक तौर पर स्पष्ट हो चुका है कि दिव्यांग केंद्र में उनकी नियुक्ति की प्रक्रिया में योग्यता एवं क्षमता के मानदंडों की भी उपेक्षा की गई

इसी तरह वर्ष 2019 से ऐसे व्यक्ति के पास केंद्र का प्रभार है, जिसे न तो दिव्यांग बच्चों की भाषा समझने का प्रशिक्षण प्राप्त है और न ही ऐसे केंद्र के संचालन का अनुभव। प्रदेश में संचालित अन्य केंद्रों में भी कमोबेश यही स्थिति है। जरूरत है कि व्यवस्था के लिए जिम्मेदार लोग आत्मावलोकन करें और इस मामले में ठोस नीति के तहत योग्य लोगों को ही केंद्रों की जिम्मेदारी सौंपे जाने की व्यवस्था सुनिश्चित करें

Show More

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button