केंद्रीय मंत्री श्री सिंधिया भारत की अत्याधुनिक तकनीक से आकार लेगी मां रतनगढ़ सिंचाई परियोजना…
केंद्रीय नागरिक उड्डयन एवं इस्पात मंत्री श्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने कहा कि भारत की अत्याधुनिक तकनीक और वैज्ञानिक क्षमताओं का उपयोग कर “माँ रतनगढ़ बहुउद्देशीय सिंचाई परियोजना” कार्यान्वित की जा रही है। मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान द्वारा ग्वालियर एवं चंबल संभाग को सिंचाई परियोजना के रूप में दी गई यह क्रांतिकारी सौगात किसानों के जीवन में समृद्धि के नए आयाम जोड़ेगी। श्री सिंधिया शुक्रवार को मां रतनगढ़ बहुउद्देशीय सिंचाई परियोजना के तहत देवगढ़-बिलौआ नहर प्रणाली के पम्प हाउस-1 के निर्माण कार्य के शुभारंभ अवसर पर बोल रहे थे. केंद्रीय मंत्री श्री सिंधिया ने देवगढ़-बिलौआ नहर प्रणाली के तहत डबरा विकासखंड के बरकरी गांव के पास लगभग 272 करोड़ रुपये की लागत से बनने वाले पम्प स्टेशन के निर्माण कार्य की शुरुआत की है.
केन्द्रीय मंत्री श्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने कहा कि राज्य सरकार द्वारा लगभग 2245 करोड़ रुपये की लागत से स्वीकृत माँ रतनगढ़ बहुउद्देशीय सिंचाई परियोजना से ग्वालियर, भिण्ड एवं दतिया जिले के 215 गाँवों की 80 हजार हेक्टेयर से अधिक सिंचाई होती है। परियोजना के तहत 272 करोड़ रुपये की लागत से लागू होने वाली देवगढ़-बिलौआ योजना से डबरा विधानसभा क्षेत्र के 36 गांवों की करीब 19 हजार हेक्टेयर भूमि सिंचित होगी. श्री सिंधिया ने कहा कि यह अत्याधुनिक सिंचाई परियोजना पूरी तरह स्वचालित होगी। भूमिगत पाइपों के माध्यम से उच्च दबाव में सूक्ष्म सिंचाई पद्धति का उपयोग कर किसानों के खेतों तक पानी पहुंचता है। पंपों को एक कंप्यूटर सिस्टम द्वारा नियंत्रित किया जाएगा और इसे मोबाइल फोन से चालू और बंद भी किया जा सकता है। सिंचाई के साथ-साथ कीटनाशकों और उर्वरकों को पाइप और स्प्रिंकलर के माध्यम से फसलों में लगाया जा सकता है।
श्री सिंधिया ने कहा कि सिंधिया रियासत के समय बड़े माधौ महाराज ने ग्वालियर-चंबल संभाग में एशिया के सबसे बड़े मिट्टी के बांध हरसी और लगभग 790 छोटे-बड़े तालाबों के साथ तिघरा और पगारा जैसे प्रमुख बांधों का निर्माण कर सिंचाई सुविधाओं का जाल बिछाया था. था। श्री सिंधिया ने कहा कि प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने भारत का मान-सम्मान बढ़ाने और अन्नदाता के किसानों के जीवन में समृद्धि लाने के लिए किसान सम्मान निधि जैसी क्रांतिकारी योजनाओं की शुरुआत की है। किसान हितैषी कार्यक्रमों और खाद्यान्न देने वाले किसानों की कड़ी मेहनत के कारण भारत अब खाद्यान्न का आयातक न होकर निर्यातक देश बन गया है।