राज्यपाल श्री मंगुभाई पटेल ने कहा है कि जनजातीय स्वास्थ्य की चुनौतियों का तत्परता के साथ समाधान ज़रूरी है। जनजातीय स्वास्थ्य के क्षेत्र में पहुँच, काउंसलिंग, जन-सहयोग, जन-जागरण के और अधिक ठोस कार्यों की आवश्यकता है। उन्होंने पारंपरिक जनजातीय औषधियों की उपचारात्मक विरासत की खोज और हितधारकों के मध्य वैचारिक विमर्श को जनजातीय स्वास्थ्य के समाधान की दिशा में सार्थक पहल बताया हैं। राज्यपाल श्री पटेल कहा कि यहाँ हुआ चिंतन जनजातीय स्वास्थ्य के क्षेत्र में कार्य की रीति-नीति का रोड मैप बनाने में सफल होगा।
राज्यपाल श्री पटेल अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान के सरदार वल्लभभाई पटेल भवन में आयोजित सम्मेलन को संबोधित कर रहे थे। सम्मेलन “भारत में जनजातीय स्वास्थ्य: वर्तमान परिदृश्य, अपूरित आवश्यकता और भविष्य की दिशा का अनावरण” विषय केन्द्रीत रहा।
राज्यपाल श्री पटेल ने कहा कि जनजातीय समुदाय तक स्वास्थ्य सेवाओं की पहुँच बढ़ाने और जन-जागरण के लिए समान गति और बल के साथ प्रयास किए जाने चाहिए। जनजातीय समुदाय की पारंपरिक, सांस्कृतिक जीवन शैली को समझ कर कार्य किए जाने चाहिए। चिकित्सा, जनजातीय कल्याण के क्षेत्र के सभी हितधारकों को एक साथ कर, एकजुट प्रयास किया जाना समय की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि मध्यप्रदेश के राज्यपाल के रूप में विगत 2 वर्षों में उन्होंने सभी जिलों का भ्रमण कर लिया है। भ्रमण में दूरस्थ अंचल के वंचित समुदायों के साथ संपर्क और संवाद कायम किया है। प्रदेश में जनजातीय समुदाय सिकल सेल और क्षय रोग की प्रमुखता के साथ ही थैलेसीमिया, कुष्ठ, लेप्टोस्पाइरोसिस और रतौंधी जैसे रोगों से पीड़ित रहा है। इसके समाधान के लिए एकीकृत पहल पर विचार किया जाना चाहिए।
राज्यपाल श्री पटेल ने प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के गुजरात के मुख्यमंत्रित्व काल में बनी योजना दूध संजीवनी का उल्लेख करते हुए बताया कि योजना में स्कूलों में दूध वितरण के द्वारा बच्चों में रतौंधी और कुपोषण उन्मूलन प्रयासों के सकारात्मक परिणाम भी मिले। इसलिए स्वास्थ्य चुनौतियों के समाधान प्रयासों में चिकित्सकीय प्रयासों के साथ खान-पान, आहार-विहार आदि के संबंध में काउंसिलिंग और आर्थिक सहयोग के प्रयासों पर भी विचार किया जाना चाहिए। उन्होंने जनजातीय समुदाय के साथ सीधे संपर्क और संवाद के लिए ग्राम सभा को प्लेटफार्म बनाने पर विशेष बल दिया। उन्होंने कहा कि ग्राम सभा और पंचायतों के माध्यम से जनजातीय समुदाय की आवश्यकताओं के अनुरूप कार्य किया जाना अधिक प्रभावी होगा। जनजातीय समुदाय के साथ परिवार के सदस्य के समान संवाद कौशल पर बल दिया।
राज्यपाल श्री मंगुभाई पटेल ने कहा कि छोटे-छोटे प्रयास बड़े बदलाव कर सकते हैं। उन्होंने कहा कि वर्ष 2047 में देश में कोई भी बच्चा सिकल सेल के साथ जन्म नहीं ले, इसके लिए जरूरी है सिकल सेल सर्वेक्षण में एक भी परिवार और एक भी व्यक्ति छूटे नहीं। उन्होंने जनजातीय स्वास्थ्य के प्रति एम्स भोपाल की वैचारिक चिंतन की पहल की सराहना की। यह पहल राष्ट्रीय स्तर पर जनजातीय स्वास्थ्य प्रयासों का दिशा दर्शन करेगी।
अध्यक्ष एम्स डॉ. सुनील मलिक ने कहा कि संस्थान द्वारा जनजातीय स्वास्थ्य की दिशा में सभी आयामों, शोध, अनुसंधान, अकादमिक, क्लीनिकल गतिविधियों, नवाचार, प्रोत्साहन एवं प्रेरणास्पद कार्य किए जा रहे हैं। पारंपरिक जनजातीय विरासत और समृद्ध ज्ञान के अभिलेखन प्रयासों के द्वारा धरोहर का संरक्षण किया जाएगा। उन्होंने कहा कि एम्स को जनजातीय स्वास्थ्य के हर आयाम में सेंटर ऑफ एक्सीलेंस के रूप में विकसित किया जाएगा।
निदेशक एन.आई.आर.टी.एच. डॉक्टर अपरूप दास ने कहा कि जनजातीय स्वास्थ्य की दिशा में सम्मेलन की पहल अत्यंत महत्वपूर्ण कदम है। जनजातीय समुदाय के पास पहुँचकर, उनकी आवश्यकता के अनुरूप स्वास्थ्य सेवाओं की उपलब्धता जनजातीय स्वास्थ्य चुनौतियों के समाधान प्रयासों को और अधिक मजबूत बनाएगा।
डॉ. मेधा कटारे ने बताया कि सम्मेलन में आकर्षक प्रस्तुतियों, इंटरैक्टिव पैनल चर्चाओं और विशेषज्ञों की अंतर्दृष्टि के माध्यम से प्रतिभागियों को जनजातीय स्वास्थ्य से संबंधित विविध मुद्दों और प्रथाओं के सम्बन्ध में व्यापक समझ विकसित की जाएगी। सम्मेलन जनजातीय आबादी के लिए समान स्वास्थ्य देखभाल पहुँच और सांस्कृतिक रूप से संवेदनशील सेवाओं को सुनिश्चित करने के लिए एक रोडमैप को रेखांकित करेगा।
कार्यपालक निदेशक एम्स भोपाल डॉ. अजय सिंह ने स्वागत उद्बोधन में बताया कि जनजाति समुदाय की विशिष्टता और पर्यावरण के साथ ही जनजातीय आबादी की सदियों से देखभाल कर रही पारंपरिक उपचार प्रणाली को एकीकृत कर स्वास्थ्य सेवाओं के दिशा-दर्शन का सम्मेलन में प्रयास किया जाएगा। एम्स में विशेष वार्ड भी तैयार किया जा रहा है।
कार्यक्रम में एम्स और एन.आई.आर.टी.एच. के मध्य एम.ओ.यू. का लोकार्पण हुआ। इस अवसर पर प्रबंध संचालक राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन श्रीमती प्रियंका दास सहित चिकित्सक एवं विशेषज्ञ मौजूद थे। आभार दंत चिकित्सक एम्स डॉ. अंशुल राय ने किया। राज्यपाल श्री पटेल ने प्रारम्भ में दीप प्रज्ज्वलन कर कार्यक्रम का शुभारम्भ किया। उनका शॉल, श्रीफल, स्मृति-चिन्ह भेंट कर अभिनंदन किया गया। उन्होंने एम्स में पूर्व रोपित पौधे को सिंचित किया।