महाराष्ट्र में नेता विपक्ष की नियुक्ति क्यों जरूरी: उद्धव ठाकरे का बड़ा बयान

महाराष्ट्र की राजनीति में उठे सवाल: उद्धव ठाकरे ने नेता प्रतिपक्ष की नियुक्ति पर जताई नाराजगी
उद्धव ठाकरे ने नेता प्रतिपक्ष की नियुक्ति पर उठाए सवाल- शिवसेना (यूबीटी) प्रमुख उद्धव ठाकरे ने महाराष्ट्र की राजनीति में चल रही अनिश्चितता पर गंभीर सवाल खड़े किए हैं। उन्होंने कहा कि विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष की नियुक्ति हुए एक साल से ज्यादा हो गया है, फिर भी यह पद खाली है, जो लोकतांत्रिक व्यवस्था के खिलाफ है। ठाकरे ने जोर देकर कहा कि आने वाले विधानसभा के शीतकालीन सत्र में दोनों सदनों के लिए नेता विपक्ष की घोषणा जरूरी है, क्योंकि यह संवैधानिक व्यवस्था का हिस्सा है। उन्होंने सरकार पर आरोप लगाया कि बहुमत होने के बावजूद वह इस पद की नियुक्ति से बच रही है, जिससे कई सवाल उठते हैं।
नेता प्रतिपक्ष की नियुक्ति पर ठाकरे का तीखा हमला- उद्धव ठाकरे ने मीडिया से बातचीत में साफ कहा कि सरकार इतने बड़े बहुमत के बावजूद नेता प्रतिपक्ष से क्यों डर रही है। उन्होंने बताया कि विपक्ष लगातार इस पद की मांग कर रहा है, लेकिन सरकार कोई ठोस कदम नहीं उठा रही। ठाकरे ने चेतावनी दी कि अगर इस बार भी नेता प्रतिपक्ष नियुक्त नहीं किया गया, तो यह देश के इतिहास में पहली बार होगा जब बिना विपक्ष नेता के सत्र चलेगा। उन्होंने कहा कि अगर यह पद खाली रहेगा, तो उपमुख्यमंत्री का पद भी खत्म कर देना चाहिए क्योंकि वह संविधान में दर्ज नहीं है। यह बयान सरकार की कार्यशैली पर सीधा हमला माना जा रहा है।
नेता प्रतिपक्ष के लिए शिवसेना (यूबीटी) और कांग्रेस के नाम- विधानसभा में सबसे ज्यादा 20 विपक्षी विधायकों वाली शिवसेना (यूबीटी) ने अनुभवी विधायक भास्कर जाधव को नेता प्रतिपक्ष के पद के लिए नामित किया है। ठाकरे ने कहा कि जाधव इस पद के लिए पूरी तरह योग्य हैं और विपक्ष का मजबूत पक्ष रख सकते हैं। वहीं विधान परिषद में कांग्रेस ने सत्यजीत पाटिल को अपना उम्मीदवार बनाया है, क्योंकि शिवसेना (यूबीटी) के अंबादास दानवे का कार्यकाल अगस्त में खत्म हो चुका है। विपक्ष का मानना है कि दोनों सदनों में नेता प्रतिपक्ष की नियुक्ति जरूरी है ताकि लोकतांत्रिक प्रक्रियाएं सुचारू रूप से चल सकें।
मतदाता सूची में गड़बड़ी पर सुप्रीम कोर्ट से हस्तक्षेप की मांग- ठाकरे ने महाराष्ट्र की मतदाता सूची में पाई गई गड़बड़ियों को लेकर भी चिंता जताई है। उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट को इस मामले का स्वतः संज्ञान लेना चाहिए क्योंकि गलत मतदाता सूची पूरे चुनाव को प्रभावित कर सकती है। ठाकरे के अनुसार, ड्राफ्ट रोल में कई गंभीर त्रुटियां हैं, जो चुनाव की पारदर्शिता पर सवाल उठाती हैं। उन्होंने सुझाव दिया कि जब तक मतदाता सूची की गलतियां ठीक नहीं होतीं, तब तक स्थानीय निकाय चुनाव स्थगित कर दिए जाएं। हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने पहले ही आदेश दिया है कि सभी स्थानीय निकायों के चुनाव 31 जनवरी तक कराए जाएं।
महायुति के अंदर चल रही खींचतान पर ठाकरे का व्यंग्य- स्थानीय निकाय चुनावों के पहले चरण में महायुति के अंदर चल रही खींचतान पर ठाकरे ने तंज कसा है। उन्होंने कहा कि सत्ता की लालच ने गठबंधन में गहरी दरारें पैदा कर दी हैं। नेता अपनी सत्ता बचाने में लगे हैं, जबकि जनता की समस्याएं अनदेखी हो रही हैं। ठाकरे का दावा है कि इस राजनीतिक अस्थिरता के बीच जनता अब सिर्फ शिवसेना (यूबीटी) को ही एक भरोसेमंद विकल्प के रूप में देख रही है। उन्होंने कहा कि उनकी पार्टी ही महाराष्ट्र को स्थिर नेतृत्व दे सकती है।



