AI की रेस में बना रहे बढ़त, 50 साल के Microsoft ने Copilot में जोड़े नए फीचर्स

एक वक्त था जब माइक्रोसॉफ्ट का एक छोटा-सा डेमो भी किसी रॉक कॉन्सर्ट से कम नहीं लगता था। एक बार कंपनी के प्रोडक्ट मैनेजर ने Excel में नंबर जोड़ने का एक नया फीचर दिखाया — बस एक क्लिक में जोड़ हो गया — तो हॉल में बैठे हजारों लोग खुशी से झूम उठे। माइक्रोसॉफ्ट के कंज्यूमर मार्केटिंग हेड यूसुफ मेहंदी, जो उस वक्त इंटर्न थे, कहते हैं, “वो पल ऐसा था जैसे मिक जैगर स्टेज पर आ गया हो।” ये बात आज से करीब 30 साल पुरानी है। लेकिन इस शुक्रवार को, जब माइक्रोसॉफ्ट ने अपने 50 साल पूरे किए, तो कंपनी के नेता और कर्मचारी वॉशिंगटन के रेडमंड स्थित हेडक्वार्टर में जमा हुए। सबने पुरानी यादें ताज़ा कीं और साथ ही उस नई दिशा की बात की जो कंपनी को आगे ले जा सकती है — और वो है आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस। माइक्रोसॉफ्ट का AI असिस्टेंट Copilot अब पहले से ज्यादा स्मार्ट और एक्टिव होने जा रहा है। कंज्यूमर वर्जन में अब ये यूज़र्स के बारे में चीज़ें याद रखेगा — जैसे बर्थडे रिमाइंडर देना या कोई प्रेजेंटेशन से पहले सपोर्ट ऑफर करना। हालांकि यूज़र चाहें तो ये फीचर बंद भी कर सकते हैं। Copilot अब पर्सनलाइज्ड पॉडकास्ट और शॉपिंग सजेशन भी देगा और यूज़र की तरफ से बुकिंग जैसी चीज़ें भी कर सकेगा। मेहंदी कहते हैं, “इससे आपका काफी वक्त बचेगा और हाथ बंधे हुए महसूस नहीं होंगे।” वैसे तो इस तरह के काम करने वाला AI कोई नई चीज नहीं है — दूसरी कंपनियाँ भी ऐसा कर रही हैं। लेकिन मेहंदी के मुताबिक, माइक्रोसॉफ्ट ने कुछ खास साइट्स जैसे 1-800-Flowers.com और OpenTable के साथ मिलकर टेक्निकल लेवल पर काम किया है, जिससे AI इन पर और बेहतर काम करेगा।
मेहंदी ने बताया कि जब कंपनी छोटी थी और बढ़ रही थी, तब के दिन कुछ और ही थे। उन्होंने बताया कि कैसे बिल गेट्स एक दिन में तीन किताबों जितनी जानकारी पढ़ लेते थे और खुद माइक्रोसॉफ्ट का सॉफ्टवेयर बनाते थे। उन्होंने स्टीव बॉलमर को भी याद किया, जो बाद में गेट्स के उत्तराधिकारी बने — कैसे वो “.net” के ज़माने में स्टेज पर पसीने से तर-बतर होकर “डेवेलपर्स, डेवेलपर्स, डेवेलपर्स!” चिल्लाते थे। माइक्रोसॉफ्ट एक समय सबसे टॉप पर था, लेकिन 1998 में अमेरिका की सरकार ने जब उस पर एंटीट्रस्ट केस किया तो कंपनी को बड़ा झटका लगा। बाद के सालों में Alphabet और OpenAI जैसी नई कंपनियाँ AI के कई इनोवेशन में माइक्रोसॉफ्ट से आगे निकल गईं। लेकिन अब के CEO सत्या नडेला ठहरे नहीं हैं। उन्होंने माइक्रोसॉफ्ट को दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी क्लाउड कंपनी बना दिया है और हाल ही में एक इंटरनल समिट में अपने टीम से पूछा, “अब हमें सॉफ्टवेयर बनाने का तरीका ही नए सिरे से क्यों न सोचना चाहिए?” रेडमंड में शुक्रवार को हुए इवेंट में नडेला के साथ गेट्स और बॉलमर भी एकसाथ मंच पर दिखे — ये मौका भी खास था। बॉलमर ने फिर से वही पुराना “डेवेलपर्स!” वाला जोश दोहराया।
नडेला ने कहा, “हम अपने पिछले 50 सालों का जश्न नहीं मना रहे, बल्कि आने वाले वक्त की बुनियाद रख रहे हैं — वो वक्त जब हम दूसरों को कुछ बड़ा बनाने की ताकत देंगे।” गेट्स ने भी कहा, “हम अब एक ऐसे दौर की शुरुआत पर हैं, जो शायद पहले के 50 सालों से भी ज़्यादा असरदार होगा।” जब उनसे पूछा गया कि 100वें साल में वो माइक्रोसॉफ्ट को कहां देखना चाहते हैं, तो उन्होंने हंसते हुए कहा, “उम्मीद है तब तक Copilot ही CEO बन जाए।” आज माइक्रोसॉफ्ट अपने चैटबॉट टेक्नोलॉजी पर लगातार काम कर रहा है, जहाँ पहले से ही Elon Musk की xAI और Anthropic जैसी कंपनियाँ मैदान में हैं। कंपनी ने Copilot को अपने पॉपुलर ऑफिस ऐप्स में जोड़ दिया है और आम लोगों के लिए भी इसका एक अलग वर्जन ला रही है। मेहंदी कहते हैं, “इसमें एक अपनापन है, एक पर्सनैलिटी है।” कुछ यूज़र को ये पसंद आ रहा है, तो कुछ को लगता है ये ज़्यादा सवाल पूछता है। “अब जब Copilot और पर्सनल होगा, तब ये और समझदार भी बन पाएगा,” मेहंदी ने कहा। “हम अभी उस सफर के बीच में हैं।”