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महिला कर्मियों की मुश्किलें: सोनिया गांधी ने राज्यसभा में उठाया बड़ा मुद्दा

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वरिष्ठ कांग्रेस नेता सोनिया गांधी ने राज्यसभा में देश की फ्रंटलाइन महिला कर्मियों की स्थिति पर गहरी चिंता जताई। उन्होंने कहा कि आशा वर्कर, आंगनवाड़ी कार्यकर्ता और राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन से जुड़ी महिलाएं बहुत जिम्मेदारी निभा रही हैं, लेकिन वेतन कम और काम का बोझ ज्यादा होने से परेशान हैं।

कम वेतन और सुरक्षा की कमी पर सवाल- सोनिया गांधी ने बताया कि आशा वर्कर टीकाकरण, मातृ स्वास्थ्य और परिवार कल्याण जैसे अहम काम करती हैं, लेकिन उन्हें आज भी वालंटियर माना जाता है। उन्हें न तो सम्मानजनक वेतन मिलता है और न ही पर्याप्त सामाजिक सुरक्षा, जो चिंता का विषय है।

आंगनवाड़ी कर्मियों की कम आय- उन्होंने कहा कि आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं को केंद्र सरकार से मात्र 4,500 रुपये और सहायिकाओं को 2,250 रुपये मासिक मिलते हैं। इतने कम वेतन में परिवार चलाना मुश्किल है, जबकि इन महिलाओं पर बच्चों और माताओं की सेहत की बड़ी जिम्मेदारी होती है।

ICDS में तीन लाख पद खाली- सोनिया गांधी ने बताया कि एकीकृत बाल विकास सेवा योजना (ICDS) में करीब तीन लाख पद खाली हैं, जिससे लाखों बच्चों और महिलाओं को जरूरी सेवाएं नहीं मिल पा रही हैं। 2011 के बाद जनगणना न होने से नियुक्तियां भी आबादी के हिसाब से कम हो रही हैं।

सरकार से ठोस कदम उठाने की मांग- सोनिया गांधी ने केंद्र सरकार से अपील की कि सभी खाली पद जल्द भरे जाएं, समय पर वेतन भुगतान हो और केंद्र का वेतन योगदान दोगुना किया जाए। साथ ही 2,500 से ज्यादा आबादी वाले गांवों में आशा वर्कर और आंगनवाड़ी कर्मियों की संख्या बढ़ाई जाए।

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