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आदिवासी पहुंचे राजधानी….. ल, जमीन, जंगल को बचाने

जंगल व पर्यावरण को बचाने, अपनी आजीविका, संस्कृति और अस्तित्व को बचाने के लिए सैकड़ों आदिवासी परिवार 300 किमी पदयात्रा करके बुधवार को राजधानी पहुंचे। इस दौरान आदिवासियों ने अपनी मांगों को लेकर राजधानी के सड़कों पर जमकर नारेबाजी की। इधर, गुरुवार से बूढ़ा पारा धरना स्थल में आदिवासी धरना देकर देंगे। और अपनी मांगों को लेकर राज्यपाल और मुख्यमंत्री को ज्ञापन सौंपेंगे

बचाओ संघर्ष समिति के प्रमुख आलोक शुक्ला ने बताया कि हसदेव बचाओ पदयात्रा चार अक्टूबर से निकाली गई। कुल 10 दिन के बाद राजधानी पहुंचे। वहीं, आदिवासियों ने फतेहपुर (सरगुजा) से पदयात्रा की शुरूआत की थी। बता दें कि आदिवासियों का प्रमुख मांग हसेदव अरण्य क्षेत्र की सभी कोयला खनन परियोजना निरस्त करो। बिना ग्रामसभा सहमति के हसदेव अरण्य क्षेत्र में कोल बेयरिंग एक्ट 1957 के तहत किए गए सभी भूमि अधिग्रहण को तत्काल निरस्त करो

बुधवार को राजधानी में दाखिल हुए। इसके बाद बिरगांव के पास बैठक हुई। बैठक के बाद आदिवासियों ने दोपहर को राजधानी के आंबेडकर चौक के लिए निकले। जहां दोपहर लगभग तीन बजे आंबेडकर चौक पहुंचे। इस दौरान सड़क में कतार बद्ध से चले आदिवासियों ने अपनी मांग को लेकर जमकर नारेबाजी की। वहीं आंबेडकर चौक के पास लगभग एक घंटे रुककर प्रदर्शन किया है

गुरुवार को बूढ़ा पारा धरना स्थल में हसदेव अरण्य से आए हुए ग्रामवासी प्रदर्शन और सम्मेलन आयोजित करेंगे। आलोक शुक्ला ने बताया कि राज्यपाल और मुख्यमंत्री से मिलने के लिए समय मांगा है। वहीं राज्यपाल अनुसुईया उईके ने पदयात्रियों के एक दल से संवाद का समय दिया है

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