प्रधानमंत्री मोदी ने बिहार के राजगीर में नालंदा विश्वविद्यालय के नए परिसर का किया उद्घाटन…
इस अवसर पर राज्यपाल राजेंद्र वी आर्लेकर, मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और विदेश मंत्री एस जयशंकर भी मौजूद थे। नए परिसर का उद्घाटन करने से पहले मोदी ने विश्वविद्यालय के पास स्थित यूनेस्को विश्व धरोहर स्थल ‘नालंदा महाविहार’ का दौरा किया। इस शैक्षणिक संस्थान की स्थापना 2010 में नालंदा विश्वविद्यालय अधिनियम के तहत की गई थी और इसने 2014 में काम करना शुरू किया। पांचवीं शताब्दी से अस्तित्व में रहे प्राचीन नालंदा विश्वविद्यालय ने दुनिया भर के छात्रों को आकर्षित किया। विशेषज्ञों के अनुसार, 12वीं शताब्दी में आक्रमणकारियों द्वारा नष्ट किए जाने से पहले यह 800 वर्षों तक फलता-फूलता रहा। प्रधानमंत्री ने कहा कि नालंदा के प्राचीन खंडहरों के पास इसका पुनरुद्धार दुनिया को भारत की क्षमताओं को दिखाएगा क्योंकि यह दुनिया को बताएगा कि मजबूत मानवीय मूल्यों वाले राष्ट्र इतिहास को फिर से जीवंत करके एक बेहतर दुनिया बनाने में सक्षम हैं। श्री मोदी ने इस बात पर जोर दिया कि नालंदा में दुनिया, एशिया और कई देशों की विरासत समाहित है और इसका पुनरुद्धार सिर्फ भारतीय पहलुओं के पुनरुद्धार तक सीमित नहीं है। उन्होंने नालंदा परियोजना में मित्र देशों के योगदान की सराहना करते हुए कहा कि आज के उद्घाटन में इतने सारे देशों की उपस्थिति से यह स्पष्ट है। उन्होंने नालंदा में परिलक्षित गौरव को वापस लाने के लिए बिहार के लोगों के दृढ़ संकल्प की भी प्रशंसा की।
यह बताते हुए कि नालंदा कभी भारतीय संस्कृति और परंपराओं का जीवंत केंद्र था, प्रधानमंत्री ने कहा कि नालंदा का उद्देश्य ज्ञान और शिक्षा का निरंतर प्रवाह है, जो शिक्षा के प्रति भारतीय दृष्टिकोण और मानसिकता है। प्रधानमंत्री ने कहा, “शिक्षा सीमाओं से परे है। यह मूल्यों और मानसिकता को आकार देते हुए उसे विकसित करती है।” उन्होंने जोर देकर कहा कि प्राचीन नालंदा विश्वविद्यालय में छात्रों को उनकी पहचान और राष्ट्रीयता की परवाह किए बिना प्रवेश दिया जाता था। उन्होंने आधुनिक स्वरूप में नालंदा विश्वविद्यालय के नए खुले परिसर में उन्हीं प्राचीन परंपराओं को मजबूत करने की आवश्यकता पर भी जोर दिया। इस बात पर प्रसन्नता व्यक्त करते हुए कि 20 से अधिक देशों के छात्र पहले से ही नालंदा विश्वविद्यालय में अध्ययन कर रहे हैं, प्रधानमंत्री ने कहा कि यह ‘वसुधैव कुटुम्बकम’ का एक आदर्श उदाहरण है।
प्रधानमंत्री ने दुनिया में सबसे उन्नत शोध-उन्मुख उच्च शिक्षा प्रणाली के साथ-साथ सबसे व्यापक और व्यापक योग्यता प्रणाली बनाने के लिए सरकार के प्रयासों पर प्रकाश डाला। उन्होंने वैश्विक रैंकिंग में भारतीय विश्वविद्यालयों के बेहतर प्रदर्शन का भी उल्लेख किया। पिछले 10 वर्षों में शिक्षा और कौशल विकास में हालिया उपलब्धियों पर प्रकाश डालते हुए, प्रधानमंत्री ने क्यूएस में भारतीय शैक्षणिक संस्थानों की संख्या 9 से बढ़कर 46 और टाइम्स हायर एजुकेशन इम्पैक्ट रैंकिंग में 13 से बढ़कर 100 हो जाने का उल्लेख किया। प्रधानमंत्री ने बताया कि भारत में पिछले 10 वर्षों के दौरान हर सप्ताह एक विश्वविद्यालय की स्थापना की गई, हर दिन एक नया आईटीआई स्थापित किया गया, हर तीसरे दिन एक अटल टिंकरिंग लैब खोली गई और हर दिन दो नए कॉलेज स्थापित किए गए। उन्होंने आगे कहा कि आज भारत में 23 आईआईटी हैं, आईआईएम की संख्या 13 से बढ़कर 21 हो गई है और एम्स की संख्या लगभग तीन गुना बढ़कर 22 हो गई है। उन्होंने कहा, “10 वर्षों में मेडिकल कॉलेजों की संख्या भी लगभग दोगुनी हो गई है।” क्षेत्र में, प्रधानमंत्री ने नई शिक्षा नीति का उल्लेख किया और कहा कि इसने भारतीय युवाओं के सपनों को एक नया आयाम दिया है। श्री मोदी ने भारतीय और विदेशी विश्वविद्यालयों के सहयोग और डीकिन और वोलोंगोंग जैसे अंतरराष्ट्रीय विश्वविद्यालयों के नए परिसरों के खुलने का भी उल्लेख किया। पीएम मोदी ने कहा, “इन सभी प्रयासों के कारण, भारतीय छात्रों को उच्च शिक्षा के लिए भारत में सर्वश्रेष्ठ शैक्षणिक संस्थान मिल रहे हैं। इससे हमारे मध्यम वर्ग का पैसा भी बचता है।” हाल ही में प्रमुख भारतीय संस्थानों के वैश्विक परिसरों के खुलने का जिक्र करते हुए प्रधानमंत्री ने नालंदा के लिए भी यही उम्मीद जताई।