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उपराष्ट्रपति चुनाव पर BRS का रुख साफ नहीं: KTR बोले- किसानों के हक के बिना नहीं देंगे समर्थन

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चुनावों से पहले BRS का दांव: यूरिया संकट पर टिकी उम्मीदें!

चुनावों के बीच BRS का सधा हुआ कदम-जैसे-जैसे उपराष्ट्रपति चुनाव नजदीक आ रहे हैं, NDA और I.N.D.I.A. दोनों ही खेमे अपने-अपने उम्मीदवारों को लेकर मंथन कर रहे हैं। लेकिन इन सबके बीच, भारत राष्ट्र समिति (BRS) ने अभी तक अपना पत्ता नहीं खोला है। पार्टी के कार्यकारी अध्यक्ष, के.टी. रामाराव (KTR) ने साफ कर दिया है कि अभी तक किसी भी दल ने उनसे समर्थन मांगने के लिए संपर्क नहीं किया है। उनका कहना है कि पार्टी में आपसी विचार-विमर्श के बाद ही कोई फैसला लिया जाएगा। KTR ने यह भी स्पष्ट किया कि BRS का समर्थन उसी पार्टी को मिलेगा जो किसानों की समस्याओं को गंभीरता से लेगी और उनके हित में काम करेगी। यह एक बड़ा संकेत है कि BRS अब किसानों के मुद्दों को अपनी राजनीतिक रणनीति का केंद्र बना रही है।

2 लाख मीट्रिक टन यूरिया की मांग पर अड़ी BRS-KTR ने अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए कहा कि BRS का समर्थन केवल उस राजनीतिक दल को मिलेगा जो 9 सितंबर तक 2 लाख मीट्रिक टन यूरिया की आपूर्ति सुनिश्चित करने का वादा करे। उनके लिए यह सिर्फ चुनावी राजनीति का मामला नहीं, बल्कि किसानों के जीवन-मरण का प्रश्न है। KTR ने यह भी चेतावनी दी कि अगर कांग्रेस अपने मुख्यमंत्री के माध्यम से किसी उम्मीदवार को मैदान में उतारती है, तो BRS उसका कड़ा विरोध करेगी। उन्होंने कांग्रेस पर दोहरा मापदंड अपनाने का आरोप लगाया, क्योंकि सामाजिक न्याय की बात करने वाली कांग्रेस ने पिछड़े वर्ग से किसी को उपराष्ट्रपति पद का उम्मीदवार क्यों नहीं बनाया, यह सवाल उन्होंने उठाया।

कांग्रेस और बीजेपी, दोनों पर BRS का तीखा प्रहार-BRS के नेता KTR ने इस बार कांग्रेस और भारतीय जनता पार्टी (BJP) दोनों पर एक साथ निशाना साधा। उन्होंने कहा कि तेलंगाना से आठ-आठ सांसद होने के बावजूद, ये दोनों ही प्रमुख पार्टियां राज्य के लिए कोई खास उपलब्धि हासिल नहीं कर पाई हैं। KTR ने राहुल गांधी पर भी तंज कसा कि किसानों की मौजूदा बदहाली पर वे चुप्पी साधे हुए हैं, जबकि उन्होंने अपने ‘रैतु डिक्लेरेशन’ में किसानों के लिए बड़े-बड़े वादे किए थे। KTR के अनुसार, यह कांग्रेस की दोहरी नीति को स्पष्ट रूप से दर्शाता है, जहाँ वे एक तरफ किसानों की बात करते हैं और दूसरी तरफ उनके हितों की अनदेखी करते हैं।

किसान संकट पर BRS का हल्ला बोल-KTR ने कांग्रेस सरकार पर सीधा आरोप लगाया कि उनके सत्ता में आने के बाद से यूरिया का संकट लगातार गहराता जा रहा है। किसानों को यूरिया के लिए लंबी-लंबी कतारों में खड़ा होना पड़ रहा है। उन्होंने बताया कि कई जगहों पर तो किसान अपनी जगह बनाए रखने के लिए अपने आधार कार्ड और जूते तक छोड़ने को मजबूर हैं। महिला किसान रात भर यूरिया डिपो के बाहर बिता रही हैं, और कुछ किसानों के खिलाफ तो पुलिस ने मामले भी दर्ज कर दिए हैं। KTR ने इसे कांग्रेस द्वारा पैदा की गई ‘कृत्रिम कमी’ करार देते हुए कड़ा विरोध जताया है और इसे किसानों के प्रति घोर अन्याय बताया है।

व्हाइट पेपर और निष्पक्ष जांच की मांग-BRS नेता ने राज्य सरकार से तत्काल एक श्वेत पत्र जारी करने की मांग की है। इस श्वेत पत्र में यूरिया की आपूर्ति की स्थिति, गोदामों में कितना स्टॉक है, किसानों तक वास्तव में कितना यूरिया पहुंचा है, और कालाबाजारी से जुड़ी सारी जानकारी सार्वजनिक की जानी चाहिए। इसके साथ ही, उन्होंने केंद्र सरकार से इस पूरे मामले की निष्पक्ष जांच कराने और जिम्मेदार लोगों पर कड़ी कार्रवाई करने की अपील की है। KTR ने किसानों को पूरा भरोसा दिलाया है कि BRS उनकी लड़ाई हर मंच पर लड़ेगी और जल्द ही पूरे राज्य में एक बड़ा आंदोलन शुरू किया जाएगा।

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