दिल्ली से भागकर पहाड़ों की हवा लेने पहुंचे लोग, लेकिन देहरादून की बिगड़ती हवा ने बढ़ाई चिंता

देहरादून की हवा पर बढ़ते सवाल: क्या पहाड़ी शहर भी प्रदूषण की चपेट में?- दिल्ली की जहरीली हवा से बचने के लिए लोग हर साल देहरादून की ओर रुख करते थे, लेकिन अब यहां की हवा भी साफ नहीं रही। पिछले दो दिनों में देहरादून का एयर क्वालिटी इंडेक्स (AQI) ‘खराब’ श्रेणी में पहुंच गया है। यह साफ संकेत है कि प्रदूषण अब सिर्फ मैदानी इलाकों तक सीमित नहीं, बल्कि पहाड़ी शहरों तक फैल चुका है। इस बदलाव ने पर्यटकों और स्थानीय लोगों दोनों को चिंता में डाल दिया है।
ट्रैफिक, कचरा जलाना और जंगल की आग बढ़ा रहे प्रदूषण- देहरादून में बढ़ते प्रदूषण के पीछे कई कारण हैं। सबसे बड़ा कारण शहर में बढ़ता वाहनों का दबाव है, जिससे ट्रैफिक जाम और धुआं बढ़ता है। इसके अलावा खुले में कचरा जलाना और आसपास के जंगलों में लगी आग भी हवा को जहरीला बना रही है। लगभग 17 लाख की आबादी वाले इस शहर की सड़कें और संसाधन बढ़ते दबाव को संभाल नहीं पा रहे, जिसका असर साफ हवा पर पड़ रहा है।
AQI के आंकड़े चिंता बढ़ा रहे हैं- दून यूनिवर्सिटी के प्रदूषण केंद्र के प्रमुख प्रोफेसर विजय श्रीधर के अनुसार, बुधवार को देहरादून का रियल-टाइम AQI 267 और औसत AQI 291 तक पहुंच गया। यह स्तर ‘प्रदूषित’ और ‘गंभीर रूप से प्रदूषित’ के बीच का है। दिन में हवा चलने से थोड़ी राहत मिलती है, लेकिन रात को AQI 300 से ऊपर हो जाता है, जो स्वास्थ्य के लिए खतरनाक है। यह स्थिति लोगों की सेहत पर गंभीर असर डाल सकती है।
पहाड़ों पर भी छाई स्मॉग की चादर- पहले देहरादून से मसूरी की पहाड़ियां साफ दिखाई देती थीं, लेकिन अब वहां धुंध और स्मॉग की परत छा गई है। प्रदूषण इतना बढ़ गया है कि कुछ युवा बाहर निकलते समय मास्क पहनने लगे हैं। यह बदलाव देहरादून जैसे शांत शहर के लिए नया और चिंताजनक है। साफ हवा की उम्मीद रखने वाले लोगों के लिए यह एक बड़ा झटका है।
उत्तराखंड के दूसरे पर्यटन स्थल बने राहत की जगह- दिल्ली-एनसीआर में बढ़ते प्रदूषण के कारण पर्यटक अब नैनीताल, भीमताल और कॉर्बेट टाइगर रिजर्व जैसे स्थलों की ओर बढ़ रहे हैं। यहां की हवा इतनी साफ है कि AQI 18-19 तक दर्ज किया गया, जो दिल्ली वालों के लिए किसी सपने से कम नहीं। इन जगहों पर पर्यटकों की संख्या तेजी से बढ़ रही है, जो पर्यटन के लिए अच्छा संकेत है।
दिल्ली वालों ने बताया प्रदूषण का दर्द- कॉर्बेट घूमने आईं दिल्ली की सुरेखा ने बताया कि दिल्ली में प्रदूषण इतना बढ़ गया है कि सांस लेने में दिक्कत हो रही है। अस्थमा और सांस की बीमारियां आम हो गई हैं। इसलिए उन्होंने परिवार के साथ साफ हवा में कुछ समय बिताने का फैसला किया। उनका कहना है कि यहां का मौसम और वातावरण दिल्ली से पूरी तरह अलग और ताजा है।
लंबे समय तक ठहरने की मांग बढ़ी- होटल कारोबारियों के मुताबिक, अब लोग सिर्फ वीकेंड ट्रिप नहीं, बल्कि एक से तीन महीने तक के लंबे ठहराव के लिए बुकिंग कर रहे हैं। खासकर बुजुर्गों को प्रदूषण से दूर रखने के लिए परिवार छोटे होटलों, होमस्टे और बीएंडबी में ठहराते हैं। नैनीताल और कॉर्बेट के जंगलों के पास बने छोटे स्टे ज्यादा पसंद किए जा रहे हैं, जो पर्यटन के लिए सकारात्मक संकेत हैं।
बढ़ते पर्यटन से नई चिंताएं भी- पर्यटकों की बढ़ती संख्या से स्थानीय कारोबार खुश हैं, लेकिन कुछ लोग चिंता भी जता रहे हैं। रामनगर जैसे इलाकों में ट्रैफिक जाम आम हो गया है। होटल मालिकों का कहना है कि अगर समय रहते ट्रैफिक और प्रदूषण पर नियंत्रण नहीं किया गया, तो देहरादून और रामनगर भी दिल्ली जैसी हालत में पहुंच सकते हैं।
स्थानीय लोगों की बढ़ती परेशानियां- देहरादून के यश कहते हैं कि पिछले कुछ सालों में शहर की हवा लगातार खराब होती गई है। पेड़ों की कटाई इसका बड़ा कारण है। AQI 200 से ऊपर जाने पर बुजुर्गों को सांस लेने में दिक्कत और गले में जलन जैसी समस्याएं होती हैं, जो सर्दियों में और बढ़ जाती हैं। यह स्थिति स्थानीय लोगों के लिए चिंता का विषय बन गई है।
समय रहते कदम न उठाए गए तो हालात होंगे गंभीर- स्थानीय निवासी रचित के मुताबिक, ट्रैफिक और जंगल की आग प्रदूषण के मुख्य कारण हैं। उनका मानना है कि अगर जल्द ठोस कदम नहीं उठाए गए, तो देहरादून और दिल्ली की हवा में ज्यादा फर्क नहीं रहेगा। विशेषज्ञ भी चेतावनी दे रहे हैं कि पहाड़ी शहरों में बढ़ता प्रदूषण भविष्य में बड़ी स्वास्थ्य समस्या बन सकता है।
गलत AQI आंकड़े दिखा रहे LED डिस्प्ले भी सवालों में- देहरादून में लगे स्मार्ट LED डिस्प्ले कई जगहों पर पुराने और गलत AQI आंकड़े दिखा रहे हैं, जिससे लोगों में भ्रम फैल रहा है। स्थानीय लोग कहते हैं कि जब सही जानकारी नहीं मिलेगी, तो लोग सतर्क कैसे होंगे। इस लापरवाही पर अब सवाल उठने लगे हैं और सही आंकड़ों की मांग तेज हो रही है।
देहरादून की हवा पर बढ़ती चिंता ने साफ कर दिया है कि प्रदूषण अब पहाड़ों तक पहुंच चुका है। समय रहते अगर सही कदम नहीं उठाए गए, तो यह समस्या और गंभीर हो सकती है। साफ हवा की उम्मीद रखने वाले लोगों के लिए यह एक बड़ा अलर्ट है।



