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ईरान-अमेरिका फिर आमने-सामने, परमाणु डील की कहानी में नया मोड़!

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US-Iran Nuclear Deal Update: अमेरिका-ईरान फिर आमने-सामने, मस्कट में हुई अहम बातचीत कई सालों की खामोशी के बाद अब एक बार फिर अमेरिका और ईरान आमने-सामने बैठे हैं, वो भी परमाणु मुद्दे पर बातचीत के लिए। ये मुलाकात ओमान की राजधानी मस्कट में हुई। खास बात ये रही कि ओबामा सरकार के बाद ये पहला मौका है जब दोनों देशों के बीच इतनी खुलकर बातचीत हुई है। इस मीटिंग में ईरान के बढ़ते यूरेनियम संवर्धन को लेकर गंभीर चर्चा हुई। अमेरिका के मिडिल ईस्ट दूत स्टीव विटकॉफ और ईरान के विदेश मंत्री अब्बास अराघची के बीच करीब दो घंटे तक बातचीत चली और दोनों 19 अप्रैल को अगली मुलाकात पर भी तैयार हो गए। 60% यूरेनियम पर अमेरिका को गहरी चिंताईरान इस वक्त 60% तक यूरेनियम संवर्धन कर रहा है, जो अमेरिका के लिए एक चेतावनी की घंटी जैसा है। अमेरिका को डर है कि अब अगला कदम शायद परमाणु हथियार बनाना ही होगा। इसीलिए इस बातचीत में माहौल थोड़ा टेंशन भरा भी रहा। विटकॉफ का साफ संदेश – ‘हथियार बनने से पहले ही रोकना होगा’ अमेरिका की तरफ से स्टीव विटकॉफ ने साफ कह दिया कि उनका मकसद ईरान की हथियार बनाने की क्षमता को वहीं रोक देना है। जबकि ईरानी मंत्री अराघची ने इसे ‘सौम्य बातचीत’ कहकर मामला थोड़ा ठंडा करने की कोशिश की। बातचीत की शुरुआत संदेशों से, फिर आमने-सामने की मुलाकात शुरुआत में बातचीत सोशल मीडिया और मैसेज के ज़रिए हुई थी, लेकिन आगे चलकर दोनों पक्ष आमने-सामने आ ही गए। इससे ये साफ झलकता है कि दोनों देश अब वाकई किसी बड़े समझौते की ओर बढ़ना चाहते हैं।

व्हाइट हाउस की प्रतिक्रिया – सकारात्मक, लेकिन पूरी बात अभी बाकी

बातचीत के बाद व्हाइट हाउस ने इसे सकारात्मक बताया, लेकिन साथ में ये भी कहा कि अभी भी कई पेचीदा मुद्दे हैं, जिन्हें सुलझाना बाकी है। यानी तस्वीर अभी पूरी साफ नहीं है।

ट्रंप का जवाब – ‘सब ठीक है, पर जब तक डील पक्की नहीं होती कुछ नहीं कह सकते’ डोनाल्ड ट्रंप ने बातचीत पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि हालात अच्छे लग रहे हैं, लेकिन जब तक कोई पक्की डील सामने नहीं आती, तब तक कुछ भी तय नहीं है। उनका जवाब वैसा ही था जैसा आमतौर पर डिप्लोमैटिक बयान होते हैं। 19 अप्रैल को फिर बैठक, क्या निकलेगा कोई ठोस नतीजा? दो घंटे की बातचीत के बाद दोनों देशों ने तय किया कि 19 अप्रैल को अगली मीटिंग होगी। हो सकता है उसमें कोई बड़ा फैसला सामने आए या फिर बातचीत बस यूं ही खिंचती रहे। ईरान का साफ कहना – ‘बात करने नहीं, डील करने आए हैं’ ईरानी मंत्री अराघची ने साफ कहा कि हम सिर्फ बातें करने के लिए नहीं बैठे हैं, हमारा मकसद है जल्द से जल्द किसी पक्के समझौते तक पहुंचना। ओमान के विदेश मंत्री बद्र अल-बुसैदी ने बताया कि बातचीत का माहौल अच्छा था और उम्मीद है कि कोई स्थायी हल जरूर निकलेगा। ओमान ने एक बार फिर मध्य एशिया में शांति की कोशिश शुरू की है।

परमाणु समझौता या फिर टकराव? अब आगे का रास्ता तय करेगा भविष्य 60% यूरेनियम और पुराने प्रतिबंधों के बीच फंसी ये बातचीत अब एक बहुत ही नाज़ुक मोड़ पर पहुंच गई है। ये सिर्फ डिप्लोमैटिक बातचीत नहीं, बल्कि भविष्य में शांति या टकराव की दिशा तय कर सकती है। US-Iran Relations: दो देशों के रिश्तों की झलक अमेरिका और ईरान के बीच रिश्तों की शुरुआत 19वीं सदी के आखिर में हुई थी, जब ईरान को फारस कहा जाता था। उस वक्त अमेरिका को एक भरोसेमंद ताकत के तौर पर देखा जाता था। कई अमेरिकी ईरान में अहम पदों पर भी थे। लेकिन 1979 की क्रांति के बाद हालात पूरी तरह बदल गए। इसके बाद दोनों देशों के बीच राजनयिक रिश्ते टूट गए और 1980 से आज तक कोई औपचारिक संबंध नहीं है। US-Iran Trade Relations: व्यापार की तस्वीर 1995 से अमेरिका ने ईरान के साथ व्यापार पर पाबंदी लगा रखी है। हालांकि 2015 में परमाणु समझौते (JCPOA) के बाद कुछ राहत दी गई थी, लेकिन 2018 में ट्रंप सरकार ने इस डील से बाहर आकर फिर से प्रतिबंध लगा दिए। इसके चलते दोनों देशों के व्यापारिक रिश्ते और खराब हो गए।

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