शेयर बाजार में भारी गिरावट, सेंसेक्स 75,000 के नीचे, निफ्टी 188 अंक कमजोर

शेयर बाजार में बड़ी गिरावट: सेंसेक्स 567 अंक टूटा, विदेशी निवेशकों की बिकवाली जारी सोमवार को भारतीय शेयर बाजार में बड़ी गिरावट देखने को मिली। अमेरिकी बाजारों में कमजोरी, विदेशी निवेशकों की लगातार बिकवाली और अमेरिकी टैरिफ को लेकर बढ़ती चिंताओं के कारण सेंसेक्स और निफ्टी लाल निशान में खुले।
सेंसेक्स और निफ्टी में भारी गिरावट
बीएसई सेंसेक्स 567.62 अंक गिरकर 74,743.44 पर पहुंच गया, जबकि एनएसई निफ्टी 188.4 अंक लुढ़ककर 22,607.50 पर आ गया। सेंसेक्स के टॉप लूजर्स में HCL टेक, इंडसइंड बैंक, Zomato, टेक महिंद्रा, TCS, ICICI बैंक, HDFC बैंक और पावर ग्रिड शामिल रहे। वहीं, मारुति और महिंद्रा एंड महिंद्रा बढ़त में रहे।
विदेशी निवेशकों की बिकवाली जारी
शेयर बाजार में विदेशी निवेशकों (FIIs) की लगातार बिकवाली जारी है। शुक्रवार को उन्होंने 3,449.15 करोड़ रुपये के शेयर बेचे। इस महीने अब तक भारतीय बाजारों से 23,710 करोड़ रुपये की निकासी हो चुकी है, जिससे 2025 में कुल निकासी 1 लाख करोड़ रुपये के पार पहुंच गई है।
वैश्विक बाजारों से भी दबाव
अमेरिकी बाजारों में तेज गिरावट के चलते एशियाई बाजारों में भी कमजोरी देखी गई। सियोल, शंघाई और हॉन्गकॉन्ग के शेयर बाजार लाल निशान में कारोबार कर रहे थे। ब्रेंट क्रूड ऑयल भी 2.13% गिरकर 74.43 डॉलर प्रति बैरल पर पहुंच गया, जिससे बाजार पर और दबाव बना।
विशेषज्ञों की राय
Geojit Financial Services के चीफ इन्वेस्टमेंट स्ट्रेटेजिस्ट वी.के. विजयकुमार का कहना है कि, “विदेशी निवेशकों की बिकवाली और अमेरिका में संभावित टैरिफ बढ़ोतरी के कारण बाजार दबाव में है। इसके अलावा, अमेरिकी फेडरल रिजर्व द्वारा ब्याज दरों में कटौती की उम्मीद भी कम होती जा रही है।” StoxBox के सीनियर टेक्निकल एनालिस्ट अमेया रणदिवे ने कहा कि, “अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के संभावित दूसरे कार्यकाल में टैरिफ को लेकर अनिश्चितता बनी हुई है। विदेशी निवेशकों की बिकवाली से बाजार पर दबाव बना रह सकता है, खासकर इस हफ्ते, जो छुट्टियों के कारण छोटा रहेगा।”
शुक्रवार को भी बाजार में गिरावट
पिछले कारोबारी दिन यानी शुक्रवार को भी भारतीय बाजार गिरावट के साथ बंद हुए थे।
- सेंसेक्स 424.90 अंक (-0.56%) गिरकर 75,311.06 पर बंद हुआ।
- निफ्टी 117.25 अंक (-0.51%) गिरकर 22,795.90 पर बंद हुआ।
बाजार की नजर अब आगे आने वाले ग्लोबल इकोनॉमिक ट्रेंड्स और विदेशी निवेशकों के मूवमेंट पर बनी रहेगी।