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गंगा जल प्रदूषण की चपेट में, संगम में स्नान करना हो सकता है खतरनाक

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त्रिवेणी संगम का गंगाजल स्नान के लिए सुरक्षित नहीं, पानी की गुणवत्ता मानकों से बाहर

महा कुंभ के दौरान हर दिन लाखों श्रद्धालु त्रिवेणी संगम में आस्था की डुबकी लगा रहे हैं, लेकिन सरकारी आंकड़ों के मुताबिक, फिलहाल संगम का गंगाजल स्नान के लिए पूरी तरह सुरक्षित नहीं है। पानी में जैविक ऑक्सीजन मांग (BOD) का स्तर निर्धारित सीमा से अधिक पाया गया है, जिससे इसकी गुणवत्ता पर सवाल खड़े हो रहे हैं। BOD (Biological Oxygen Demand) वह मात्रा होती है, जो पानी में मौजूद सूक्ष्म जीवों द्वारा कार्बनिक पदार्थों को विघटित करने के लिए आवश्यक होती है। यदि पानी में BOD का स्तर 3 मिलीग्राम प्रति लीटर से कम होता है, तो उसे स्नान योग्य माना जाता है। लेकिन संगम में यह सीमा पार कर चुकी है।

बढ़ा हुआ BOD स्तर

सरकारी रिपोर्ट के अनुसार, 16 जनवरी की सुबह 5 बजे संगम का BOD स्तर 5.09 मिलीग्राम प्रति लीटर था। 18 जनवरी को शाम 5 बजे यह 4.6 मिलीग्राम प्रति लीटर दर्ज किया गया, जबकि 19 जनवरी की सुबह 8 बजे बढ़कर 5.29 मिलीग्राम प्रति लीटर हो गया। केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (CPCB) के आंकड़ों के मुताबिक, 13 जनवरी को जब महा कुंभ शुरू हुआ, तब संगम में BOD स्तर 3.94 मिलीग्राम प्रति लीटर था। हालांकि, मकर संक्रांति (14 जनवरी) पर यह सुधरकर 2.28 मिलीग्राम प्रति लीटर हो गया और 15 जनवरी को 1 मिलीग्राम प्रति लीटर तक गिर गया। लेकिन 24 जनवरी को यह फिर से 4.08 मिलीग्राम प्रति लीटर और मौनी अमावस्या (29 जनवरी) को 3.26 मिलीग्राम प्रति लीटर दर्ज किया गया। CPCB ने 3 फरवरी को राष्ट्रीय हरित अधिकरण (NGT) को सौंपी अपनी रिपोर्ट में कहा कि 12-13 जनवरी को प्रयागराज के अधिकांश स्थानों पर गंगाजल स्नान मानकों को पूरा नहीं कर रहा था। हालांकि, 13 जनवरी के बाद पानी की गुणवत्ता में कुछ सुधार हुआ।

पानी की गुणवत्ता सुधारने के प्रयास

उत्तर प्रदेश सरकार के अधिकारियों के अनुसार, गंगा में 10,000 से 11,000 क्यूसेक पानी छोड़ा जा रहा है ताकि इसकी गुणवत्ता स्नान योग्य बनी रहे। 13 जनवरी से शुरू हुआ महा कुंभ 26 फरवरी, महा शिवरात्रि के दिन समाप्त होगा। अब तक 54 करोड़ से अधिक श्रद्धालु त्रिवेणी संगम में स्नान कर चुके हैं। महाकुंभ नगर, जो दुनिया का सबसे बड़ा अस्थायी शहर है, किसी भी समय 50 लाख से 1 करोड़ भक्तों को आश्रय देने की क्षमता रखता है।

स्वच्छता व्यवस्था में बड़ा बदलाव

हर दिन कुंभ में आने वाले श्रद्धालु लगभग 16 मिलियन लीटर मलमूत्र और 240 मिलियन लीटर गंदे पानी (रसोई, स्नान, कपड़े धोने आदि से) का उत्पादन कर रहे हैं। उत्तर प्रदेश के मुख्य सचिव मनोज कुमार सिंह ने बताया कि 2019 के अर्धकुंभ के बाद से गंगा की सफाई और स्वच्छता में बड़ा सुधार किया गया है। पहले कुंभ मेले में खुले में शौच की समस्या थी, लेकिन 2019 में पहली बार 1.14 लाख शौचालय बनाए गए। इस बार 1.5 लाख शौचालय और दो मल प्रबंधन संयंत्र (Faecal Sludge Treatment Plants) भी बनाए गए हैं। इसके अलावा, 200 किमी लंबी

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