Madhya Pradesh

मरीजों के लिए राहत: सरकारी अस्पताल में अब गले और हाथ-पैर की नसों की भी एंजियोप्लास्टी की सुविधा

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शासकीय अस्पतालों में अब गले, हाथ-पैर की नसों की एंजियोप्लास्टी, मरीजों को बड़ा फायदा

इंदौर: सरकारी अस्पतालों में अब मरीजों को आधुनिक इलाज की सुविधाएं मिलने लगी हैं। हार्ट के अलावा अब गले, हाथ और पैर की नसों की एंजियोप्लास्टी भी की जा रही है, जिससे मरीजों को तेजी से राहत मिल रही है।

इंदौर के सुपर स्पेशियलिटी अस्पताल में मिल रही सुविधा

यह अत्याधुनिक सुविधा इंदौर के सुपर स्पेशियलिटी अस्पताल में उपलब्ध कराई जा रही है। अब तक 12 मरीजों की सफल एंजियोप्लास्टी हो चुकी है, जिससे उन्हें बिना बड़ी सर्जरी के राहत मिली है।

लकवे के मरीजों के लिए बड़ी राहत

विशेषज्ञों के अनुसार, अब गले, हाथ और पैर की ब्लॉक नसों की एंजियोप्लास्टी भी संभव है।

  • गले की नसों में ब्लॉकेज होने पर लकवे का खतरा बढ़ जाता है। ऐसे मरीजों की नस में खून की सप्लाई कम होने लगती है, जिससे लकवा हो सकता है।
  • इस तकनीक में विशेष फिल्टर लगाकर नसों को खोला जाता है, जिससे मरीज को जल्द आराम मिलता है।
  • इसी तरह हाथ और पैरों की नसों में ब्लॉकेज होने से खून का प्रवाह रुक जाता है, जिससे हाथ-पैर नीले पड़ने लगते हैं।
  • अगर समय पर इलाज न मिले तो अंग काटने की नौबत भी आ सकती है, लेकिन एंजियोप्लास्टी इस स्थिति से बचाने में कारगर साबित हो रही है।

निजी अस्पतालों में लाखों का खर्च, सरकारी अस्पताल में मुफ्त इलाज

अगर यह इलाज निजी अस्पतालों में कराया जाए तो करीब 3 से 4 लाख रुपये खर्च हो सकते हैं, लेकिन इंदौर के सुपर स्पेशियलिटी अस्पताल में आयुष्मान योजना के तहत मरीजों का इलाज मुफ्त में किया जा रहा है। जिनके पास आयुष्मान कार्ड नहीं है, उन्हें भी बहुत कम कीमत पर यह सुविधा दी जा रही है।

मध्य प्रदेश में कहां उपलब्ध है यह सुविधा?

मध्य प्रदेश के रीवा, जबलपुर, भोपाल और इंदौर में सुपर स्पेशियलिटी अस्पताल संचालित हैं, लेकिन फिलहाल यह सुविधा केवल इंदौर में उपलब्ध है।

समय पर इलाज करवाना जरूरी

विशेषज्ञों का कहना है कि नसों में थक्का जमने या कोलेस्ट्रॉल बढ़ने से खून का प्रवाह बाधित होता है।

  • इससे नसें सिकुड़ने लगती हैं और चलने-फिरने में दर्द महसूस होता है।
  • कई लोग इसे नजरअंदाज कर देते हैं, जिससे स्थिति और बिगड़ सकती है।
  • अगर समय रहते इलाज न मिले, तो हाथ-पैर नीले पड़ सकते हैं और गंभीर स्थिति में अंग काटना भी पड़ सकता है।

समय पर सही इलाज मिल जाए तो मरीज बड़ी परेशानी से बच सकते हैं और सामान्य जीवन जी सकते हैं।

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