ग्वालियर रेलवे स्टेशन पुनर्विकास में बड़ी कार्रवाई, इंजीनियर का तबादला और नया जिम्मेदार नियुक्त

ग्वालियर रेलवे स्टेशन का कायाकल्प: रफ्तार धीमी, जिम्मेदार कौन?
प्रोजेक्ट में देरी पर रेलवे का एक्शन: इंजीनियर बदले गए, क्या अब दौड़ेगा काम?-ग्वालियर रेलवे स्टेशन को वर्ल्ड क्लास बनाने का सपना अभी भी अधूरा है। जिस रफ्तार से काम होना चाहिए था, वो तो कहीं दिख ही नहीं रही। इस सुस्ती पर अब रेलवे ने कड़ा रुख अपनाया है। प्रोजेक्ट में हो रही देरी और लापरवाही को देखते हुए, रेलवे ने एक बड़े अधिकारी को ग्वालियर से हटाकर दूसरी जगह भेज दिया है। अब नए अधिकारी से उम्मीद है कि वे इस अटके हुए काम को पटरी पर लाएंगे। आखिर क्यों इतना धीमा है ये ज़रूरी काम?
500 करोड़ का प्रोजेक्ट, आधे से ज़्यादा बाकी!-यह कोई छोटा-मोटा काम नहीं, पूरे 500 करोड़ रुपये की लागत से ग्वालियर रेलवे स्टेशन को चमकाया जा रहा है। साल 2022 में यह प्रोजेक्ट शुरू हुआ था और इसे 24 महीनों यानी 2024 तक पूरा हो जाना था। लेकिन देखिए, साल 2025 आ गया है और अभी तक काम सिर्फ आधा ही निपटा है। सोचिए, दो साल बीत गए और अभी भी आधा काम बाकी है। यह हालत यात्रियों के लिए तो परेशानी वाली है ही, साथ ही रेलवे के लिए भी चिंता का सबब बन गई है।
ठेका कंपनी की ढिलाई या अधिकारियों की अनदेखी?-रेलवे के अफसरों का कहना है कि इस प्रोजेक्ट में जो ठेका कंपनी काम कर रही है, उसकी तरफ से काफी ढिलाई बरती जा रही है। कंपनी ने समय पर काम पूरा करने के अपने वादे को नहीं निभाया, जिससे प्रोजेक्ट की रफ्तार बुरी तरह प्रभावित हुई। वहीं, कुछ अधिकारी भी इस मामले में लापरवाही बरत रहे थे। इन दोनों की मिली-जुली लापरवाही के कारण ही यह बड़ा और ज़रूरी प्रोजेक्ट बीच में ही अटक गया है। अब उम्मीद है कि नए अधिकारी के आने से और सख्ती से काम होगा।
नई उम्मीद: सुधीर कुमार पटेल के हाथों में कमान-अब ग्वालियर रेलवे स्टेशन के इस बड़े कायाकल्प प्रोजेक्ट की जिम्मेदारी नए अधिकारी सुधीर कुमार पटेल को सौंपी गई है। रेलवे को उम्मीद है कि उनके आने से काम में तेजी आएगी और यात्रियों को जल्द ही बेहतर सुविधाएं मिलने लगेंगी। रेलवे प्रशासन का कहना है कि अब प्रोजेक्ट की निगरानी और भी कड़ी की जाएगी और जवाबदेही तय की जाएगी, ताकि काम समय पर पूरा हो सके और भविष्य में ऐसी देरी न हो।



