गंगा जल संवर्धन की मुहिम उज्जैन से शुरू, जल संरक्षण में जुटेगा पूरा प्रदेश

भोपाल: जल बचाओ, भविष्य सुरक्षित बनाओ – 30 मार्च से प्रदेशव्यापी जल संरक्षण अभियान जल ही जीवन है, और इसे बचाना हमारी जिम्मेदारी है। मध्य प्रदेश में 90 दिनों का ‘गंगा जल संवर्धन अभियान’ 30 मार्च से उज्जैन के शिप्रा तट से शुरू होगा और 30 जून तक चलेगा। इस अभियान का मकसद जल संरक्षण को बढ़ावा देना और प्रदेश के जलस्रोतों को पुनर्जीवित करना है।
जल संरक्षण के लिए बड़े कदम
बुधवार को मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने इस अभियान की समीक्षा बैठक में तेजी से काम करने के निर्देश दिए। पंचायत एवं ग्रामीण विकास, जल संसाधन सहित 12 से ज्यादा विभाग इस अभियान में सक्रिय भूमिका निभाएंगे। इस दौरान प्रदेशभर में 50 हजार नए खेत-तालाब बनाए जाएंगे और जल संरक्षण को जन-आंदोलन बनाया जाएगा। मुख्यमंत्री ने निर्देश दिया कि सभी जल संरचनाओं की मरम्मत और रखरखाव पर जोर दिया जाए। अब स्थानीय पंचायतें और आम लोग भी जल स्रोतों की देखभाल करेंगे। साथ ही, पूरे प्रदेश में एक लाख जलदूत तैयार किए जाएंगे, जो जल संरक्षण का संदेश घर-घर तक पहुंचाएंगे।
अभियान में होंगी ये अहम गतिविधियां
✅ नहरों का सरकारी रिकॉर्ड में पंजीकरण – राजस्व विभाग की मदद से सभी नहरों को सरकारी नक्शों में दर्ज किया जाएगा।
✅ बांध और नहरों को अतिक्रमण मुक्त किया जाएगा – ताकि जल प्रवाह बाधित न हो।
✅ नहरों के अंतिम छोर पर किलोमीटर स्टोन लगाए जाएंगे – जिससे जल निकासी की सही स्थिति का पता चले।
✅ 40,000 किलोमीटर लंबी नहर प्रणाली की सफाई होगी – मनरेगा के तहत यह कार्य किया जाएगा।
✅ जलाशयों में रिसाव रोकने के उपाय – ताकि पानी की बर्बादी न हो।
✅ तालाबों और बांधों की मरम्मत – यदि कहीं किनारों की मिट्टी कट गई हो, तो उसे फिर से बनाया जाएगा।
✅ स्टॉप डैम, बैराज और वियर में सुधार – गेट लगाने और संरचनाओं की मरम्मत की जाएगी।
✅ जल संरचनाओं के आसपास पौधारोपण – ताकि अतिक्रमण को रोका जा सके और पर्यावरण संतुलन बना रहे।
जल बचाना, सबकी जिम्मेदारी
इस अभियान का मकसद सिर्फ सरकारी कामकाज तक सीमित नहीं है, बल्कि हर नागरिक को जल संरक्षण से जोड़ना है। अगर हम सभी मिलकर पानी बचाने की कोशिश करें, तो भविष्य में जल संकट से बचा जा सकता है। अभियान के दौरान सामूहिक प्रयासों से जल संरक्षण को नया आयाम दिया जाएगा। प्रदेश में गर्मी बढ़ रही है और जल संकट की चुनौती भी सामने है, ऐसे में यह अभियान हर व्यक्ति के सहयोग से सफल बन सकता है। अब वक्त आ गया है कि हम जल की हर बूंद को सहेजें, ताकि आने वाली पीढ़ियों के लिए सुरक्षित भविष्य बना सकें।