क्या उद्धव ठाकरे देंगे बीजेपी को बड़ा साथ? उपराष्ट्रपति चुनाव से पहले सियासत तेज

बीजेपी की उद्धव ठाकरे से उम्मीदें: क्या बदलेगा उपराष्ट्रपति चुनाव का समीकरण?
राजनाथ सिंह और फडणवीस की उद्धव से सीधी बात-उपराष्ट्रपति पद के चुनाव को लेकर भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) ने महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री और शिवसेना (यूबीटी) के प्रमुख उद्धव ठाकरे से समर्थन मांगा है। इस महत्वपूर्ण पहल के तहत, केंद्रीय रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने स्वयं उद्धव ठाकरे से संपर्क साधा है। चूंकि उद्धव ठाकरे वर्तमान में विपक्षी गठबंधन ‘I.N.D.I.A.’ के एक प्रमुख चेहरे हैं, उनका यह फैसला चुनावी नतीजों पर गहरा प्रभाव डाल सकता है और पूरे समीकरण को बदल सकता है।
एनडीए का दांव: महाराष्ट्र के राज्यपाल पर भरोसा-इस बार उपराष्ट्रपति चुनाव में राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) ने महाराष्ट्र के राज्यपाल, सी. पी. राधाकृष्णन को अपना उम्मीदवार बनाया है। वहीं, विपक्षी दलों ने उनके मुकाबले सुप्रीम कोर्ट के पूर्व न्यायाधीश, बी. सुदर्शन रेड्डी को मैदान में उतारा है। इन दोनों प्रमुख उम्मीदवारों के बीच की यह सीधी टक्कर चुनाव को और भी रोमांचक बना रही है, जिससे हर किसी की नजर इस मुकाबले पर टिकी हुई है।
फडणवीस की महाराष्ट्र के नेताओं से खास अपील-सी. पी. राधाकृष्णन के उम्मीदवार घोषित होने के बाद, महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने राज्य के सभी सांसदों से उन्हें समर्थन देने की पुरजोर अपील की है। उन्होंने विशेष रूप से उद्धव ठाकरे और शरद पवार से आग्रह किया कि भले ही राधाकृष्णन तमिलनाडु से आते हों, लेकिन वे मुंबई में पंजीकृत मतदाता हैं और महाराष्ट्र का प्रतिनिधित्व करते हैं, इसलिए उनका समर्थन करना राज्य के हित में है।
शिवसेना (यूबीटी) और एनसीपी (एसपी) की भूमिका अहम-शिवसेना (यूबीटी) और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (शरदचंद्र पवार) के पास लोकसभा में कुल 17 और राज्यसभा में 4 सदस्य हैं। इन दोनों दलों का समर्थन एनडीए के उम्मीदवार के लिए महत्वपूर्ण साबित हो सकता है। यदि ये दल एनडीए के साथ खड़े होते हैं, तो चुनाव के नतीजों में बड़ा अंतर आ सकता है। इसी वजह से बीजेपी इन दोनों दलों को अपने पक्ष में करने के लिए लगातार प्रयास कर रही है।
महाराष्ट्र के लिए एक ऐतिहासिक पल?-यदि सी. पी. राधाकृष्णन उपराष्ट्रपति चुनाव जीतते हैं, तो वे महाराष्ट्र से दूसरे ऐसे राज्यपाल होंगे जो इस उच्च पद तक पहुँचेंगे। इससे पहले, शंकर दयाल शर्मा ने भी राज्यपाल के पद से उपराष्ट्रपति का सफर तय किया था और बाद में वे देश के राष्ट्रपति भी बने। यह संभावित जीत महाराष्ट्र की राजनीति के लिए एक ऐतिहासिक क्षण साबित हो सकती है।
शिवसेना का पुराना इतिहास और आज का रुख-यह ध्यान देने योग्य है कि शिवसेना पहले भी एनडीए के साथ रहते हुए संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (यूपीए) के उम्मीदवारों का समर्थन कर चुकी है। वर्ष 2007 में उन्होंने प्रतिभा पाटिल और 2012 में प्रणब मुखर्जी का समर्थन किया था। उस समय बालासाहेब ठाकरे और प्रणब मुखर्जी के बीच के व्यक्तिगत संबंधों की काफी चर्चा हुई थी।
उद्धव का फैसला, राजनीति का नया मोड़-फिलहाल, सभी की निगाहें उद्धव ठाकरे के फैसले पर टिकी हैं। यदि वे इस बार भी एनडीए के उम्मीदवार के खिलाफ जाते हैं, तो यह बीजेपी के लिए एक बड़ा राजनीतिक झटका होगा। वहीं, यदि वे समर्थन का निर्णय लेते हैं, तो राधाकृष्णन की जीत लगभग निश्चित मानी जा रही है। ऐसे में, इस चुनावी माहौल में उद्धव ठाकरे का यह कदम महाराष्ट्र और राष्ट्रीय राजनीति दोनों के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण साबित होगा।



