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क्या मोदी का महाकुंभ स्नान दिल्ली की सियासत में लाएगा नया मोड़?

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पीएम मोदी का महाकुंभ स्नान: आस्था या चुनावी रणनीति? दिल्ली विधानसभा चुनाव के बीच प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने प्रयागराज में महाकुंभ के दौरान संगम में आस्था की डुबकी लगाई। यह सिर्फ एक धार्मिक यात्रा नहीं, बल्कि इसे एक सधी हुई चुनावी रणनीति के रूप में भी देखा जा रहा है। सवाल यह उठता है कि क्या मोदी के तीर्थ दर्शन का चुनावी सफलता से कोई सीधा संबंध है? आइए, इस पैटर्न को समझने की कोशिश करते हैं।

मोदी की तीर्थ यात्राएं और चुनावी सफलता का संयोग

1. लोकसभा चुनाव 2024 और विवेकानंद रॉक मेमोरियल

📅 1 जून 2024 – लोकसभा चुनाव के अंतिम चरण से ठीक पहले मोदी ने कन्याकुमारी में 45 घंटे की साधना की।
नतीजा: बीजेपी को 240 सीटें मिलीं और एनडीए के साथ तीसरी बार सरकार बनाई।

2. अयोध्या राम मंदिर और यूपी में बीजेपी की बढ़त

📅 7 मई 2024 – तीसरे चरण की वोटिंग से दो दिन पहले मोदी ने अयोध्या में पूजा और रोड शो किया।
नतीजा: यूपी में 94 में से 57 सीटें बीजेपी को मिलीं।

3. हरियाणा चुनाव 2024 और जगदंबा माता मंदिर

📅 5 अक्टूबर 2024 – हरियाणा में मतदान के दिन मोदी ने महाराष्ट्र के वाशिम जिले में मंदिर में पूजा की।
नतीजा: बीजेपी ने 90 में से 48 सीटें जीतकर तीसरी बार सरकार बनाई।

4. पश्चिम बंगाल-असम चुनाव 2021 और बांग्लादेश यात्रा

📅 27 मार्च 2021 – बंगाल और असम में पहले चरण की वोटिंग के दिन मोदी बांग्लादेश में यशोश्वरी शक्ति पीठ पहुंचे।
नतीजा: बंगाल में 77 सीटें, असम में बीजेपी की दोबारा सरकार।

5. लोकसभा चुनाव 2019 और केदारनाथ की साधना

📅 19 मई 2019 – आखिरी चरण की वोटिंग से ठीक पहले मोदी केदारनाथ पहुंचे और 17 घंटे की गुफा साधना की।
नतीजा: बीजेपी ने रिकॉर्ड 303 सीटें जीतकर दोबारा सरकार बनाई।

6. गुजरात चुनाव 2017 और अम्बाजी मंदिर

📅 12 दिसंबर 2017 – गुजरात विधानसभा चुनाव के बीच मोदी अम्बाजी मंदिर पहुंचे।
नतीजा: बीजेपी ने लगातार आठवीं बार सरकार बनाई।

7. यूपी विधानसभा चुनाव 2017 और सोमनाथ मंदिर

📅 8 मार्च 2017 – यूपी चुनाव के आखिरी चरण में मोदी सोमनाथ मंदिर में पूजा कर रहे थे।
नतीजा: बीजेपी ने 403 में से 312 सीटें जीतकर योगी आदित्यनाथ को सीएम बनाया।

दिल्ली चुनाव और महाकुंभ स्नान – संयोग या रणनीति?

दिल्ली चुनाव के दिन मोदी प्रयागराज में संगम स्नान कर रहे हैं। इसे सिर्फ आध्यात्मिक यात्रा मानना शायद सही नहीं होगा, क्योंकि इसके पीछे एक सोची-समझी रणनीति भी दिखती है।

धार्मिक छवि को मजबूत करना – मोदी की हर तीर्थ यात्रा उन्हें हिंदू आस्था का बड़ा चेहरा बनाती है।
हिंदू वोटर्स को साधना – दिल्ली में बीजेपी का हिंदू वोट बैंक महाकुंभ स्नान के जरिए और मजबूत किया जा सकता है।
चुनावी माहौल बनाना – केदारनाथ, कन्याकुमारी, अयोध्या, सोमनाथ… हर बार मोदी की तीर्थ यात्रा बीजेपी की जीत के साथ जुड़ी रही है।

क्या महाकुंभ स्नान से दिल्ली में बीजेपी को फायदा होगा?

अब तक मोदी की ‘तीर्थ यात्रा चुनावी स्ट्राइक रेट’ 75% रहा है। जब भी मोदी किसी बड़े धार्मिक स्थल पर गए हैं, पार्टी को शानदार जीत मिली है। दिल्ली में यह फॉर्मूला कितना कारगर होगा, यह तो नतीजों से ही पता चलेगा। लेकिन इतना तय है कि मोदी की महाकुंभ डुबकी सिर्फ धार्मिक आस्था तक सीमित नहीं, बल्कि यह बीजेपी की चुनावी रणनीति का अहम हिस्सा भी है।

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