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गुरुवार को शुरुआती कारोबार में रुपये में गिरावट, 87.11 के स्तर पर पहुंचा

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गुरुवार को शुरुआती कारोबार में रुपया 5 पैसे गिरकर 87.11 पर पहुंचा

गुरुवार को शुरुआती कारोबार में भारतीय रुपया अपनी बढ़त बरकरार नहीं रख सका और 5 पैसे गिरकर 87.11 पर आ गया। अमेरिकी डॉलर में कमजोरी और कच्चे तेल की कीमतों में गिरावट के बावजूद शेयर बाजार में उतार-चढ़ाव और विदेशी निवेशकों की निकासी से रुपये पर दबाव बना रहा।

शुरुआती मजबूती के बाद रुपया फिसला

विदेशी मुद्रा कारोबारियों के मुताबिक, शुरुआत में अमेरिकी सरकार द्वारा कनाडा और मैक्सिको पर ऊंचे टैरिफ लगाने को टालने के फैसले से रुपये को सपोर्ट मिला। इसके अलावा, भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) द्वारा 1.9 लाख करोड़ रुपये की नकदी डालने के फैसले से भी रुपये को मजबूती मिली। लेकिन, शेयर बाजार में अस्थिरता ने रुपये की बढ़त को कमजोर कर दिया और यह फिर से नुकसान के दायरे में चला गया। इंटरबैंक फॉरेक्स मार्केट में रुपया 86.96 पर मजबूत शुरुआत के बाद 86.88 तक पहुंच गया, लेकिन जल्द ही अपनी बढ़त गंवाकर 87.11 प्रति डॉलर पर आ गया, जो पिछले बंद स्तर से 5 पैसे की गिरावट को दर्शाता है।

बीते तीन दिनों से रुपये में हो रही थी बढ़त

बुधवार को रुपया 13 पैसे मजबूत होकर 87.06 प्रति डॉलर पर बंद हुआ था। इससे पहले के दो सत्रों में रुपये ने कुल 18 पैसे की बढ़त दर्ज की थी।

डॉलर और कच्चे तेल के दाम

इस बीच, डॉलर इंडेक्स, जो छह प्रमुख मुद्राओं के मुकाबले अमेरिकी डॉलर की ताकत को दर्शाता है, 0.05% बढ़कर 104.30 पर पहुंच गया। ब्रेंट क्रूड, जो वैश्विक तेल बाजार का बेंचमार्क है, 0.58% बढ़ा लेकिन 69.70 डॉलर प्रति बैरल पर ही बना रहा।

शेयर बाजार में उतार-चढ़ाव और विदेशी निवेशकों की बिकवाली

घरेलू शेयर बाजार में भी उतार-चढ़ाव देखा गया।

  • BSE सेंसेक्स 20.53 अंकों (0.03%) की गिरावट के साथ 73,709.70 पर था।
  • NSE निफ्टी 10.75 अंक (0.05%) गिरकर 22,326.55 पर कारोबार कर रहा था।
  • विदेशी संस्थागत निवेशकों (FIIs) ने बुधवार को 2,895.04 करोड़ रुपये के शेयरों की बिकवाली की।

RBI का नकदी बढ़ाने का फैसला

भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने बुधवार को घोषणा की कि वह सरकारी बॉन्ड खरीदने और अमेरिकी डॉलर/रुपये की अदला-बदली (स्वैप) के जरिए करीब 1.9 लाख करोड़ रुपये की लिक्विडिटी सिस्टम में डालेगा। 28 फरवरी को RBI ने 10 अरब डॉलर के डॉलर-रुपया स्वैप का आयोजन किया, जिससे लंबी अवधि की नकदी बढ़ाने के लिए भारी मांग देखी गई।

सेवा क्षेत्र में दिखी मजबूती

घरेलू मैक्रोइकोनॉमिक डेटा की बात करें तो फरवरी में भारत के सेवा क्षेत्र में जबरदस्त उछाल देखने को मिला। घरेलू और अंतरराष्ट्रीय मांग में सुधार के चलते सेवा क्षेत्र का उत्पादन तेजी से बढ़ा और रोजगार के अवसर भी बढ़े। HSBC इंडिया सर्विसेज PMI बिजनेस एक्टिविटी इंडेक्स जनवरी के 26 महीने के निचले स्तर 56.5 से बढ़कर फरवरी में 59.0 हो गया, जिससे क्षेत्र में मजबूत वृद्धि का संकेत मिला।

अमेरिका ने कनाडा और मैक्सिको को दी टैरिफ में छूट

इस बीच, अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने मैक्सिको और कनाडा से होने वाले आयात पर नई टैरिफ दरों को एक महीने के लिए टाल दिया। अमेरिकी ऑटोमोबाइल सेक्टर पर इस टैरिफ के संभावित असर को देखते हुए यह फैसला लिया गया। ट्रंप ने यह निर्णय फोर्ड, जनरल मोटर्स और स्टेलेंटिस के शीर्ष अधिकारियों से बातचीत के बाद लिया।

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