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“केंद्र सरकार तमिल भाषा से नहीं, वोटों से प्यार करती है” – सीएम स्टालिन

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तमिल भाषा को लेकर केंद्र पर बरसे सीएम स्टालिन, बीजेपी सरकार पर लगाए पक्षपात के आरोप

तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एम. के. स्टालिन ने बुधवार को केंद्र की बीजेपी सरकार पर तमिल भाषा को लेकर सिर्फ दिखावटी समर्थन देने और इसे महज़ वोट के लिए इस्तेमाल करने का आरोप लगाया। उन्होंने केंद्र की सत्ताधारी पार्टी को तमिल भाषा का “दुश्मन” करार दिया। डीएमके कार्यकर्ताओं को लिखे पत्र में, स्टालिन ने “हिंदी थोपने के खिलाफ सदैव विरोध” विषय पर अपनी श्रृंखला के तहत डीएमके संस्थापक सी. एन. अन्नादुरई के विचारों को याद किया। उन्होंने कहा कि दशकों पहले अन्ना ने स्पष्ट किया था कि डीएमके का उद्देश्य हिंदी का विरोध करना नहीं, बल्कि तमिल सहित अन्य भारतीय भाषाओं को समान दर्जा दिलाना है।

स्टालिन ने आरोप लगाया कि बीजेपी यह दावा करती है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी तमिल भाषा का सम्मान करते हैं और तीन-भाषा फॉर्मूला राज्यों की भाषाओं को बढ़ावा देने के लिए है, लेकिन केंद्र सरकार द्वारा तमिल और संस्कृत के लिए आवंटित फंड का अंतर दिखाता है कि वे वास्तव में तमिल के “दुश्मन” हैं।

संस्कृत को मिल रहा ज्यादा बजट, तमिल को नजरअंदाज करने का आरोप

केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार, 2014 से 2023 के बीच केंद्र सरकार ने केंद्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय और राष्ट्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय को कुल ₹2,435 करोड़ का बजट आवंटित किया, जबकि इसी अवधि में केंद्रीय शास्त्रीय तमिल संस्थान को मात्र ₹167 करोड़ ही मिले। स्टालिन ने कहा कि हिंदी और संस्कृत को बढ़ावा देने के लिए फंड कई गुना बढ़ा दिया गया है, जबकि तमिल के साथ सौतेला व्यवहार किया जा रहा है। उन्होंने आरोप लगाया कि केंद्र सरकार पूरी तरह से भाषाई वर्चस्व की मानसिकता से काम कर रही है और केवल वोट के लिए तमिल भाषा को सम्मान देने की बात करती है।

तमिलनाडु के साथ अन्याय करने का आरोप

सीएम स्टालिन ने कहा कि बीजेपी सरकार तमिलनाडु के साथ दोहरा अन्याय कर रही है—एक ओर राज्य को मिलने वाले फंड रोक रही है और दूसरी ओर तमिल भाषा के विकास के लिए भी जरूरी बजट नहीं दे रही। उन्होंने आरोप लगाया कि हिंदी और संस्कृत जैसी “प्रधानता वाली भाषाओं” के माध्यम से केंद्र तमिल और अन्य राज्यों की भाषाओं को “खत्म” करना चाहता है। डीएमके प्रमुख ने कहा कि दुनिया के इतिहास से यह स्पष्ट है कि जबरन किसी भाषा को थोपने के गंभीर परिणाम होते हैं।

“तमिल समेत सभी भारतीय भाषाएं राष्ट्रीय भाषा”

स्टालिन ने कहा कि संविधान की 8वीं अनुसूची में सूचीबद्ध तमिल समेत सभी भारतीय भाषाएं भारत की राष्ट्रीय भाषाएं हैं। लेकिन अगर केवल हिंदी को राष्ट्रीय भाषा के रूप में प्रचारित किया जाता है, तो यह भाषाई वर्चस्व का प्रतीक है। उन्होंने कहा कि संस्कृत को भारत की मूल भाषा बताने की कोशिश “हमारे अस्तित्व को गुलामी की ओर धकेलने” जैसा है। अगर संस्कृत को जड़ों की भाषा माना जाए, तो इसका मतलब यह होगा कि बाकी सभी भाषाएं उसी से निकली हैं। स्टालिन ने कहा कि प्रसिद्ध भाषाविद् रॉबर्ट काल्डवेल ने 175 साल पहले अपने शोध के जरिए साबित किया था कि तमिल सहित द्रविड़ भाषाओं की एक अलग पहचान और विशेषताएं हैं।

“उत्तर भारत में तमिल सिखाने के लिए केंद्र ने कोई प्रयास क्यों नहीं किया?”

स्टालिन ने 4 मार्च को केंद्र सरकार पर सवाल उठाते हुए पूछा कि उत्तर भारतीय राज्यों में तमिल या अन्य दक्षिण भारतीय भाषाओं को सिखाने के लिए कोई संस्थान स्थापित क्यों नहीं किया गया? उन्होंने कहा कि यह साफ दर्शाता है कि केंद्र सरकार की मंशा केवल हिंदी और संस्कृत को बढ़ावा देने की है, जबकि अन्य भारतीय भाषाओं को पीछे धकेलने का प्रयास किया जा रहा है।

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