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₹430 करोड़ निवेश के साथ TEAL की नई शुरुआत

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 TEAL: टाइटन इंजीनियरिंग एंड ऑटोमेशन लिमिटेड (TEAL), जो टाइटन ग्रुप की सहायक कंपनी है, ने अगले पाँच सालों में अपने विभिन्न क्षेत्रों – इलेक्ट्रॉनिक कंपोनेंट्स, एयरोस्पेस, ऑटोमेशन और चिप कंपोनेंट्स – में ₹430 करोड़ का निवेश करने की योजना बनाई है। खास बात यह है कि होसुर स्थित यह कंपनी अपने इलेक्ट्रॉनिक्स प्रोजेक्ट के साथ चेन्नई में कदम रखने जा रही है। होसुर में, जहां कंपनी ने पहले ही ₹40 करोड़ का निवेश करके सेमीकंडक्टर कंपोनेंट्स बनाने की यूनिट लगाई है, अब वह ₹430 करोड़ में से ₹180 करोड़ और निवेश करके वेफर फैब्स के लिए कंपोनेंट्स बनाएगी, जिनका इस्तेमाल सेमीकंडक्टर निर्माण में होता है। इसके अलावा, TEAL होसुर में जल्द ही अपना चौथा प्लांट खोलेगी, जिसके लिए उसने 10 एकड़ जमीन पहले ही खरीद ली है। TEAL के मैनेजिंग डायरेक्टर और सीईओ, एन. पी. श्रीधर ने DH को होसुर में अपनी एक फैसिलिटी में बताया, “हम अच्छे ग्रोथ ट्रैक पर हैं। 2023-24 के वित्तीय वर्ष में हमारा रेवेन्यू ₹761 करोड़ था, और हमें उम्मीद है कि यह 20% से 25% की दर से बढ़ेगा।” कंपनी 2024-25 के वित्तीय वर्ष में ₹900 करोड़ का रेवेन्यू लक्ष्य बना रही है।

चेन्नई में कंपनी की नई फैसिलिटी लीज पर ली गई जमीन पर बनेगी, ताकि इलेक्ट्रॉनिक्स मैन्युफैक्चरर्स के करीब रह सकें। श्रीधर ने बताया कि TEAL अब ऑटोमेशन सेक्टर में घरेलू बाजार से ज्यादा क्लाइंट जोड़ने पर फोकस कर रही है, क्योंकि भारत अब कई उत्पादों के लिए सबसे बड़े बाजारों में से एक बनता जा रहा है। उन्होंने कहा, “अभी के समय में ऑटोमेशन सेक्टर में हमारा एक्सपोर्ट और डोमेस्टिक मार्केट 50:50 है। लेकिन अगले वित्तीय वर्ष में घरेलू बाजार का हिस्सा 60% तक पहुंच सकता है, क्योंकि हम कई घरेलू कंपनियों के साथ काम कर रहे हैं। हमारी ग्रोथ ऑटोमोटिव, इलेक्ट्रिक व्हीकल्स, इलेक्ट्रॉनिक्स और सोलर जैसे सेक्टर्स से आएगी।” हालांकि, एयरोस्पेस और सेमीकंडक्टर के कंपोनेंट्स का निर्यात जारी रहेगा, जब तक कि भारत में प्लेन और चिप्स का निर्माण शुरू नहीं होता। TEAL अपने होसुर प्लांट्स में मॉडर्न असेंबली लाइन्स बनाती है, उन्हें पूरी तरह से टेस्ट करती है, फिर उन्हें डिसमैंटल करके ग्राहकों के स्थान पर इंस्टॉल करती है। इस प्रक्रिया में लगभग 9 महीने से एक साल तक का समय लगता है।

“हमारे पहले ग्राहक डेल्फी ऑटोमोटिव थे। पहले हम यूरोप से मशीनें इंपोर्ट करते थे, लेकिन अब हम फ्रांस और जर्मनी जैसे देशों में ऑटोमोटिव कंपनियों के लिए असेंबली लाइन्स एक्सपोर्ट करते हैं। आज हमारे ऑटोमेशन बिजनेस में 150 से ज्यादा ग्राहक हैं और हमने लगभग 800 प्रोजेक्ट्स डिलीवर किए हैं,” श्रीधर ने बताया। TEAL द्वारा बनाए गए पार्ट्स, जैसे टर्बाइन डिस्क, इंपेलर और डिफ्यूज़र, एयरबस और बोइंग के वाइड-बॉडी एयरक्राफ्ट्स में मिलते हैं। इसके अलावा, कार या टू-व्हीलर के डोर लैच, ब्रेक और इंजन कूलिंग मोटर में भी TEAL के पार्ट्स इस्तेमाल होते हैं। दुनिया के सबसे बड़े रक्षा उपकरण निर्माताओं में से एक रेथियॉन भी TEAL का ग्राहक है। सेमीकंडक्टर सेक्टर पर बात करते हुए श्रीधर ने बताया कि कंपनी ने कोविड-19 महामारी के दौरान इस सेक्टर में कदम रखा, जब देश में सप्लाई चेन की कमी थी। साथ ही, एयरोस्पेस सेक्टर में उनकी विशेषज्ञता सेमीकंडक्टर इंडस्ट्री के लिए उपयोगी थी। “हमने अपनी मौजूदा क्षमता और काबिलियत का फायदा उठाने का फैसला किया और एक बड़ी कंपनी ने हमसे संपर्क किया। हम पिछले दो सालों से उस कंपनी के साथ काम कर रहे हैं। सेमीकंडक्टर एक बढ़ता हुआ सेक्टर है, भले ही इसका चक्र ऊपर-नीचे होता रहता है। जब भारत में इसके लिए जरूरी इकोसिस्टम तैयार होगा, तो हमारी ग्रोथ और तेज हो जाएगी,” श्रीधर ने कहा।

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