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बजट सत्र का दूसरा चरण: EPIC विवाद, परिसीमन और अंतरराष्ट्रीय नीतियों पर घिरेगी सरकार

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संसद के बजट सत्र के दूसरे चरण में विपक्ष के तीखे सवाल, EPIC विवाद से वक्फ बिल तक हंगामे के आसार

संसद का बजट सत्र सोमवार से फिर शुरू होने जा रहा है और इस बार विपक्ष पूरी तैयारी के साथ सरकार को घेरने के मूड में है। EPIC यानी एक जैसे वोटर कार्ड नंबर का मामला, निर्वाचन क्षेत्र परिसीमन (Delimitation) और तीन भाषा नीति के जरिए हिंदी थोपने के आरोप जैसे मुद्दे संसद में गूंज सकते हैं। इसके अलावा, वक्फ (संशोधन) विधेयक 2024 पर भी टकराव होने की संभावना है, जिसे सरकार पास कराने की कोशिश करेगी।

विपक्ष EPIC विवाद पर हमलावर

चुनाव आयोग की सफाई के बावजूद, विपक्षी दल EPIC यानी एक ही नंबर वाले कई वोटर आईडी कार्ड के मुद्दे पर सरकार को घेरने के लिए तैयार हैं। कांग्रेस और तृणमूल कांग्रेस इसे लोकतंत्र और निष्पक्ष चुनाव की स्वतंत्रता पर खतरा बता रही हैं। तृणमूल कांग्रेस के राज्यसभा नेता डेरेक ओ’ब्रायन ने इसे गंभीर मुद्दा बताते हुए कहा कि इस पर चुनाव आयोग का जवाब संतोषजनक नहीं है।

तीन भाषा नीति और परिसीमन पर भी घमासान

परिसीमन का मुद्दा भी संसद में गरमा सकता है। डीएमके और कांग्रेस इसे लेकर सरकार पर हमलावर हैं। डीएमके का आरोप है कि केंद्र सरकार हिंदी थोपने की कोशिश कर रही है और तीन भाषा नीति लागू न करने पर राज्यों को फंड से वंचित कर रही है। कांग्रेस भी इस मुद्दे पर अपने सहयोगी दलों के साथ खड़ी है, लेकिन हिंदीभाषी राज्यों की संवेदनशीलता को ध्यान में रखते हुए अपना रुख संतुलित रख रही है। वहीं, दक्षिण भारतीय राज्यों में परिसीमन को लेकर भी चिंता बढ़ रही है। माना जा रहा है कि यदि वर्तमान सिद्धांत “एक नागरिक, एक वोट, एक मूल्य” के आधार पर परिसीमन हुआ, तो दक्षिण भारतीय राज्यों को संसद में अपनी सीटें गंवानी पड़ सकती हैं, क्योंकि वहां जनसंख्या नियंत्रण के प्रयास सफल रहे हैं। तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एम.के. स्टालिन ने इस पर केंद्र सरकार को घेरा है। वरिष्ठ कांग्रेस सांसद मनीष तिवारी ने भी इस मुद्दे पर चिंता जताई है। उन्होंने कहा कि उत्तर भारतीय राज्यों को भी इस परिसीमन से नुकसान हो सकता है, क्योंकि इससे संसद में सीटों का संतुलन बिगड़ सकता है और इसका फायदा मध्य भारत को मिलेगा, जहां जनसंख्या नियंत्रण की गति धीमी रही है।

वक्फ संशोधन विधेयक 2024 पर विपक्ष की आपत्ति

सरकार के एजेंडे में वक्फ (संशोधन) विधेयक, 2024 को पास कराना सबसे अहम होगा। संयुक्त संसदीय समिति (JPC) ने इस विधेयक पर अपनी रिपोर्ट बजट सत्र के पहले चरण के आखिरी दिन 13 फरवरी को पेश की थी, जिसके दौरान विपक्ष ने कड़ा विरोध जताया था। अब इस बिल को पास कराने के लिए सरकार पूरी ताकत झोंक सकती है।

अमेरिका की नीतियों पर भी घेराबंदी

संसद में अमेरिका द्वारा भारतीयों को डिपोर्ट करने का मामला भी उठ सकता है। इसके अलावा, अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा “Reciprocal Tariff” की घोषणा का मुद्दा भी सरकार के लिए असहज स्थिति पैदा कर सकता है। विपक्ष इन मसलों को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारत के लिए चिंता का विषय बताकर सरकार से जवाब मांगेगा।

मंत्रालयों के कामकाज पर भी सवाल उठेंगे

राज्यसभा में गृह मंत्रालय, शिक्षा मंत्रालय, रेलवे मंत्रालय, स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय और एक अन्य मंत्रालय के कामकाज पर चर्चा होगी। ऐसे में विपक्ष के पास सरकार को घेरने का एक और बड़ा मौका होगा। अगले कुछ दिनों तक संसद में जबरदस्त बहस और हंगामे के आसार हैं। विपक्ष पूरी तैयारी के साथ सरकार से जवाब मांगने को तैयार है, जबकि सरकार अपने विधायी एजेंडे को आगे बढ़ाने की कोशिश करेगी।

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