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सेंसेक्स और निफ्टी में जबरदस्त उछाल: GDP ग्रोथ ने बाजार को दी नई रफ्तार

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 शेयर बाजार में लौटी रौनक: GDP के शानदार आंकड़ों ने मचाया धमाल!

सप्ताह की धमाकेदार शुरुआत: सेंसेक्स और निफ्टी में उछाल-नए सप्ताह की शुरुआत भारतीय शेयर बाजार के लिए बेहद शानदार रही। सोमवार को बाजार खुलते ही सेंसेक्स और निफ्टी दोनों में ही जोरदार तेजी देखने को मिली। बीएसई सेंसेक्स ने 343 अंकों की छलांग लगाते हुए 80,153 का आंकड़ा पार कर लिया, वहीं एनएसई निफ्टी भी 105 अंक चढ़कर 24,532 पर पहुंच गया। इस उछाल का सबसे बड़ा कारण रहा देश की सकल घरेलू उत्पाद (GDP) के वे आंकड़े, जिन्होंने अप्रैल-जून तिमाही में उम्मीदों को पार करते हुए 7.8% की प्रभावशाली वृद्धि दर्ज की। यह पिछले पांच तिमाहियों में सबसे तेज ग्रोथ रेट है। विश्लेषकों का मानना है कि इन सकारात्मक आंकड़ों ने निवेशकों का विश्वास बढ़ाया है और बाजार को एक नई मजबूती प्रदान की है। यह दिखाता है कि भारतीय अर्थव्यवस्था सही दिशा में आगे बढ़ रही है, जिससे निवेशकों में उत्साह का माहौल है।

बाजार के सितारे और पिछड़ने वाले शेयर: किसने मारी बाजी?-सेंसेक्स की कई बड़ी कंपनियों ने शुरुआती कारोबार में अपने निवेशकों को मालामाल कर दिया। खासकर टेक्नोलॉजी सेक्टर की दिग्गज कंपनियों जैसे Infosys, TCS, Tech Mahindra और HCL Tech के शेयरों में अच्छी बढ़त देखी गई। इसके साथ ही, पावर ग्रिड और NTPC जैसी ऊर्जा क्षेत्र की कंपनियों के शेयर भी टॉप गेनर की सूची में शामिल हुए, जिन्होंने बाजार को सहारा दिया। वहीं, दूसरी तरफ Hindustan Unilever, Reliance Industries, ITC और Sun Pharma जैसी कुछ बड़ी कंपनियां थोड़ी दबाव में दिखीं और वे बाजार की इस बढ़त में खास योगदान नहीं दे पाईं। कुल मिलाकर, आईटी और पावर सेक्टर ने बाजार को मजबूती दी, जबकि एफएमसीजी और फार्मा सेक्टर में थोड़ी नरमी का रुख रहा। यह दिखाता है कि बाजार में सेक्टर-वार प्रदर्शन में भिन्नता बनी हुई है।

GDP ग्रोथ ने बढ़ाया निवेशकों का भरोसा: क्यों है इतनी खुशी की लहर?-देश की आर्थिक वृद्धि दर का 7.8% तक पहुंचना निश्चित रूप से शेयर बाजार के लिए एक बहुत बड़ा सकारात्मक संकेत है। गीजोत इन्वेस्टमेंट्स के चीफ इन्वेस्टमेंट स्ट्रैटेजिस्ट वी.के. विजयकुमार के अनुसार, यह आंकड़ा उम्मीद से कहीं बेहतर है और आने वाले समय में जीएसटी जैसे सुधारों के साथ अर्थव्यवस्था की रफ्तार और भी तेज हो सकती है। इसके अलावा, म्यूचुअल फंड्स में लगातार हो रही निवेश की आमद भी बाजार को मजबूती देने का काम कर रही है। हालांकि, उन्होंने एक चेतावनी भी दी कि वैश्विक स्तर पर बदलती राजनीतिक परिस्थितियां और अमेरिका द्वारा लगाए गए टैरिफ जैसे कदम भारत के निर्यात को प्रभावित कर सकते हैं। विशेष रूप से टेक्सटाइल जैसे क्षेत्रों के लिए यह एक बड़ी चुनौती साबित हो सकती है, इसलिए निवेशकों को सतर्क रहने की आवश्यकता है।

अंतरराष्ट्रीय बाजार और कच्चे तेल की चाल: क्या है भारत के लिए मायने?-भारतीय शेयर बाजार की मजबूती के बीच, एशियाई शेयर बाजारों का प्रदर्शन मिला-जुला रहा। शंघाई और हांगकांग के बाजारों में जहां तेजी देखी गई, वहीं जापान और दक्षिण कोरिया के इंडेक्स थोड़े कमजोर दिखे। अमेरिकी बाजार शुक्रवार को गिरावट के साथ बंद हुए थे, जिसका असर एशियाई बाजारों पर भी थोड़ा देखने को मिला। इसी बीच, कच्चे तेल की कीमतों में भी हल्की नरमी दर्ज की गई और ब्रेंट क्रूड 67.20 डॉलर प्रति बैरल के आसपास आ गया। तेल की कीमतों में यह नरमी भारतीय बाजार के लिए एक अच्छी खबर है, क्योंकि इससे देश का आयात बिल कम होगा और महंगाई को नियंत्रित करने में भी मदद मिलेगी। यह भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए एक सकारात्मक संकेत है।

विदेशी और घरेलू निवेशकों की भूमिका: कौन है असली खिलाड़ी?-शुक्रवार को विदेशी संस्थागत निवेशकों (FIIs) ने बाजार में लगभग 8,300 करोड़ रुपये से ज्यादा की बिकवाली की थी। वहीं, दूसरी ओर, घरेलू संस्थागत निवेशकों (DIIs) ने लगभग 11,500 करोड़ रुपये की जोरदार खरीदारी की और बाजार को गिरने से बचा लिया। यही वजह रही कि सोमवार को शुरुआती कारोबार में बाजार ने इतनी मजबूती के साथ शुरुआत की। इससे यह साफ जाहिर होता है कि जब विदेशी निवेशक मुनाफावसूली करते हैं, तो घरेलू निवेशक बाजार को संभालने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। आने वाले दिनों में विदेशी निवेशकों की रणनीति और वैश्विक स्तर पर होने वाले घटनाक्रम ही यह तय करेंगे कि सेंसेक्स और निफ्टी की यह तेजी कब तक कायम रहती है।

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