2006 मुंबई ट्रेन ब्लास्ट केस: हाईकोर्ट से सभी 12 आरोपी बरी, अब सुप्रीम कोर्ट में महाराष्ट्र सरकार की अपील

मुंबई ट्रेन ब्लास्ट: सुप्रीम कोर्ट में उम्मीद की किरण-2006 के मुंबई ट्रेन ब्लास्ट केस में बॉम्बे हाईकोर्ट के फैसले के बाद से ही देश में एक सवाल उठ रहा है- क्या दोषियों को सजा मिलेगी? हाईकोर्ट ने सभी 12 आरोपियों को बरी कर दिया था, जिससे पीड़ित परिवारों में निराशा छा गई थी। लेकिन अब सुप्रीम कोर्ट से न्याय की उम्मीद जागी है। महाराष्ट्र सरकार ने हाईकोर्ट के फैसले को चुनौती दी है और सुप्रीम कोर्ट 24 जुलाई को इस मामले में सुनवाई करेगा।
हाईकोर्ट का फैसला: सबूतों का अभाव?-बॉम्बे हाईकोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि अभियोजन पक्ष आरोपों को साबित करने में नाकाम रहा। कोर्ट के मुताबिक, आरोपियों के खिलाफ ठोस सबूत नहीं मिले। यह फैसला कई लोगों के लिए हैरान करने वाला था, खासकर पीड़ित परिवारों के लिए, जिन्हें इंसाफ की उम्मीद थी।
सरकार की अपील: न्याय की मांग-महाराष्ट्र सरकार ने हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में अपील की है। सरकार का मानना है कि हाईकोर्ट ने कई अहम पहलुओं पर गौर नहीं किया। सरकार का कहना है कि आरोपियों को सजा मिलनी चाहिए ताकि पीड़ित परिवारों को न्याय मिले और भविष्य में ऐसे आतंकवादी हमलों को रोकने में मदद मिले।
2006 का दर्दनाक दिन: एक राष्ट्र की त्रासदी-11 जुलाई 2006 को हुए मुंबई ट्रेन ब्लास्ट ने पूरे देश को झकझोर कर रख दिया था। 180 से ज़्यादा लोगों की मौत और कई घायल होने से देश में शोक की लहर दौड़ गई थी। यह हमला आतंकवाद का एक भयावह उदाहरण था जिसने देश की सुरक्षा व्यवस्था पर सवाल उठाए थे।
सुप्रीम कोर्ट से इंसाफ की आस-अब सभी की निगाहें सुप्रीम कोर्ट पर टिकी हुई हैं। उम्मीद है कि सुप्रीम कोर्ट इस मामले में सही फैसला सुनाएगा और पीड़ित परिवारों को न्याय मिलेगा। यह मामला न सिर्फ पीड़ितों के लिए, बल्कि पूरे देश के लिए बेहद महत्वपूर्ण है, क्योंकि यह आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में एक अहम मोड़ साबित हो सकता है।



