अमेरिका की सख्ती जारी, शनिवार रात और भारतीय लौटेंगे अमृतसर
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अमृतसर: अमेरिका से 119 भारतीय नागरिकों की वापसी, डिपोर्टेशन पर बढ़ी बहस अमेरिकी सैन्य विमान C-17 ग्लोबमास्टर III शनिवार रात अमृतसर अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे पर उतरने वाला है, जिसमें 119 भारतीय नागरिक लौट रहे हैं। यह कदम अमेरिका द्वारा अवैध प्रवासियों के खिलाफ चलाए जा रहे अभियान का हिस्सा है। इससे पहले 104 भारतीयों को भी देश वापस भेजा गया था। आधिकारिक सूत्रों के मुताबिक, हर दो हफ्ते में इसी तरह डिपोर्टेशन की प्रक्रिया जारी रहेगी, जब तक कि सभी अवैध प्रवासियों को उनके देश न भेज दिया जाए। डिपोर्ट किए गए लोगों में 67 पंजाब से, 33 हरियाणा से, 8 गुजरात से, 3 उत्तर प्रदेश से, 2-2 राजस्थान और महाराष्ट्र से, जबकि 1-1 जम्मू-कश्मीर और हिमाचल प्रदेश से हैं। ये वे लोग हैं जो या तो अवैध रूप से अमेरिका में घुसे थे या फिर वीज़ा की अवधि खत्म होने के बावजूद वहां रुके रहे।
इस अभियान के ठीक पहले भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अमेरिका दौरे के दौरान राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप से मुलाकात की थी, जहां अन्य द्विपक्षीय मुद्दों के साथ-साथ अप्रवासन (इमिग्रेशन) पर भी चर्चा हुई थी। मोदी ने मानव तस्करी के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जरूरत पर ज़ोर देते हुए आश्वासन दिया था कि भारत अपने नागरिकों की वापसी के लिए प्रतिबद्ध है। हालांकि, इन भारतीयों के साथ किए गए व्यवहार को लेकर विवाद खड़ा हो गया है। रिपोर्ट्स के मुताबिक, अमेरिका से लौटाए जा रहे लोगों को बेड़ियों और हथकड़ियों में बांधकर भेजा गया, जिससे भारत में नाराजगी बढ़ गई। अमेरिकी इमिग्रेशन और कस्टम्स एन्फोर्समेंट (ICE) ने इसे सुरक्षा प्रोटोकॉल बताया, ताकि यात्रा के दौरान किसी भी तरह की अप्रिय घटना को रोका जा सके। लेकिन कई संगठनों और नेताओं ने इस व्यवहार को अमानवीय और अनुचित करार दिया, क्योंकि इनमें से कई लोगों का अपराध सिर्फ वीज़ा उल्लंघन था, कोई गंभीर अपराध नहीं। इस मामले ने भारतीय संसद में भी जोरदार बहस छेड़ दी। विपक्षी नेताओं ने सरकार से इस मुद्दे पर स्पष्ट रुख अपनाने और अमेरिकी प्रशासन से जवाब मांगने की मांग की। इस बीच, विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने कहा कि भारत अमेरिकी अधिकारियों से संपर्क कर यह सुनिश्चित करने की कोशिश कर रहा है कि डिपोर्ट किए जा रहे भारतीयों के साथ गरिमापूर्ण व्यवहार किया जाए। उन्होंने यह भी कहा कि इमिग्रेशन नियमों का पालन जरूरी है, लेकिन मानवीय मूल्यों की अनदेखी नहीं होनी चाहिए।
ट्रंप प्रशासन की सख्त इमिग्रेशन नीति हजारों भारतीयों को प्रभावित कर रही है, जिससे भारत सरकार पर भी दबाव बढ़ रहा है कि वह इन लोगों के पुनर्वास और अवैध प्रवास को रोकने के लिए कारगर कदम उठाए। अमेरिका में ICE इस अभियान की निगरानी कर रहा है, जबकि भारत में विदेश मंत्रालय, इमिग्रेशन ब्यूरो और स्थानीय प्रशासन मिलकर इन लोगों को वापस लाने की प्रक्रिया को देख रहे हैं। अमेरिका की इस सख्ती ने अवैध प्रवास की समस्या को फिर से सुर्खियों में ला दिया है। भारत से हर साल हजारों लोग बेहतर रोजगार और जीवन स्तर की उम्मीद में अमेरिका की ओर रुख करते हैं, जिनमें से कई अवैध रूप से वहां पहुंचने की कोशिश करते हैं। अब भारत सरकार के सामने चुनौती है कि इन लोगों को वापस लाकर उनकी जिंदगी फिर से पटरी पर कैसे लाई जाए। इधर, मानवाधिकार संगठनों और प्रवासी अधिकार समूहों ने डिपोर्ट किए जा रहे लोगों के साथ सम्मानजनक व्यवहार और न्यायसंगत नीति की मांग की है। उनका कहना है कि सीमाओं की सुरक्षा और प्रवासियों के अधिकारों के बीच संतुलन बनाए रखना जरूरी है। आने वाले महीनों में और भी भारतीयों की वापसी तय मानी जा रही है। ऐसे में यह मुद्दा भारत और अमेरिका के संबंधों में अहम भूमिका निभाएगा, जहां सीमा सुरक्षा, प्रवासी अधिकार और कूटनीतिक समझौतों पर जोर देना होगा।