ट्रंप सरकार का बड़ा फैसला: USAID के हजारों कर्मचारियों की नौकरी पर संकट

ट्रंप प्रशासन का बड़ा फैसला: USAID के हजारों कर्मचारी छुट्टी पर, 2,000 नौकरियां खत्म
वाशिंगटन: ट्रंप प्रशासन ने रविवार को एक बड़ा कदम उठाते हुए अमेरिका की अंतरराष्ट्रीय विकास एजेंसी (USAID) के अधिकांश कर्मचारियों को अनिश्चितकालीन छुट्टी पर भेजने का आदेश दिया। इसके अलावा, अमेरिका में काम कर रहे 2,000 कर्मचारियों की नौकरियां भी खत्म कर दी गई हैं। यह फैसला राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और उनके सहयोगी एलन मस्क की उस नीति का हिस्सा है, जिसका मकसद सरकारी एजेंसियों का आकार घटाना और छह दशक पुरानी इस विकास एजेंसी को लगभग बंद कर देना है।
न्यायालय ने दी मंजूरी, USAID पर गिरी गाज
यह निर्णय शुक्रवार को आए एक अदालती फैसले के बाद लागू किया गया, जिसमें एक संघीय न्यायाधीश ने सरकार को USAID के हजारों कर्मचारियों को हटाने की अनुमति दे दी।
यूएस डिस्ट्रिक्ट जज कार्ल निकोल्स ने कर्मचारियों की याचिका को खारिज कर दिया, जिसमें उन्होंने सरकार से इस फैसले पर अस्थायी रोक लगाने की मांग की थी। USAID कर्मचारियों को भेजे गए नोटिस में कहा गया:
“रविवार, 23 फरवरी 2025, रात 11:59 बजे से सभी प्रत्यक्ष नियुक्त कर्मचारियों को छुट्टी पर भेजा जाएगा। केवल कुछ महत्वपूर्ण कार्यों, मुख्य नेतृत्व और विशेष कार्यक्रमों से जुड़े कर्मियों को ही कार्य जारी रखने की अनुमति होगी।”
USAID में 2,000 पदों की कटौती, वाशिंगटन ऑफिस बंद
इस फैसले के तहत, वाशिंगटन स्थित कार्यालयों में काम करने वाले कई कर्मचारी जो छुट्टी पर भेजे जा रहे हैं, जल्द ही अपनी नौकरियां भी खो देंगे। USAID के उप-प्रशासक पीट मैरोको, जिन्हें ट्रंप ने नियुक्त किया था, ने कहा कि 600 कर्मचारियों को फिलहाल काम पर रखा जाएगा। इनका मुख्य काम विदेशों में काम कर रहे कर्मचारियों और उनके परिवारों की यात्रा प्रबंधित करना होगा। इस बीच, USAID और स्टेट डिपार्टमेंट ने इस मुद्दे पर कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं दी है।
USAID को खत्म करने की मुहिम तेज, हजारों विकास कार्यक्रम बंद
ट्रंप प्रशासन पिछले कुछ महीनों से USAID को धीरे-धीरे खत्म करने की योजना पर काम कर रहा था।
✅ USAID का मुख्यालय बंद कर दिया गया
✅ विदेशों में चल रहे हजारों सहायता और विकास कार्यक्रमों को रोका गया
✅ विदेशी वित्त पोषण पर रोक लगाने की कोशिश
ट्रंप और मस्क का मानना है कि USAID का काम बेकार है और यह लिबरल अजेंडे को बढ़ावा देता है।
सरकारी कर्मचारी संघ और ठेकेदारों की ओर से कानूनी चुनौती
USAID को बंद करने के इस फैसले को लेकर कई सरकारी कर्मचारियों के संघों और ठेकेदारों ने कानूनी लड़ाई छेड़ दी है।
उनका तर्क है कि सरकार के पास स्वतंत्र एजेंसी को खत्म करने का संवैधानिक अधिकार नहीं है, खासकर तब जब इसके लिए कांग्रेस से बजट मंजूरी मिली हो।
अमेरिकी विदेश नीति पर असर?
USAID का उद्देश्य विदेशों में स्थिरता लाना, अर्थव्यवस्थाओं को मजबूत करना और अंतरराष्ट्रीय सहयोग बढ़ाना रहा है। दशकों से अमेरिका की नीति रही है कि विकास कार्य राष्ट्रीय सुरक्षा का अहम हिस्सा हैं। लेकिन ट्रंप प्रशासन के इस फैसले से यह नीति पूरी तरह बदलती दिख रही है।
बिना नाम की छंटनी, बेरोजगारी भत्ते पर असर
AP को मिली जानकारी के मुताबिक, सैकड़ों USAID ठेकेदारों को बिना नाम वाला टर्मिनेशन लेटर भेजा गया।
इससे नौकरी गंवाने वाले कर्मचारी बेरोजगारी भत्ता पाने में दिक्कतों का सामना कर सकते हैं।
न्यायालय ने विदेशी फंडिंग पर रोक हटाई
USAID से जुड़ी एक दूसरी कानूनी लड़ाई में एक अन्य संघीय न्यायाधीश ने हाल ही में प्रशासन को आदेश दिया कि वह विदेशों में रोकी गई फंडिंग को बहाल करे। हालांकि, ट्रंप प्रशासन ने अभी तक इस आदेश का पूरी तरह पालन नहीं किया और अंतरराष्ट्रीय सहायता कार्यक्रमों पर रोक जारी रखी है।
आगे क्या?
USAID के कर्मचारियों और कानूनी विशेषज्ञों का कहना है कि यह मामला अभी लंबा चलेगा और इसके अमेरिकी विदेश नीति और सरकारी एजेंसियों के भविष्य पर गहरा असर पड़ सकता है।