Madhya Pradesh

मध्यप्रदेश कृषक कल्याण मिशन प्रारंभ करने की सैद्धांतिक स्वीकृति

45 / 100 SEO Score

Bhopal: मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव की अध्यक्षता में मंत्रि-परिषद की बैठक मंगलवार को मंत्रालय में सम्पन्न हुई। मंत्रि-परिषद द्वारा प्रदेश के किसानों के समन्वित विकास के लिए किसान कल्याण तथा कृषि विकास विभाग, उद्यानिकी एवं खाद्य प्र-संस्करण विभाग, मत्स्य पालन विभाग, पशु पालन एवं डेयरी विभाग, सहकारिता विभाग, खाद्य नागरिक आपूर्ति और उपभोक्ता संरक्षण विभाग में प्रचलित योजनाओं को एक मंच पर लाकर मध्यप्रदेश किसान कल्याण मिशन को प्रारंभ करने की सैद्धांतिक अनुमति दी गयी।

मध्यप्रदेश ने कृषि क्षेत्र में अभूतपूर्व प्रगति की है। कृषि उत्पादकता (किलोग्राम प्रति हेक्टेयर) वर्ष 2002-2003 में 1195 था जो वर्ष 2024 में 2393 हो गया। यह वृद्धि 200 प्रतिशत हो गयी है। फसल उत्पादन (लाख मीट्रिक टन) वर्ष 2002-2003 में 224 एवं वर्ष 2024 में 723 होकर 323 प्रतिशत हो गयी है। कृषि विकास दर (प्रतिशत में) 2002-2003 में 3 प्रतिशत से बढ़कर 2024 में 9.8 प्रतिशत हो गयी। 327 प्रतिशत की वृद्धि हुई। कृषि क्षेत्र का बजट (करोड़ रूपये) वर्ष 2002-2003 में 600 करोड़ एवं वर्ष 2024 में 27050 करोड़ होकर वृद्धि दर 4508 प्रतिशत हुई। मध्यप्रदेश में कृषि क्षेत्र का योगदान प्रदेश की जीडीपी में 39 प्रतिशत है।

म.प्र. कृषक कल्याण मिशन का उद्देश्य किसानों की आय में वृद्धि, कृषि को जलवायु-अनुकूल बनाना, धारणीय कृषि पद्धतियों को अपनाना, जैव विविधता और परम्परागत कृषि ज्ञान संरक्षण, पोषण एवं खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करना, किसानों की उपज के लिए उचित मूल्य सुनिश्चित करना है।

किसानों की आय में वृद्धि- कृषि तथा उद्यानिकी के अंतर्गत फसलों की उत्पादकता में वृद्धि, उच्च मूल्य फसलों की खेती, गुणवत्तापूर्ण आदानों की उपलब्धता – बीज, रोपण सामग्री, उर्वरक, कीटनाशक, और कृषि विस्तार एवं क्षमता विकास, सस्ती ब्याज दरों पर ऋण की आसान उपलब्धता, खाद्य प्र-संस्करण और कृषि आधारित उद्योग, वैल्यू-चैन विकास और मौजूदा वैल्यू-चैन का सुदृढ़ीकरण, मप्र की विशिष्ट समस्याओं के लिए अनुसंधान एवं विकास है।

कृषि तथा उद्यानिकी सस्टेनेबल कृषि पद्धतियां के अंतर्गत गुड एग्रीकल्चर प्रैक्टिस (जीएपी) को अपनाना, जैविक/प्राकृतिक खेती क्षेत्र में बढ़ोतरी, जैविक एवं प्राकृतिक उत्पादों के लिए मार्केट लिंकेज का निर्माण तथा सुदृढ़ीकरण, जैविक एवं प्राकृतिक उत्पाद हेतु प्रमाण पत्र जारी करने तथा ट्रैसेबिलिटी सिस्टम को विकसित ,किसानों की उपज के उचित मूल्य सुनिश्चित करना,मंडियों का आधुनिकीकरण एवं उन्नयन, मंडी कार्यों के प्रबंधन के लिए प्रौद्योगिकी का उपयोग, मण्डी में पारदर्शी तथा निष्पक्ष नीलामी की प्रक्रिया को सुदृढ़ एवं मंडी के बाहर उपज बेचने की सुविधा को विकसित करना, जिन फसलों में वायदा अनुबंधों की अनुमति है, उनकी कार्य योजना तैयार करना है।

किसानों की आय में वृद्धि के लिए सहकारिता एवं मत्स्य पालन के अंतर्गत सहकारिता के माध्यम से दूध संकलन के कवरेज को 26000 ग्रामों तक ले जाया जायेगा। दूध संकलन व प्र-संस्करण की वर्तमान क्षमता को बढाकर 50 लाख लीटर / दिवस किया जायेगा। पशुओं में स्टॉल फीडिंग एवं मिनरल मिक्चर का घरेलू विकल्प का उपयोग से निराश्रित गौवंश की संख्या में कमी लाना। मत्स्य पालन क्षेत्र में आय वृद्धि के लिए आधुनिक तकनीकों का प्रयोग – Cage Farming तथा Biofloc, मछुआ/किसान क्रेडिट कार्ड योजनान्तर्गत शून्य प्रतिशत ब्याज दर पर ऋण उपलब्ध कराकर स्व-रोजगार को बढ़ावा दिया जायेगा।

