Madhya Pradesh

संस्कृत भवनम् उद्घाटन,महर्षि पतंजलि संस्कृत संस्थान अपने कार्यों से निरन्तर सफलता…

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मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा है कि संस्कृत विश्वभाषा है। अन्य भाषाओं की जननी। वैज्ञानिक भाषा। महर्षि पतंजलि संस्कृत संस्थान ने यह सिद्ध कर दिया है कि संस्कृत केवल कर्मकांड की भाषा नहीं अपितु विज्ञान की भाषा है। संस्कृत के अध्ययन से सब कुछ बेहतर से बेहतर किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि महर्षि पतंजलि संस्कृत संस्थान अपने कार्यों से निरन्तर सफल हो रहा है। मुख्यमंत्री श्री चौहान आज महर्षि पतंजलि संस्कृत संस्थान के नवीन भवन “संस्कृत भवनम्” का लोकार्पण कर रहे थे। कार्यक्रम में संस्कृति मंत्री सुश्री उषा ठाकुर, अध्यक्ष महर्षि पतंजलि संस्थान श्री भरतदास बैरागी, अध्यक्ष मध्यप्रदेश योग आयोग श्री वेद प्रकाश शर्मा, अध्यक्ष नगर निगम भोपाल उपस्थित थे। श्री किशन सूर्यवंशी, प्रमुख सचिव स्कूल शिक्षा श्रीमती रश्मी अरुण शमी, आयुक्त लोक शिक्षा श्री अभय वर्मा सहित संस्थान के अधिकारी, शिक्षक, विद्यार्थी एवं नागरिक उपस्थित थे.

मुख्यमंत्री श्री चौहान ने कहा कि भारत एक महान राष्ट्र है। भारत एक बार फिर विश्व गुरु के पद पर स्थापित हो रहा है। हमारे ऋषि-मुनियों ने दुनिया को संदेश दिया था कि “सबको अपना और एक परिवार समझो”। उन्होंने कहा कि जिला और ब्लॉक स्तर तक संस्कृत भाषा के विकास के लिए रणनीति बनाई जाएगी। मुख्यमंत्री श्री चौहान ने कहा कि भारत का योग विश्व में फैला है। हमारा देश पूरी दुनिया को रास्ता दिखाएगा। संस्थान का यह भवन पूरे देश को एक नई दिशा दिखाने में सफल होगा।

मुख्यमंत्री श्री चौहान ने श्री चंद किरण सलूजा को संस्थान में अमूल्य योगदान के लिए सम्मानित किया। संस्कृत की पाठ्य पुस्तकों का विमोचन भी किया। उन्होंने मेधावी छात्रों को सम्मानित भी किया। मुख्यमंत्री ने राशि छात्रों के खातों में ट्रांसफर की। उन्होंने विभिन्न कंपनियों में चयनित होने वाले विद्यार्थियों को प्रमाण पत्र प्रदान किए। प्रदेश में 5 स्थानों पर शोध एवं अध्ययन के लिए प्रोफेसर चेयर स्थापित करने की घोषणा की।

अध्यक्ष श्री भरत दास बैरागी ने कहा कि यह संस्थान समाज के लिए उपयोगी सिद्ध हो रहा है। मुख्यमंत्री श्री चौहान की दूरदृष्टि के अनुरूप संस्थान बड़े उत्साह से कार्य कर रहा है। विद्यार्थियों को आत्म निर्भर बनाने के लिए पाठ्यक्रम लागू किया गया है। आधुनिक गणित के साथ वैदिक गणित को पाठ्यक्रम में शामिल किया गया है। कौशल सिखाने का काम भी चल रहा है। आत्मनिर्भर भारत में संस्कृत का अहम योगदान है। संस्कृत समाज को जोड़ने वाली और राष्ट्र को एक सूत्र में बांधने वाली भाषा है। संस्थान द्वारा योग, ज्योतिष, खगोल विज्ञान और सामाजिक रूप से उपयोगी पाठ्यक्रम शामिल हैं।

मुख्यमंत्री श्री चौहान ने मां सरस्वती और महर्षि पतंजलि के चित्र के समक्ष दीप प्रज्वलित कर कार्यक्रम का शुभारंभ किया। अतिथियों को स्मृति चिन्ह व बुके देकर सम्मानित किया गया। कार्यक्रम में राज्य सरकार द्वारा संस्थान के लिए पिछले दो वर्षों में किए गए कार्यों की झलक दिखाई गई। निदेशक महर्षि पतंजलि संस्कृत संस्थान ने धन्यवाद ज्ञापित किया।

संस्थान की आम सभा की बैठक

कार्यक्रम के उपरान्त मैत्रेयी सभागार में मुख्यमंत्री श्री चौहान की अध्यक्षता में महर्षि पतंजलि संस्कृत संस्थान की आम सभा की बैठक हुई, जिसमें संस्थान की आगामी गतिविधियों एवं कार्यक्रमों के संबंध में चर्चा की गयी. मुख्यमंत्री श्री चौहान ने संस्कृत शिलान्यास योजना को भी स्वीकृति दी।

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