ट्रंप से मुलाकात से पहले यूरोपीय नेताओं का बड़ा दांव: ज़ेलेंस्की के साथ वॉशिंगटन पहुँचेंगे फ्रांस, ब्रिटेन और जर्मनी के नेता

ज़ेलेंस्की को मिलेगा यूरोपीय नेताओं का पूरा साथ: कूटनीति की नई चाल!-रूस और यूक्रेन के बीच चल रहे युद्ध को खत्म करने के लिए अब कूटनीति का दांव तेज हो गया है। एक बड़ी खबर के अनुसार, रविवार को यूरोप और नाटो के कई बड़े नेताओं ने यह ऐलान किया है कि वे यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमिर ज़ेलेंस्की के साथ मिलकर वॉशिंगटन जाएंगे। वहां उनकी मुलाकात अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप से होगी। इस महत्वपूर्ण वार्ता में फ्रांस, ब्रिटेन और जर्मनी जैसे बड़े यूरोपीय देशों के प्रतिनिधि शामिल होंगे। यह कदम इसलिए भी खास है क्योंकि हाल ही में ट्रंप ने रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के साथ अकेले में बातचीत की थी, जिसमें ज़ेलेंस्की को शामिल नहीं किया गया था, जिससे कई सवाल खड़े हुए थे।
फरवरी की घटना ने बढ़ाई चिंता और एकजुटता की जरूरत-फरवरी में व्हाइट हाउस में हुई एक मुलाकात के दौरान राष्ट्रपति ट्रंप और ज़ेलेंस्की के बीच तीखी बहस हुई थी, जिसने यूरोपीय नेताओं की चिंता को और बढ़ा दिया। फ्रांस के एक पूर्व जनरल, डोमिनिक ट्रिनक्वांड, का मानना है कि यूरोपीय देश अब एक ऐसा माहौल बनाना चाहते हैं जहाँ ज़ेलेंस्की को अकेला महसूस न हो। उनकी राय में, ट्रंप पर दबाव बनाने और बातचीत को सही दिशा में ले जाने के लिए यूरोपीय नेताओं की यह सामूहिक उपस्थिति बेहद ज़रूरी है। यह एक तरह से अपनी ताकत दिखाने का तरीका भी है, ताकि रूस और अमेरिका दोनों यह समझ सकें कि यूरोप इस महत्वपूर्ण वार्ता से बाहर नहीं है और उसकी अपनी भूमिका है।
अमेरिका-यूरोप से सुरक्षा गारंटी की तैयारी: एक नई उम्मीद-अलास्का में राष्ट्रपति ट्रंप और पुतिन की मुलाकात के बाद एक अहम जानकारी सामने आई है। खबरों के मुताबिक, रूस इस बात पर सहमत हो गया है कि अमेरिका और यूरोपीय देश यूक्रेन को नाटो जैसी सुरक्षा की गारंटी दे सकते हैं। यूरोपीय आयोग की प्रमुख उर्सुला वॉन डेर लेयेन ने इस पहल का स्वागत करते हुए कहा है कि यूरोप इसके लिए पूरी तरह तैयार है। फ्रांस के राष्ट्रपति मैक्रों, ब्रिटेन के प्रधानमंत्री कीर स्टार्मर और जर्मनी के चांसलर फ्रेडरिक मर्ज़ ने भी सोमवार को होने वाली इस महत्वपूर्ण वार्ता में अपनी भागीदारी की पुष्टि की है। यह दिखाता है कि यूरोप यूक्रेन के भविष्य को लेकर गंभीर है।
यूक्रेन को डर: कहीं ट्रंप-पुतिन न कर लें कोई गुप्त सौदा?-यूक्रेन की राजधानी कीव और अन्य यूरोपीय देशों में यह आशंका लगातार बनी हुई है कि कहीं अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप रूस के साथ कोई ऐसा गुप्त समझौता न कर लें, जिसमें यूक्रेन की आवाज़ को अनसुना कर दिया जाए। रॉयल यूनाइटेड सर्विस इंस्टीट्यूट के सुरक्षा विशेषज्ञ नील मेल्विन के अनुसार, यूरोप अब तेजी से बदलती हुई वैश्विक परिस्थितियों में अपनी भूमिका और एजेंडा तय करने की कोशिश कर रहा है। वर्तमान में, चर्चाएं युद्धविराम से हटकर रूस की उन शर्तों पर केंद्रित होती दिख रही हैं जिनमें यूक्रेन को नाटो या यूरोपीय संघ से दूर रखने की मांग शामिल है। यही मुख्य कारण है कि यूरोपीय नेता अब सीधे इस वार्ता का हिस्सा बनकर अपनी बात रखना चाहते हैं।
अमेरिका-यूरोप की नई सुरक्षा डील का रूप क्या होगा?-अभी यह पूरी तरह से स्पष्ट नहीं है कि अमेरिका और यूरोप की ओर से यूक्रेन को मिलने वाली यह “नाटो जैसी सुरक्षा गारंटी” वास्तव में कैसी होगी। लेकिन एक बात तय है कि अगर ऐसा कोई समझौता होता है, तो वह नाटो के अनुच्छेद 5 की तरह ही प्रभावी होगा। इसका मतलब है कि यदि किसी एक देश पर हमला होता है, तो उसे सभी देशों पर हमला माना जाएगा और सभी मिलकर उसका जवाब देंगे। अमेरिकी विदेश मंत्री मार्को रुबियो ने भी इस बात पर जोर दिया है कि युद्ध समाप्त करने का सबसे अच्छा तरीका एक व्यापक शांति समझौता है, हालांकि युद्धविराम की संभावना अभी पूरी तरह से खत्म नहीं हुई है।
ज़ेलेंस्की का सीधा संदेश: युद्धविराम नहीं, पहले चाहिए सच्ची शांति-राष्ट्रपति ज़ेलेंस्की ने रविवार को एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में अपना रुख स्पष्ट करते हुए कहा कि रूस युद्धविराम के नाम पर केवल अपना समय बर्बाद करना चाहता है। उन्होंने जोर देकर कहा कि “शांति केवल कागजों पर नहीं, बल्कि ज़मीनी हकीकत में भी दिखनी चाहिए। जब तक पुतिन हत्याएं बंद नहीं करते, तब तक कोई भी बातचीत सार्थक नहीं हो सकती।” ज़ेलेंस्की का मानना है कि अमेरिकी और यूरोपीय समर्थन के बिना कोई भी समझौता अधूरा ही रहेगा। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि यूक्रेन अपनी सेना और हथियार खुद तैयार करेगा, लेकिन इस प्रक्रिया में अमेरिका और यूरोप की मदद उनके लिए अत्यंत आवश्यक है।



