भोपाल में भीख देने पर कड़ी कार्रवाई, एमपी नगर थाने में पहली FIR दर्ज
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भोपाल: भीख देने और लेने वालों पर सख्ती, एमपी नगर थाने में पहली FIR दर्ज
भोपाल में भिक्षावृत्ति पर रोक लगाने की दिशा में बड़ी कार्रवाई हुई है। बुधवार को एमपी नगर थाने में पहली बार किसी भिखारी और दानदाता के खिलाफ FIR दर्ज की गई। यह शिकायत समाजसेवी मोहन सोनी की ओर से की गई, जिन्होंने भिक्षावृत्ति की वीडियोग्राफी कर पुलिस को सौंपी।
वीडियो सबूत के आधार पर मामला दर्ज
पुलिस ने बीएनएस की धारा 223 के तहत मामला दर्ज किया है। इससे पहले, एक युवक और भिखारी के बीच विवाद होने पर पुलिस ने झगड़े का मामला दर्ज किया था। समाजसेवी मोहन सोनी, जो एक गैर-सरकारी संस्था में सचिव हैं, को भिक्षावृत्ति पर रोक लगाने के कलेक्टर के आदेश के तहत कार्रवाई की जिम्मेदारी दी गई है। बुधवार दोपहर वह अपनी टीम के साथ बोर्ड ऑफिस चौराहे पहुंचे, जहां उन्होंने देखा कि एक ट्रक चालक भिक्षुक को भीख दे रहा था। टीम ने इस पूरी घटना की वीडियोग्राफी की, लेकिन जब उन्हें पकड़ने की कोशिश की गई, तो दोनों भाग निकले। पुलिस ने वीडियो को आधार बनाकर ट्रक चालक और भिक्षुक के खिलाफ मामला दर्ज कर लिया।
भिक्षावृत्ति रोकने के लिए बनीं टीमें, संस्थाओं को सौंपी गई जिम्मेदारी
भोपाल शहर में भिक्षावृत्ति को खत्म करने के लिए बुधवार से कई टीमें सक्रिय हो गईं। इन टीमों ने शहर के अलग-अलग हिस्सों में जाकर भिखारियों से पूछताछ की और उन्हें आश्रय गृह में जाने की सलाह दी। हालांकि, अधिकांश भिखारियों ने वहां जाने से इनकार कर दिया। अब प्रशासन ने भिक्षावृत्ति रोकने की जिम्मेदारी समाजसेवी संस्थाओं को सौंप दी है। खासतौर पर एयरपोर्ट से लेकर रोशनपुरा चौराहे तक भिखारियों की पहचान के लिए टीमों का गठन किया गया है।
अधिकारियों को सौंपी गई जिम्मेदारी
जिला पंचायत की सीईओ इला तिवारी ने आदेश जारी कर अधिकारियों को निर्देश दिए कि वे एयरपोर्ट से रोशनपुरा चौराहे तक भिखारियों की पहचान करें और उनके साथ भीख देने वालों के खिलाफ कार्रवाई करें। इस कार्रवाई के लिए बीएनएस की धारा 223 का उपयोग किया जाएगा। अधिकारियों को अपने अधीनस्थ टीमों की जिम्मेदारी सौंपी गई है, जिनका नेतृत्व समाजसेवी मोहन सोनी और संगीता नेल्लोर करेंगे।
महिलाओं के विरोध से टीम को वापस लौटना पड़ा
जब टीमें शहर में भिखारियों की पहचान करने निकलीं, तो बोर्ड ऑफिस चौराहे पर उन्हें कुछ लोग सामान बेचते हुए मिले। टीम को देखकर ये लोग पहले तो भागे, लेकिन बाद में उन्होंने विरोध जताना शुरू कर दिया। महिलाओं ने कहा कि वे भीख नहीं मांग रहीं, बल्कि अपना सामान बेचकर गुजारा कर रही हैं। जब सामाजिक न्याय विभाग के उपायुक्त आरके सिंह ने उन्हें भिक्षुक गृह ले जाने की बात कही, तो वे गुस्से में आ गए। आखिरकार, स्थिति को देखते हुए टीम को वापस लौटना पड़ा।