मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल की पहल पर ग्रामीण गरीब परिवारों को रोजगार एवं आय के साधन उपलब्ध कराने के लिये गांव के गौठानों को ग्रामीण औद्योगिक पार्क के रूप में विकसित किया जा रहा है जहां विभिन्न आजीविका मूलक गतिविधियों का संचालन किया जा रहा है. योजनान्तर्गत प्रथम चरण में प्रत्येक विकासखण्ड में दो-दो गौठानों का चयन किया गया है।
ग्रामीण आजीविका पार्क में ग्रामीणों को आजीविका संवर्धन के लिए मूलभूत सुविधाएं जैसे आंतरिक सड़क, बिजली, पानी और नाली प्रणाली, वर्कशेड, भंडारण, प्रशिक्षण, विपणन सहायता, तकनीकी मार्गदर्शन आदि उपलब्ध कराया जा रहा है। योजना में इच्छुक स्थानीय युवाओं, स्वयं सहायता समूहों की पहचान कर उद्यमियों को विभिन्न योजनाओं के तहत पात्रता के अनुसार व्यवसाय योजना, अनुदान, सब्सिडी या शून्य ब्याज दर पर ऋण के आधार पर बैंक से मशीनरी और ऋण प्रदान किया जा रहा है, जिससे गौठानों में स्थापित ग्रामीण औद्योगिक केन्द्रों में कार्यरत युवा ग्रामीण उद्यमियों के सपनों को एक नया आयाम मिल रहा है.
ग्रामीण गरीब परिवारों की अतिरिक्त आय का साधन बन रहा औद्योगिक पार्क
महासमुंद जिले के बिरकोनी गौठान में महिला स्वयं सहायता समूह दोना पाताल बनाने के कार्य से जुड़कर अपनी आय बढ़ाकर आत्मनिर्भर बन रही है. नारी शक्ति स्वयं सहायता महिला समूह में 10 महिलाएं हैं। पहले समूह की महिलाएं केवल पैसे बचाने तक ही सीमित थीं। लेकिन हाल ही में बिरकोनी गौठान में महात्मा गांधी ग्रामीण औद्योगिक पार्क (आरआईपीए) के तहत महिलाओं ने दोना पाताल बनाने का काम शुरू किया। समूह की प्रखंड परियोजना प्रबंधक (बीपीएम) सुश्री रेखा रानी नागपुरे ने बताया कि पहले यह कार्य ग्राम संगठन द्वारा किया जाता था. ग्रामीण आजीविका मिशन से मदद मिली, वहीं अब रीपा के तहत स्थापित दोना पत्तल मशीन से काफी सहूलियत हुई है.
हाल ही में रीपा में दोना पत्तल मशीन लगाई गई है। प्रशासन की ओर से प्रशिक्षण के बाद काम शुरू कर दिया गया है। वर्तमान में गांव व आसपास के क्षेत्रों में होने वाली शादियों में 25 हजार से अधिक दाना-पत्तल बेचकर 15 हजार रुपये का मुनाफा कमाया है. समूह द्वारा तैयार दोना पत्तल की मांग आसपास के गांवों व शहरों में की जा रही है। समूह की महिलाओं ने कहा कि उनका दोना पाताल का काम बहुत अच्छा चल रहा है। इससे समूह को काफी फायदा हो रहा है।