इंडिगो फ्लाइट संकट पर बड़ा एक्शन: चार DGCA इंस्पेक्टर्स की छुट्टी, नया एफडीटीएल नियम बना मुसीबत

इंडिगो फ्लाइट कैंसिलेशन संकट: DGCA की सख्त कार्रवाई और एविएशन सेक्टर की बड़ी चुनौती- DGCA ने हटाए चार अहम इंस्पेक्टर्स, इंडिगो की निगरानी में आई बड़ी चूक, इंडिगो में लगातार बढ़ती फ्लाइट कैंसिलेशन की समस्या ने DGCA को भी मुश्किल में डाल दिया है। देश की सबसे बड़ी एयरलाइन की हजारों उड़ानें रद्द होने के बाद DGCA ने इंडिगो की सुरक्षा और ऑपरेशन मॉनिटरिंग करने वाले चार प्रमुख फ्लाइट ऑपरेशंस इंस्पेक्टर्स को तत्काल प्रभाव से हटा दिया। इनमें डिप्टी चीफ फ्लाइट ऑपरेशंस इंस्पेक्टर ऋषि राज चटर्जी, फ्लाइट सेफ्टी विशेषज्ञ सीमा झमनानी, क्रू उपलब्धता मॉनिटर अनिल कुमार पोखरियाल और पूर्व कैप्टन प्रियम कौशिक शामिल हैं। DGCA का कहना है कि ये अधिकारी संविदा पर थे और एयरलाइन को नए एफडीटीएल नियमों के लिए पायलट भर्ती में चेतावनी के बावजूद उचित कदम नहीं उठाने के लिए जिम्मेदार ठहराए गए। इस कार्रवाई ने भारत के एविएशन सेक्टर में नियामक एजेंसी की भूमिका और एयरलाइन की जिम्मेदारी पर नई बहस छेड़ दी है।
नए एफडीटीएल नियमों ने इंडिगो के ऑपरेशन को कैसे हिला दिया?-
1 नवंबर 2025 से लागू हुए फ्लाइट ड्यूटी टाइम लिमिट (एफडीटीएल) नियमों का मकसद पायलटों की थकान कम करना और सुरक्षा बढ़ाना था। नए नियमों के तहत पायलटों को हर सप्ताह कम से कम 48 घंटे का रेस्ट लेना अनिवार्य कर दिया गया, नाइट ड्यूटी की समय सीमा बदली गई और लगातार नाइट शिफ्ट पर रोक लगाई गई। लंबी उड़ानों के बाद पायलटों को 24 घंटे का रेस्ट देना जरूरी हुआ। हालांकि ये नियम सुरक्षा के लिहाज से जरूरी थे, लेकिन इंडिगो के पास पर्याप्त पायलट नहीं थे। एयरलाइन ने समय रहते भर्ती और ट्रेनिंग पर ध्यान नहीं दिया, जिससे पायलटों की कमी हुई और उड़ानें रद्द करनी पड़ीं। सरकार ने इसे कुप्रबंधन बताया, जबकि इंडिगो ने मौसम और तकनीकी कारणों को भी जिम्मेदार ठहराया। इस बदलाव ने पूरे इंडिगो सिस्टम की रीढ़ हिला दी।
फ्लाइट कैंसिलेशन का असर: यात्रियों की परेशानियां और एयरपोर्ट की स्थिति-
1 से 9 दिसंबर के बीच इंडिगो को 4,290 घरेलू और 64 अंतरराष्ट्रीय उड़ानें रद्द करनी पड़ीं। 5 दिसंबर को 1,588 घरेलू उड़ानें कैंसिल हुईं, जो शेड्यूल का लगभग 79% था। दिल्ली, बेंगलुरु जैसे बड़े शहरों में अफरा-तफरी मच गई। हजारों यात्री एयरपोर्ट पर फंसे, कई की अंतरराष्ट्रीय कनेक्टिंग फ्लाइट छूट गई। इंडिगो की मौसम और तकनीकी दिक्कतों की बात को सरकार ने खारिज कर दिया और इसे ऑपरेशनल मिसमैनेजमेंट बताया। सोशल मीडिया पर यात्रियों ने अपनी शिकायतें साझा कीं, जिसमें सामान खोने और घंटों इंतजार की बातें शामिल थीं। यह संकट दिखाता है कि बड़े बदलाव से एयरलाइन सिस्टम कितना प्रभावित हो सकता है और सबसे ज्यादा नुकसान यात्रियों को होता है।
सरकार की कड़ी कार्रवाई: इंडिगो पर 3 बड़े फैसले और DGCA की निगरानी- सरकार ने इंडिगो को रोजाना ऑपरेशन में 10% उड़ानें कम करने का आदेश दिया ताकि एयरलाइन स्थिर हो सके। DGCA ने चार फ्लाइट ऑपरेशंस इंस्पेक्टर्स को बर्खास्त किया और इंडिगो के एयरपोर्ट स्लॉट्स अन्य एयरलाइंस को दे दिए। गुरुग्राम में DGCA की आठ सदस्यीय टीम तैनात की गई जो एयरलाइन के क्रू उपयोग, रिफंड और ग्राहक सेवा पर नजर रख रही है। DGCA ने इंडिगो के सीईओ और सीओओ को कई बार पूछताछ के लिए बुलाया है। सरकार का साफ रुख है कि सुरक्षा और नियमों में कोई ढिलाई बर्दाश्त नहीं की जाएगी, चाहे एयरलाइन कितनी भी बड़ी क्यों न हो।
यात्रियों के लिए राहत पैकेज: रिफंड, वाउचर और मुआवजा योजना- इंडिगो ने यात्रियों के गुस्से को देखते हुए राहत पैकेज की घोषणा की। रद्द उड़ानों के लिए पूरा टिकट रिफंड और फ्री री-बुकिंग की सुविधा दी गई है। 3 से 5 दिसंबर के बीच गंभीर देरी या कैंसिलेशन वाले यात्रियों को 10,000 रुपये का ट्रैवल वाउचर मिलेगा, जिसकी वैधता 12 महीने तक होगी। 24 घंटे से कम नोटिस पर रद्द उड़ान वाले यात्रियों को 5,000 से 10,000 रुपये तक मुआवजा दिया जाएगा। हालांकि अभी भी कई यात्री रिफंड और री-बुकिंग के लिए संघर्ष कर रहे हैं। विपक्ष ने DGCA और नागरिक उड्डयन मंत्रालय को भी जिम्मेदार ठहराया है। इस संकट ने साफ कर दिया है कि भारतीय एविएशन सेक्टर को भविष्य के लिए और बेहतर तैयारी करनी होगी।



