इंदौर में कांग्रेस पर भड़का यादव समाज, जीतू पटवारी के खिलाफ खुला मोर्चा

यादव समाज का कांग्रेस से मोहभंग: इंदौर में बढ़ा राजनीतिक पारा!
कांग्रेस में उपेक्षा का आरोप: यादव समाज का खुला विरोध-इंदौर और पूरे मध्य प्रदेश में यादव समाज कांग्रेस संगठन में लगातार हो रही अनदेखी से काफी नाराज़ है। उनका कहना है कि प्रदेश अध्यक्ष जीतू पटवारी ने शहर अध्यक्ष की नियुक्ति में यादव समाज को पूरी तरह से नज़रअंदाज़ किया है। खासकर, दीपू यादव जैसे ज़मीनी कार्यकर्ता को दरकिनार किए जाने से समाज में भारी रोष है। इस बार उन्होंने पटवारी को आगामी चुनावों में हराने की कसम खाई है, जिससे कांग्रेस की मुश्किलें बढ़ गई हैं।
हाईकमान को गुमराह करने का गंभीर आरोप-यादव समाज के नेताओं का आरोप है कि जीतू पटवारी ने दिल्ली जाकर कांग्रेस हाईकमान को गलत जानकारी दी और अपनी मनपसंद नियुक्तियाँ करवाईं। जबकि इंदौर के ज़्यादातर स्थानीय नेता दीपू यादव के पक्ष में थे। इसी मुद्दे पर इंदौर में समाज की एक बड़ी बैठक आयोजित की गई। इस बैठक में “चाय पर चर्चा” के बहाने आगे की रणनीति तय की गई, जिसमें विरोध प्रदर्शन की रूपरेखा तैयार की गई।
विरोध की तैयारियाँ जोरों पर: आगे क्या?-इस बैठक के बाद, यादव समाज अब कांग्रेस के बड़े नेताओं से सीधी बातचीत करने की तैयारी कर रहा है। समाज का एक प्रतिनिधिमंडल जल्द ही पार्टी के वरिष्ठ नेताओं से मिलकर अपनी बात रखेगा। इसके साथ ही, जीतू पटवारी के खिलाफ पुतला दहन जैसे बड़े आंदोलन की भी योजना है। यह साफ़ है कि कांग्रेस संगठन के अंदर यह नाराज़गी अब एक खुली लड़ाई का रूप ले चुकी है, जो पार्टी के लिए चिंता का विषय है।
क्यों भड़के यादव समाज के नेता?-दीपू यादव को पूर्व मंत्री अरुण यादव का करीबी माना जाता है, और उनके साथ शहर कांग्रेस की युवा टीम भी मजबूती से खड़ी है। दीपू के पिता रामलाल यादव भी विधायक रह चुके हैं। ऐसे में, समाज का मानना है कि एक सक्रिय और योग्य नेता को जानबूझकर पीछे धकेला गया है। यही कारण है कि यादव समाज इस पूरे मामले को अपने अपमान के तौर पर देख रहा है और एकजुट होकर विरोध कर रहा है।
दीपू यादव को लगातार नज़रअंदाज़ करने का दर्द-यादव समाज का कहना है कि दीपू यादव का नाम शहर कांग्रेस अध्यक्ष के लिए काफी समय से चर्चा में था। लेकिन हर बार उन्हें किसी न किसी बहाने से पीछे कर दिया गया। यह पहली बार नहीं है जब दीपू यादव को संगठन में ऐसी उपेक्षा का सामना करना पड़ा हो। लगातार नज़रअंदाज़ किए जाने के कारण ही इस बार समाज ने खुलकर विरोध करने का फैसला किया है।
समाज के नेताओं और कार्यकर्ताओं का अटूट समर्थन-इस पूरे विरोध प्रदर्शन में यादव समाज के सैकड़ों प्रमुख नेता और हज़ारों कार्यकर्ता एकजुट होकर साथ खड़े हैं। सुभाष यादव, कलन यादव, नरेश यादव, बब्बू यादव, सौरभ यादव, सोनू यादव, अंकित यादव, जितू यादव जैसे कई प्रमुख नेताओं ने इस आंदोलन को अपना पूरा समर्थन दिया है। अब यह विरोध केवल किसी एक नेता का नहीं, बल्कि पूरे समाज की सामूहिक ताकत बन चुका है।
कांग्रेस के लिए बढ़ी मुश्किलें: चुनावी गणित पर असर-यादव समाज के इस नाराज़गी भरे रवैये से कांग्रेस संगठन की मुश्किलें निश्चित रूप से बढ़ने वाली हैं। इंदौर जैसे बड़े शहर में यादव समाज का प्रभाव काफी मजबूत है। अगर इस चुनाव में यह वोट बैंक कांग्रेस से दूर हो जाता है, तो पार्टी को भारी नुकसान उठाना पड़ सकता है। यही वजह है कि यह विवाद अब केवल पार्टी संगठन तक सीमित नहीं रहेगा, बल्कि चुनावी नतीजों पर भी गहरा असर डालेगा।



