साइबर सुरक्षा में खामियां उजागर, लेकिन भारतीय IT लीडर्स को अपनी रणनीति पर यकीन

भारत में साइबर सुरक्षा को लेकर IT लीडर्स की सोच और हकीकत में बड़ा फर्क: रिपोर्ट भारत में कई कंपनियां पिछले एक साल में साइबर हमलों का शिकार हुई हैं, लेकिन इसके बावजूद IT लीडर्स अपनी साइबर सुरक्षा रणनीति को लेकर आश्वस्त हैं। एक नई स्टडी में सामने आया है कि उनकी सोच और हकीकत में बड़ा अंतर है। क्लाउड सिक्योरिटी फर्म Zscaler की रिपोर्ट के अनुसार, बीते 12 महीनों में 67% भारतीय कंपनियां साइबर सुरक्षा में चूक का शिकार हुई हैं। लेकिन हैरान करने वाली बात यह है कि 97% IT लीडर्स को अब भी भरोसा है कि उनकी मौजूदा साइबर सुरक्षा रणनीतियां प्रभावी हैं। स्टडी में यह भी खुलासा हुआ कि भले ही IT लीडर्स को अपनी साइबर सुरक्षा पर पूरा भरोसा हो, लेकिन आधुनिक साइबर हमलों, खासकर आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) से होने वाले खतरों को रोकने की उनकी तैयारी कमजोर है। रिपोर्ट के मुताबिक, 57% IT लीडर्स यह मानते हैं कि साइबर सुरक्षा उनकी लीडरशिप टीम के लिए एक अहम मुद्दा है, लेकिन इसके बावजूद इस दिशा में जरूरी निवेश और ठोस कदम नहीं उठाए जा रहे हैं।
इस स्थिति को और भी खराब बनाता है कि 70% भारतीय कंपनियां अपनी साइबर सुरक्षा रणनीति में मुख्य सूचना सुरक्षा अधिकारियों (CISO) को शामिल ही नहीं करतीं। इससे साइबर सुरक्षा का एकतरफा और कमजोर सिस्टम बन जाता है, जो प्रभावी सुरक्षा उपायों में बाधा डालता है। Zscaler के CEO और फाउंडर जय चौधरी का कहना है, “सवाल यह नहीं है कि साइबर सुरक्षा में बड़ी चूक होगी या नहीं, बल्कि यह है कि यह कब होगी। रिपोर्ट के आंकड़े बताते हैं कि कंपनियों को पहले से ही ठोस साइबर सुरक्षा उपाय अपनाने होंगे, ताकि किसी बड़े हमले से पहले ही उसे रोका जा सके।” उन्होंने आगे कहा, “लीडरशिप को IT टीमों के साथ मिलकर ‘Zero Trust’ मॉडल पर आधारित साइबर सुरक्षा रणनीति तैयार करनी चाहिए, जिससे AI से संचालित खतरों का मुकाबला किया जा सके। हम इसे ‘Resilient by Design’ कहते हैं।” Zscaler ने यह स्टडी दिसंबर 2024 में की थी, जिसमें 12 देशों (ऑस्ट्रेलिया, फ्रांस, जर्मनी, भारत, इटली, जापान, नीदरलैंड, सिंगापुर, स्पेन, स्वीडन, यूके और आयरलैंड, अमेरिका) के 1,700 IT फैसले लेने वाले अधिकारियों से बातचीत की गई। रिपोर्ट में सलाह दी गई है कि कंपनियों को अपनी साइबर सुरक्षा रणनीति में बेहतर विजिबिलिटी और कंट्रोल जोड़ना चाहिए। रिपोर्ट के अनुसार, “AI-संचालित क्लाउड सिक्योरिटी प्लेटफॉर्म की मदद से कंपनियां साइबर हमलों की पहचान तेजी से कर सकती हैं और उनका असर कम कर सकती हैं। इससे उनकी सुरक्षा प्रणाली और भी मजबूत होगी।”