ऑस्कर 2026 की रेस में भारत की मजबूत दस्तक: नीरज घायवान की ‘होमबाउंड’ ने रचा इतिहास

ऑस्कर 2026 में भारत की फिल्म ‘होमबाउंड’ की धमाकेदार एंट्री- भारतीय सिनेमा के लिए गर्व का पल है जब नीरज घायवान की फिल्म ‘होमबाउंड’ को ऑस्कर 2026 की बेस्ट इंटरनेशनल फीचर फिल्म की शॉर्टलिस्ट में जगह मिली है। इस फिल्म को धर्मा प्रोडक्शंस के बैनर तले बनाया गया है और इसमें ईशान खट्टर, विशाल जेठवा और जाह्नवी कपूर मुख्य भूमिका में हैं। 86 देशों की फिल्मों में से सिर्फ 15 को चुना गया है, जिसमें ‘होमबाउंड’ का नाम शामिल होना भारतीय सिनेमा की वैश्विक पहचान को दर्शाता है।
ऑस्कर की शॉर्टलिस्ट में ‘होमबाउंड’ की खास जगह- ऑस्कर की इस प्रतिष्ठित शॉर्टलिस्ट में ‘होमबाउंड’ का चयन होना बड़ी उपलब्धि है। इस कैटेगरी में अर्जेंटीना, ब्राजील, फ्रांस, जर्मनी, जापान, दक्षिण कोरिया, पैलेस्टाइन और स्पेन जैसी कई देशों की बेहतरीन फिल्में भी शामिल हैं। इन फिल्मों के बीच ‘होमबाउंड’ का टिके रहना दर्शाता है कि भारतीय कहानियां अब अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी गहराई से सराही जा रही हैं। यह फिल्म भारतीय सिनेमा की कहानी कहने की ताकत और विविधता को बखूबी पेश करती है।
‘होमबाउंड’ की कहानी: दोस्ती, सपने और संघर्ष- फिल्म की कहानी उत्तर भारत के एक छोटे से गांव के दो बचपन के दोस्तों के इर्द-गिर्द घूमती है। दोनों का सपना है कि वे राष्ट्रीय पुलिस परीक्षा पास करें और समाज में अपनी एक अलग पहचान बनाएं। लेकिन जैसे-जैसे वे अपने लक्ष्य के करीब पहुंचते हैं, उन्हें सिस्टम की जटिलताओं, पारिवारिक जिम्मेदारियों और सामाजिक दबावों का सामना करना पड़ता है। यह कहानी दोस्ती, टूटते सपनों और अंदरूनी संघर्ष की भावनात्मक परतों से भरी है, जो दर्शकों को गहराई से सोचने पर मजबूर करती है।
दमदार कलाकार और बेहतरीन प्रोडक्शन- ‘होमबाउंड’ में ईशान खट्टर, विशाल जेठवा और जाह्नवी कपूर ने अपने किरदारों को बेहद सजीव और संवेदनशील तरीके से निभाया है। सहायक कलाकारों में हर्षिका परमार, शालिनी वत्स, पंकज दुबे और चंदन के आनंद ने फिल्म को और मजबूत बनाया है। फिल्म की सिनेमैटोग्राफी, प्रोडक्शन और बैकग्राउंड स्कोर कहानी के माहौल को और प्रभावशाली बनाते हैं। यह फिल्म नेटफ्लिक्स पर भी उपलब्ध है और वहां दर्शकों से अच्छा रिस्पॉन्स मिल रहा है।
सच्ची घटना से प्रेरित, बड़े सवालों को उठाती कहानी- निर्देशक नीरज घायवान ने बताया कि ‘होमबाउंड’ की प्रेरणा उन्हें न्यूयॉर्क टाइम्स में प्रकाशित एक ऑप-एड लेख से मिली, जो एक सच्ची घटना पर आधारित था। यह फिल्म दोस्ती के माध्यम से आज के समाज के बड़े मुद्दों जैसे गांव से शहर की ओर पलायन, पहचान की तलाश, सम्मान की चाह और अस्तित्व के सवालों को सामने लाती है। अब सबकी निगाहें इस बात पर टिकी हैं कि क्या ‘होमबाउंड’ ऑस्कर 2026 में भारत के लिए इतिहास रच पाएगी।
इस तरह ‘होमबाउंड’ न केवल भारतीय सिनेमा की एक नई पहचान बन रही है, बल्कि यह दर्शाती है कि हमारी कहानियां अब दुनिया के बड़े मंच पर भी अपनी जगह बना रही हैं। यह फिल्म हर उस दर्शक के लिए एक जरूरी अनुभव है जो सच्ची, संवेदनशील और प्रभावशाली कहानियों को पसंद करता है।