मिशन के अन्य घटक में कृषि का जलवायु-अनुकूलन तथा रिस्क मिटिगेशन, जलवायु अनुकूल किस्मों को विकसित करवाना, कृषि फसलों के साथ ही पशुपालन, मत्स्योत्पादन को अपनाना, जैव विविधता और परम्परागत कृषि ज्ञान संरक्षण, पारंपरिक कृषि पद्धतियों का दस्तावेज़ीकरण, संरक्षण और उपयोग शामिल है।

मिशन के अपेक्षित परिणाम में उद्यानिकी फसलों का सकल वर्धित मूल्य कृषि आधारित फसलों से अधिक किया जायेगा। उद्यानिकी फसलों का क्षेत्रफल राष्ट्रीय औसत के बराबर लाया जायेगा। कृषि यंत्रीकरण को डेढ़ गुना करना, कृषि क्षेत्र में पूंजी निवेश को 75 प्रतिशत बढाना, प्रदेश को नरवाई जलाने से मुक्त करना, जैविक / प्राकृतिक / गुड एग्रीकल्चर प्रैक्टिस कृषि के अंतर्गत संपूर्ण बोये गये क्षेत्र का 10 प्रतिशत हिस्सा एवं सूक्ष्म सिंचाई को 20 प्रतिशत क्षेत्रफल तक पहुंचाना हैं।

फसल बीमा का कवरेज 50 प्रतिशत तक करना, संकर तथा उन्नत बीजों का विस्तार आधे क्षेत्रफल तक करना, प्रदेश के अन्नदाता को ऊर्जादाता सौर ऊर्जा पम्प अनुदान पर उपलब्ध कराये जाना, नये प्र-संस्करण क्षेत्रों की स्थापना, विपणन नेटवर्क का विस्तार और प्रदेश की बाहर की मंडियों तक पहुंच बढ़ाना, मत्स्य बीज के मामलें में प्रदेश को आत्मनिर्भर बनाना, कोल्ड चेन और नेटवर्क विकास के जरिये किसानों को मत्स्य संपदा के लिए मिलने वाले मूल्य को डेढ़ गुना करना, उच्च उत्पादकता मछली का पालन 10288 मीट्रिक टन किया जाना, मत्स्य पालन के लिए 1.47 लाख किसान क्रेडिट कार्ड उपलब्ध कराये जायेंगे। संगठित क्षेत्र में दुग्ध संकलन को 50 लाख लीटर प्रतिदिन किया जायेगा। पशुधन उत्पादकता में 50 प्रतिशत की वृद्धि की जायेगी। बेसहारा गौ-वंश की देखभाल के लिए प्रदेशव्यापी नेटवर्क तैयार करना, जिससे सड़कों पर उनकी उपस्थिति शून्य हो सकेगी।

मध्यप्रदेश कृषक कल्याण मिशन की साधारण सभा के अध्यक्ष मुख्यमंत्री होंगे। मिशन क्रियान्वयन की कार्यकारिणी समिति के अध्यक्ष मुख्य सचिव होंगे। मिशन क्रियान्वयन जिला स्तर पर कलेक्टर की अध्यक्षता में किया जायेगा।

चिकित्सा महाविद्यालय, सतना से संबंद्ध नवीन चिकित्सालय के निर्माण के लिए राशि 383 करोड़ 22 लाख रूपये की स्वीकृति

मंत्रि-परिषद द्वारा लोक स्वास्थ्य एवं चिकित्सा शिक्षा विभाग अंतर्गत चिकित्सा महाविद्यालय, सतना से संबंद्ध नवीन चिकित्सालय के निर्माण के लिए राशि 383 करोड़ 22 लाख रूपये की स्वीकृति प्रदान की गयी है।

गांधी चिकित्सा महाविद्यालय एवं संबद्ध चिकित्सालय में नवीन पदों की स्वीकृति

मंत्रि-परिषद द्वारा लोक स्वास्थ्य एवं चिकित्सा शिक्षा विभाग के अंतर्गत गांधी चिकित्सा महाविद्यालय एवं संबद्ध चिकित्सालय में पीडियाट्रिक कार्डियोलॉजी, पीडियाट्रिक न्यूरोलॉजी एवं नियोनेटोलॉजी विभाग में नियमित स्थापना के कुल 12 नवीन पदों का सृजन किये जाने की स्वीकृति प्रदान की गयी है। इन पदों में प्राध्यापक के 3 पद, सह प्राध्यापक के 3 पद, एवं सहायक प्राध्यापक के 3 पद एवं सीनियर रेसीडेंट के 3 पद शामिल हैं।

Show More

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button