पी. जयचंद्रन का 80 वर्ष की आयु में निधन हो गया, गायक ने 16000 से अधिक गाए गाने ।
पी जयचंद्रन: भारतीय गायक पी जयचंद्रन, जो भारत और विदेशों में अपने गाने के लिए जाने जाते थे, 9 जनवरी 2025 को इस दुनिया को अलविदा कह गए। उन्होंने 80 साल की उम्र में अंतिम सांस ली। अपने छह दशकों के करियर में, पी जयचंद्रन ने 16,000 से अधिक गाने गाए। पी जयचंद्रन की आवाज़ की जादूगरी पी जयचंद्रन की सुरीली आवाज़ के लिए उन्हें विश्वभर में पहचान मिली। इस महान गायक ने त्रिशूर के एक निजी अस्पताल में इलाज के दौरान अंतिम सांस ली। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, वह लंबे समय से बीमार थे। उनकी मृत्यु की खबर सुनकर संगीत उद्योग में शोक की लहर दौड़ गई है। ‘भाव गायकन’ के नाम से मशहूर गायक जयचंद्रन के प्रशंसक सोशल मीडिया पर उनके प्रति श्रद्धांजलि अर्पित कर रहे हैं। पी जयचंद्रन, जिन्हें ‘भाव गायकन’ के नाम से भी जाना जाता है, ने भारतीय संगीत प्रेमियों के लिए एक अद्वितीय धरोहर छोड़ी है। अपनी गहरी और दर्दभरी आवाज़ के लिए प्रसिद्ध, जयचंद्रन ने मलयालम, तमिल, तेलुगु, कन्नड़ और हिंदी फिल्मों के कई गानों में अपनी सुरीली आवाज़ दी है। फ़िल्म गानों के अलावा, उन्होंने कई भक्ति गाने भी गाए हैं।
लोगों के दिलों में खास जगह जयचंद्रन ने अपनी गायकी के माध्यम से लोगों के दिलों में एक विशेष स्थान बना लिया था। फ़िल्मों के साथ-साथ, उन्होंने कई भक्ति गाने भी गाए, जिससे वह भारतीय प्लेबैक इतिहास के सबसे लोकप्रिय गायकों में से एक बन गए। उनके परिवार में उनकी पत्नी ललिता, बेटी लक्ष्मी और बेटा दिनानाथ हैं। विशेष पुरस्कार प्राप्त किए पी जयचंद्रन को कई पुरस्कार मिले, जिनमें बेस्ट प्लेबैक सिंगर के लिए राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार, 5 केरल राज्य फिल्म पुरस्कार, 4 तमिलनाडु राज्य फिल्म पुरस्कार, केरल सरकार का जेसी डेनियल पुरस्कार और तमिलनाडु सरकार का कलैमामनी पुरस्कार शामिल हैं। उन्हें फिल्म ‘श्री नारायण गुरु’ में ‘शिव शंकर शरण सर्व विवो’ के लिए राष्ट्रीय पुरस्कार मिला। ‘कुंजाली मारक्कर’ से किया करियर की शुरुआत पी जयचंद्रन ने 1965 में फिल्म ‘कुंजाली मारक्कर’ के गाने ‘ओरु मुल्लप्पुमालमय’ से एक प्लेबैक सिंगर के रूप में अपने संगीत करियर की शुरुआत की। यह गाना पी भास्करन द्वारा लिखा गया था और चिदंबरनाथ द्वारा संगीतबद्ध किया गया था। यह गाना बहुत प्रसिद्ध हुआ।