Madhya Pradesh

मंत्री श्री सखलेचा – भारत अध्यात्म के साथ विज्ञान का भी केंद्र…

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विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्री श्री ओमप्रकाश सखलेचा ने कहा है कि भारत विश्व में अध्यात्म की राजधानी रहा है और विज्ञान का सबसे शक्तिशाली केंद्र भी रहा है। हमारे ऋषि वैज्ञानिकों ने बड़ी-बड़ी खोजें की हैं, जिन्हें आधुनिक विज्ञान अभी खोज नहीं पाया है। आज हम मोबाइल के माध्यम से दूर-दूर से एक दूसरे से बात कर पाते हैं, लेकिन प्राचीन काल में एक दौर था जब ऋषि-मुनि एक-दूसरे के मन की बात पढ़ लेते थे, आधुनिक भाषा में इसे टेलीपैथी कहते हैं। श्री सखलेचा मंगलवार को मेपकास्ट में राष्ट्रीय विज्ञान दिवस पर आयोजित कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में बोल रहे थे। कार्यक्रम में विशिष्ट अतिथि के रूप में डॉ. जे.वी. यखमी, पूर्व एसोसिएट डायरेक्टर, फिजिक्स ग्रुप, बीएआरसी मुंबई शामिल थे, जबकि कार्यक्रम की अध्यक्षता परिषद के महानिदेशक डॉ. अनिल कोठारी ने की।

मंत्री श्री सखलेचा ने कहा कि हम एक ऐसा वातावरण बना रहे हैं जहां कल्पना और रचनात्मकता पनपे। विज्ञान की शुरुआत विचारों से होती है, जब तक विचार मन में नहीं आएंगे तब तक आप कोई रचना, कोई आविष्कार नहीं कर पाएंगे। विश्व विज्ञान दिवस पर प्रदेश भर में 120 से अधिक स्थानों पर मैपकास्ट के माध्यम से वैश्विक कल्याण के लिए वैश्विक विज्ञान विषय पर कार्यक्रम आयोजित किए गए। इस अवसर पर मध्यप्रदेश भोज मुक्त विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. संजय तिवारी, विज्ञान भारती के राष्ट्रीय संगठन मंत्री प्रवीण रामदास सहित विज्ञान प्रेमी उपस्थित थे।

कार्यक्रम में भोज मुक्त विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. तिवारी ने कहा कि रमन इफेक्ट एक ऐसी खोज है, जो 95 साल बाद भी हमारे जीवन में प्रासंगिक है और भविष्य में और भी प्रासंगिक बनेगी. आज भारत फिर से विश्व गुरु बनने की ओर अग्रसर है। सीवी रमन को नोबेल पुरस्कार मिलने की कहानी बताते हुए उन्होंने कहा कि नवंबर के महीने में नोबेल पुरस्कार की घोषणा होनी थी. लेकिन सीवी रमन अपने ईनाम को लेकर इतने आश्वस्त थे कि उन्होंने मई में ही टिकट बुक करा लिया था.

विज्ञान भारती के राष्ट्रीय सचिव प्रवीण रामदास ने कहा कि अब पूरा देश जी20 की तैयारी कर रहा है। हमारा देश पहले से ग्लोबल वेलबीइंग खेलता आ रहा है, हम वो देश हैं जो सर्वे भवन्तु सुखिन की बात करते हैं। यहाँ तक कि हम न केवल सजीवों के लिए बल्कि निर्जीव वस्तुओं के लिए भी सोचते हैं। यही कारण है कि हमारी संस्कृति में नदियों और वृक्षों की भी पूजा की जाती है।

मध्यप्रदेश विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी परिषद के महानिदेशक डॉ. कोठारी ने कहा कि भारत को आत्मनिर्भर बनाने में विज्ञान की महत्वपूर्ण भूमिका होगी. आज हम बात करते हैं ड्रोन तकनीक की, कैसे ये तकनीक हमारे जीवन को बदल सकती है, कृषि में क्या विकास हो सकता है। हाँ, यह सब विज्ञान पर आधारित है। यह गर्व की बात है कि हम भारत की कई संस्थाओं को मानचित्र संबंधी आंकड़े उपलब्ध करा रहे हैं। हमने हाल ही में संपन्न इंडिया इंटरनेशनल साइंस फेस्टिवल को भी सीमित समय में सफलतापूर्वक पूरा किया था और हमें इससे सकारात्मक प्रतिक्रिया भी मिली है।

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