प्रशासन की पहल से अब जाति प्रमाण पत्र बनवाने के लिए कार्यालय के चक्कर नहीं लगाने पड़ेंगे..
दंतेवाड़ा जिले के स्कूलों में पढ़ने वाले उन बच्चों को राहत मिली है जो पहले जाति प्रमाण पत्र के लिए पटवारी, तहसील कार्यालयों के चक्कर लगाते थे. कई परिवार ऐसे भी रहे हैं जो समय की अधिकता एवं बार-बार कार्यालयों के चक्कर लगाने के कारण जाति प्रमाण पत्र बनवाने में झिझकते थे, लेकिन कलेक्टर श्री विनीत नंदनवार के निर्देशन एवं मार्गदर्शन में जिले में जाति प्रमाण पत्र बनवाने का कार्य चल रहा है. जिले को प्राथमिकता जिले में शत प्रतिशत जाति प्रमाण बनाने का लक्ष्य रखा गया है। जिसमें 20 हजार 261 स्कूली बच्चों के जाति प्रमाण पत्र बनाए जाने थे। अब तक 18 हजार 367 विद्यार्थियों को जाति प्रमाण पत्र बांटे जा चुके हैं। एक समय था जब माता-पिता और छात्रों को जाति प्रमाण पत्र बनवाना मुश्किल काम लगता था। लेकिन जिला प्रशासन की कोशिशों ने उनकी समस्याओं का समाधान कर राह आसान कर दी।
जाति प्रमाण पत्र बन जाने से विद्यार्थी सरकार की महत्वपूर्ण योजनाओं का लाभ आसानी से उठा सकेंगे। कलेक्टर श्री नंदनवार द्वारा समय-समय पर एसडीएम, तहसीलदारों को निर्देशित किया गया कि वे स्कूली छात्रों के जाति प्रमाण पत्र बनवायें, स्वयं प्राप्त आवेदनों के आधार पर समीक्षा भी करें. कलेक्टर श्री नंदनवार ने अन्य नियमित कार्यों को समय पर पूरा करने के साथ ही स्कूली छात्रों के हित में जाति प्रमाण पत्र बनाने के कार्य को भी प्राथमिकता दी, जिसके परिणाम स्वरूप आज 18 हजार से अधिक बच्चों के जाति प्रमाण पत्र बनाकर वितरित किये जा चुके हैं. चुका है।
राज्य के मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल द्वारा अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति जैसे अन्य वर्गों के लिए विभिन्न योजनाएँ संचालित की जाती है, जाति प्रमाण पत्र प्राप्त होने पर बच्चे समय पर छात्रवृत्ति प्राप्त कर सकेंगे, साथ ही वे आसानी से लाभ उठा सकेंगे राज्य सरकार की अन्य योजनाओं के पहले जहां जाति प्रमाण पत्र बनवाने के लिए बच्चों को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ता था, जिससे जिले के बच्चे जाति प्रमाण पत्र के अभाव में सरकार की कई योजनाओं से वंचित रह जाते थे. प्रशासन की पहल से स्कूली छात्रों के लिए जाति प्रमाण पत्र बनवाना आसान हो गया है. जिससे इस योजना का लाभ विशेष रूप से उन विद्यार्थियों एवं अभिभावकों को मिला है जो दूर-दराज के क्षेत्रों में रहते हैं और जिन्हें आवागमन के सीमित संसाधनों के बीच जाति प्रमाण पत्र के लिए कार्यालयों के चक्कर लगाने पड़ते थे. दंतेवाड़ा जिला प्रशासन द्वारा की गई इस पहल से विद्यार्थियों और उनके अभिभावकों को दफ्तरों के चक्कर नहीं काटने पड़ेंगे.