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यूक्रेन की NATO सदस्यता पर अमेरिका ने लगाया ब्रेक, युद्ध विराम की ओर इशारा

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अमेरिकी रक्षा मंत्री का बयान: यूक्रेन की NATO सदस्यता असंभव, शांति समझौते पर जोर

अमेरिकी रक्षा मंत्री पीट हेगसेथ ने बुधवार को कहा कि यूक्रेन का NATO का सदस्य बनना व्यावहारिक नहीं है। उन्होंने सुझाव दिया कि कीव को अपनी सभी खोई हुई जमीन वापस पाने की उम्मीद छोड़ देनी चाहिए और इसके बजाय अंतरराष्ट्रीय सैनिकों की मदद से एक शांति समझौते के लिए तैयार रहना चाहिए। इसके कुछ घंटों बाद, अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने खुलासा किया कि उन्होंने रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के साथ बातचीत की है और दोनों नेता यूक्रेन युद्ध खत्म करने के लिए वार्ता शुरू करने पर सहमत हुए हैं। ट्रंप ने सोशल मीडिया पोस्ट में कहा कि वे “बहुत करीब से मिलकर काम करेंगे।”

युद्ध पर अमेरिका की बदली रणनीति

NATO मुख्यालय में सहयोगी देशों के साथ बैठक में हेगसेथ ने इशारा किया कि ट्रंप चाहते हैं कि यूक्रेन की सुरक्षा के लिए यूरोपीय देश आगे आएं और आर्थिक व सैन्य जिम्मेदारियों को निभाएं। इस योजना के तहत अमेरिका किसी भी शांति सेना में अपने सैनिकों को शामिल नहीं करेगा। हेगसेथ ने साफ किया कि अगर यूक्रेन में कोई शांति सेना भेजी जाती है, तो वह NATO के अनुच्छेद 5 के तहत सुरक्षा गारंटी का हिस्सा नहीं होगी। इसका मतलब यह होगा कि अगर इन शांति सैनिकों पर हमला होता है, तो NATO के 32 सदस्य देशों में से किसी को भी सैन्य प्रतिक्रिया देने की बाध्यता नहीं होगी।

यूक्रेन को अपने सभी क्षेत्र वापस पाने की उम्मीद छोड़नी होगी?

हेगसेथ ने यह भी कहा कि यूक्रेन के पश्चिमी समर्थकों को यह “भ्रम” छोड़ देना चाहिए कि देश को 2014 से पहले की सीमाएं वापस मिल जाएंगी। उन्होंने NATO सहयोगियों से अपील की कि वे यूक्रेन को अत्यधिक सैन्य सहायता देने के बजाय अब एक व्यावहारिक समाधान की ओर बढ़ें।

ब्रिटेन ने किया समर्थन, नई सैन्य सहायता का ऐलान

बैठक के बाद, ब्रिटेन के रक्षा मंत्री जॉन हीली ने कहा कि हेगसेथ के बयान को हल्के में नहीं लिया जाएगा। उन्होंने दोहराया कि “यूक्रेन का सही स्थान NATO में ही है, लेकिन यह एक लंबी प्रक्रिया होगी।” ब्रिटेन ने यूक्रेन के लिए 187 मिलियन डॉलर की नई सैन्य सहायता देने की घोषणा की, जिसमें ड्रोन, टैंक और वायु रक्षा प्रणाली शामिल हैं।

यूक्रेन को लेकर अमेरिका-यूरोप के बीच बढ़ते मतभेद

पिछले तीन वर्षों में अमेरिका और उसके सहयोगियों ने यूक्रेन को 126 बिलियन डॉलर से अधिक की सैन्य सहायता दी है, जिसमें अकेले अमेरिका का योगदान 66.5 बिलियन डॉलर रहा है। लेकिन ट्रंप प्रशासन अब चाहता है कि यूरोप इस युद्ध की जिम्मेदारी अधिक उठाए। हेगसेथ ने जोर देकर कहा कि यूरोप को अब यूक्रेन की सैन्य मदद का मुख्य भार उठाना होगा। फिलहाल, यूक्रेन की रक्षा जरूरतों का लगभग 30% योगदान अमेरिका और 30% योगदान यूरोप से आता है, बाकी हथियार और संसाधन यूक्रेन खुद तैयार करता है।

ट्रंप प्रशासन की नई नीति और NATO सहयोगियों की चिंता

हेगसेथ की यात्रा ऐसे समय हो रही है जब रूस-यूक्रेन युद्ध को तीन साल पूरे होने वाले हैं। अमेरिका के कई सहयोगियों को चिंता है कि अगर पुतिन को यूक्रेन में जीत मिलती है, तो वह यहीं नहीं रुकेंगे। ट्रंप ने यह भी संकेत दिया है कि युद्ध जल्द खत्म करने के लिए यूक्रेन को अमेरिकी समर्थन के बदले अपनी प्राकृतिक संपत्तियों और ऊर्जा संसाधनों तक पहुंच देने पर विचार करना चाहिए।

क्या रूस बातचीत के लिए राज़ी होगा?

NATO महासचिव मार्क रूटे ने कहा कि रूस तभी शांति समझौते के लिए तैयार होगा, जब यूक्रेन को लगातार हथियार और समर्थन मिलता रहेगा। उन्होंने कहा, “हमें पुतिन को यह संदेश देना होगा कि हम यूक्रेन का साथ नहीं छोड़ेंगे।” इस बीच, हेगसेथ ने यूरोपीय देशों से रक्षा बजट को GDP के 5% तक बढ़ाने की अपील की। हालांकि, वर्तमान में अमेरिका भी इस स्तर तक खर्च नहीं कर रहा है।

नतीजा क्या होगा?

हेगसेथ की इस नई रणनीति से यूक्रेन के लिए हालात और मुश्किल हो सकते हैं। अमेरिका की बदली नीति के कारण यूरोपीय देशों पर दबाव बढ़ सकता है, और इस बीच रूस की रणनीति भी आक्रामक हो सकती है। आने वाले हफ्तों में यह देखना दिलचस्प होगा कि यूक्रेन, अमेरिका और यूरोप के बीच आगे क्या फैसला होता है।

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