बच्चों को खून के कैंसर का खतरा, कई गंभीर स्थिति में जबलपुर SCI से मिली जानकारी
जबलपुर: पिछले एक साल में नेताजी सुभाष चंद्र बोस मेडिकल कॉलेज के राज्य कैंसर संस्थान (SCI) में 180 बच्चे कैंसर से पीड़ित भर्ती हुए। इनमें से ज्यादातर बच्चे खून के कैंसर से ग्रस्त थे। इन बच्चों में से लगभग 51 प्रतिशत, यानी 92 बच्चे, खून के कैंसर से पीड़ित पाए गए। कुछ बच्चों की स्थिति गंभीर थी, लेकिन बेहतर इलाज के कारण गंभीर खतरे से बचना संभव हुआ। बाकी बच्चों में अन्य प्रकार के कैंसर का भी पता चला। कुछ बच्चों में नेरोब्लास्टोमा ट्यूमर जैसी गंभीर बीमारियों के मामले देखे गए। राज्य कैंसर संस्थान में इलाज के लिए न केवल महाकौशल क्षेत्र से, बल्कि मध्य प्रदेश के विभिन्न जिलों से भी कैंसर के मरीज आते हैं। यहां उन्हें मुफ्त इलाज का फायदा मिल रहा है। ज्यादातर बच्चे गंभीर हालत में पहुंचते हैं जो बच्चे कैंसर से पीड़ित होते हैं, वे अक्सर SCI में गंभीर हालत में पहुंचते हैं। इससे पहले उनके रिश्तेदार इन बच्चों का इलाज स्थानीय अस्पतालों में कराते हैं। जब मामला बिगड़ जाता है, तब ही मरीज SCI में पहुंचता है। कई मामलों में ऐसा होने में काफी देर भी हो जाती है। SCI की ओपीडी में हर दिन 300 से ज्यादा मरीज इलाज के लिए आते हैं। इनमें से कई मामलों में उम्रदराज बच्चों में स्टेज वन या टू कैंसर के लक्षण जांच में सामने आते हैं। इस स्टेज में मरीज को ठीक करना आसान होता है। खून के कैंसर का कोई स्टेज नहीं होता पिछले साल 2024 में, कैंसर से पीड़ित 180 बच्चे अपने रिश्तेदारों के साथ SCI में भर्ती हुए। इनमें से 92 बच्चों को खून के कैंसर का पता चला। इसके अलावा, कुछ बच्चे गंभीर बीमारियों, मस्तिष्क के ट्यूमर और अन्य प्रकार के कैंसर से भी पीड़ित थे। पिछले साल, छह महीने से लेकर 19 साल की उम्र के बच्चों ने SCI में इलाज कराया। यह जानना जरूरी है कि खून का कैंसर एक ऐसी बीमारी है जिसका कोई चरण नहीं होता। इसके लिए उच्च जोखिम में होना या जोखिम से बाहर होना महत्वपूर्ण है।
केस-1: नमामी, जिसे खून का कैंसर और दिल में छिद्र है सागर की डेढ़ साल की नमामी को खून का कैंसर है और उसके दिल में छिद्र है। इस छिद्र के कारण उसे सांस लेने में दिक्कत हो रही थी। कई जगह इलाज कराने के बाद, परिवार ने उसे राज्य कैंसर संस्थान में लाया। उस समय उसकी स्थिति गंभीर थी, लेकिन छह महीने के नियमित इलाज के बाद, डॉक्टरों ने उसे उच्च जोखिम से बाहर निकाल लिया है। दिलचस्प बात यह है कि नमामी के माता-पिता और परिवार में आज तक किसी को भी ऐसी बीमारी नहीं रही। नमामी अपने उम्र के बच्चों के लिए एक उदाहरण है कि गंभीर बीमारी से जूझने के बाद वह धीरे-धीरे ठीक हो रही है और डॉक्टरों और नर्सों की मदद भी कर रही है। केस-2: तानु, जो उन्नत कैंसर की बीमारी से पीड़ित है और लक्षित उपचार से ठीक हुई जब रीवा की तानु (दो साल) को इलाज के लिए राज्य कैंसर संस्थान लाया गया, तब वह उन्नत कैंसर बीमारी से पीड़ित थी। उसे लक्षित उपचार दिया गया और अब वह उच्च जोखिम से बाहर आ गई है। तानु के मामले में कीमोथेरेपी नहीं दी गई।तानु के मामले में भी, परिवार के सदस्यों ने पहले उसका इलाज रीवा में कराया। इसके बाद, वे उसका इलाज नागपुर और भोपाल में कराने गए, लेकिन उसकी बीमारी का सही पता नहीं चल सका। अंत में, परिवार ने तानु को राज्य कैंसर संस्थान में लाया। लगभग चार महीने तक लगातार इलाज के बाद, डॉक्टरों ने उसे उच्च जोखिम से बाहर निकालने में सफलता हासिल की। अब वह पहले से बेहतर है।