‘नई दिल्ली घोषणा’: अफगानिस्तान के शांतिपूर्ण हल की कोशिश करेगा ब्रिक्स
ब्रिक्स देशों की 13वीं शिखर बैठक गुरुवार को आयोजित हुई. ब्रिक्स देशों ने अफगानिस्तान संकट का शांतिपूर्ण समाधान निकालने पर जोर दिया. साथ ही कहा कि अफगानिस्तान की धरती आतंकियों के लए एक और पनाहगाह ना बने.
भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में ब्रिक्स की वर्चुअल बैठक आयोजित हुई. मोदी ने अपने भाषण की शुरुआत करते हुए कहा, “पिछले डेढ़ दशक में ब्रिक्स ने कई उपलब्धियां हासिल की हैं. आज हम विश्व की उभरती अर्थव्यवस्थाओं के लिए एक प्रभावकारी आवाज हैं. विकासशील देशों की प्राथमिकताओं पर ध्यान केंद्रित करने के लिए भी यह मंच उपयोगी रहा है.”
जो मुख्य बात मोदी ने कही वह आतंक के खिलाफ मिलकर लड़ने का आह्वान था. ब्राजील, रूस, भारत, चीन और दक्षिण अफ्रीका के नेताओं की वर्चुअल बैठक में मोदी ने कहा, “विश्व की प्रभावशाली अर्थव्यवस्थाओं के इस मंच ने आतंक-रोधी कार्ययोजना को मंजूरी दी है.” उन्होंने कहा, “हमें यह सुनिश्चित करना है कि ब्रिक्स अगले 15 वर्षों में और परिणामदायी हो.”
अफगानिस्तान की स्थिति का जिक्र
ब्रिक्स की बैठक के अंत में “नई दिल्ली घोषणा” पत्र जारी हुआ. घोषणा पत्र में कहा गया कि ब्रिक्स नेताओं ने समावेशी अंतर वार्ता की मांग की. नेताओं ने कहा हम अफगानिस्तान में हिंसा से बचने और शांति के साथ स्थिति से निपटने की अपील करते हैं.
ब्रिक्स नेताओं ने कहा, “अफगानिस्तान में राजनीतिक स्थिरता, नागरिक शांति, कानून और व्यवस्था सुनिश्चित करने के लिए एक समावेशी अंतर अफगान वार्ता को बढ़ावा देने में योगदान की जरूरत पर जोर देते हैं.”
बैठक के अंत में अपनाई गई “नई दिल्ली घोषणा” ने भी “मानवीय स्थिति को संबोधित करने और महिलाओं, बच्चों और अल्पसंख्यकों समेत सभी के मानवाधिकारों की रक्षा” की जरूरत पर जोर दिया गया.
“आतंक के लिए ना हो जमीन का इस्तेमाल”
15 अगस्त को काबुल पर तालिबान के कब्जे के बाद “नई दिल्ली घोषणा” पहला बयान था. अफगानिस्तान में तालिबान की सरकार बनने के बाद यह ब्रिक्स की पहली बैठक थी. मोदी ने अपने शुरुआती भाषण और खुले सत्र में अफगानिस्तान का जिक्र नहीं किया. बाद में सभी देशों की आपसी चर्चा में मोदी ने अफगानिस्तान पर चिंता जाहिर की.
रूसी राष्ट्रपति व्लादीमीर पुतिन ने बैठक में कहा कि अफगानिस्तान में मौजूदा संकट देश पर ‘बाहर से विदेशी मूल्यों को थोपने की गैर-जिम्मेदाराना कोशिशों’ का प्रत्यक्ष परिणाम है. शिखर सम्मेलन में अफगानिस्तान का मुद्दा उठाते हुए पुतिन ने कहा कि अफगानिस्तान से अमेरिकी सेना और उसके सहयोगियों की वापसी से एक “नया संकट” पैदा हुआ है और ब्रिक्स देशों को वहां की स्थिति पर विशेष ध्यान देना होगा.
उन्होंने कहा अफगानिस्तान को “अपने पड़ोसी देशों के लिए खतरा, ड्रग्स की तस्करी और आतंकवाद का स्रोत” नहीं बनना चाहिए. साथ ही उन्होंने कहा, “उसके नागरिकों को यह परिभाषित करने का अधिकार होना चाहिए कि उनका देश कैसा दिखेगा.”