हाईकोर्ट का बड़ा फैसला: बिलासपुर निगम के 22 कर्मचारियों की नौकरी बहाल, प्रशासन को लगी फटकार

बिलासपुर हाईकोर्ट ने रद्द की 22 कर्मचारियों की नियुक्ति निरस्ती का आदेश, जानिए पूरा मामला- बिलासपुर हाईकोर्ट ने नगर निगम कमिश्नर द्वारा 18 सितंबर को जारी 22 कर्मचारियों की नियुक्ति निरस्ती के आदेश को रद्द कर दिया है। जस्टिस नरेंद्र कुमार व्यास ने कहा कि यह फैसला नियमों के खिलाफ था। कोर्ट ने सभी कर्मचारियों को निगम में चपरासी के पद पर दोबारा बहाल करने का निर्देश दिया है। हालांकि, वेतन नहीं मिलेगा, लेकिन उनकी वरिष्ठता बरकरार रहेगी।
वेतन नहीं मिलेगा, पर वरिष्ठता बनी रहेगी- कोर्ट ने स्पष्ट किया है कि कर्मचारियों को पिछला वेतन नहीं मिलेगा। लेकिन उनकी वरिष्ठता उनकी मूल नियुक्ति तिथि से मानी जाएगी, जिसमें कोई सेवा अंतराल नहीं जोड़ा जाएगा। इसका मतलब यह है कि नौकरी तो सुरक्षित रहेगी, लेकिन बीते समय का वेतन लाभ नहीं मिलेगा। यह फैसला कर्मचारियों के भविष्य को लेकर एक संतुलित समाधान माना जा रहा है।
अनुकंपा नियुक्ति नीति पर कोर्ट की कड़ी टिप्पणी- हाईकोर्ट ने अधिकारियों के रवैये पर नाराजगी जताई और कहा कि अनुकंपा नियुक्ति मामलों में राज्य सरकार की नीति का सख्ती से पालन होना चाहिए। कोर्ट ने कहा कि ऐसे मामलों में मनमाने फैसले नहीं लिए जा सकते। सभी विवादित आदेश रद्द करते हुए कोर्ट ने प्रशासन को नियमों के अनुसार काम करने की सलाह दी है।
आदेश के बाद भी कर्मचारी प्लेसमेंट पर ही काम कर रहे थे- 10 जनवरी को उप मुख्यमंत्री अरूण साव ने इन 22 कर्मचारियों को अनुकंपा नियुक्ति का आदेश दिया था। लेकिन वे अब तक प्लेसमेंट कर्मचारी के रूप में ही काम कर रहे थे। कागजों में नियमित नियुक्ति मिली, पर व्यवहार में उन्हें इसका लाभ नहीं मिला, जिससे उनकी स्थिति अनिश्चित बनी रही।
शासन की मंजूरी में देरी बनी परेशानी की वजह- नगर निगम कमिश्नर अमित कुमार ने बताया कि नियुक्ति आदेश शासन की मंजूरी के इंतजार में था। मंजूरी देर से मिलने के कारण कर्मचारियों की सैलरी अटकी रही। इसी वजह से निगम ने नियुक्ति निरस्त कर दी और प्लेसमेंट कर्मचारी के रूप में वेतन जारी रखा। यह फैसला विवाद का कारण बना।
हाईकोर्ट के आदेश के बाद सरकार से मांगा गया मार्गदर्शन- हाईकोर्ट के आदेश के बाद नगर निगम प्रशासन ने राज्य सरकार से मार्गदर्शन मांगा है। अधिकारियों का कहना है कि शासन के निर्देशों के अनुसार कोर्ट के आदेश का पालन किया जाएगा। उम्मीद है कि जल्द ही कर्मचारियों की स्थिति स्पष्ट हो जाएगी।
2018 से निगम में काम कर रहे ये कर्मचारी- ये 22 कर्मचारी साल 2018 से नगर निगम में काम कर रहे हैं। इतने वर्षों की सेवा के बावजूद उन्हें नियमित कर्मचारी का दर्जा नहीं मिला। वे अब तक प्लेसमेंट कर्मचारी के रूप में वेतन पा रहे थे, जिससे उनके भविष्य को लेकर अनिश्चितता बनी रही।
नियुक्ति बहाल हुए 22 कर्मचारी- नियुक्ति बहाल कर्मचारियों में नीता ठाकुर, रन्नू उर्फ क्षमता, अन्नपूर्णा सोनी, प्रवेश परिहार, लक्ष्मी जानोकर, गीता श्रीवास, हसीना बानो, निलेश श्रीवास, अजीत कुमार, मोहम्मद युनूस खान, मीना पाल, बीना समुद्रे, शेख अमीन, विनोद डागोर, मीना तिवारी, रजनी गुप्ता, प्रदीप बघेल, शेखर मार्को, मो यूनुस, संजय कुमार और रेशमा मलिक शामिल हैं।



