बांग्लादेश में शोक से सुलगी सड़कों की आग: युवा नेता हादी की मौत के बाद देशभर में तनाव, सुरक्षा के सख्त इंतज़ाम

बांग्लादेश में हादी का जनाज़ा: सुरक्षा के कड़े इंतजाम और बढ़ती राजनीतिक तनाव-बांग्लादेश के युवा नेता शरीफ उस्मान हादी के जनाज़े की तैयारियां पूरी हो चुकी हैं। शनिवार दोपहर 2 बजे ढाका के राष्ट्रीय संसद भवन के साउथ प्लाज़ा में जनाज़े की नमाज़ अदा की जाएगी। इस दौरान सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए गए हैं और संसद भवन के आसपास ड्रोन उड़ाने पर पूरी तरह रोक लगा दी गई है। सरकार ने लोगों से अपील की है कि वे जनाज़े में भारी सामान या बैग लेकर न आएं ताकि शांति बनी रहे। यह समय शोक मनाने का है, लेकिन साथ ही अनुशासन बनाए रखना भी जरूरी है ताकि हालात और खराब न हों।
परिवार की इच्छा: काज़ी नजरुल इस्लाम के पास होगा अंतिम संस्कार-हादी के परिवार ने अपनी इच्छा जताई है कि उन्हें राष्ट्रीय कवि काज़ी नजरुल इस्लाम की कब्र के पास दफनाया जाए। जनाज़े की नमाज़ ज़ुहर के बाद मणिक मिया एवेन्यू में होगी। परिवार ने साफ किया है कि शव को सार्वजनिक दर्शन के लिए नहीं रखा जाएगा। समर्थकों से भी अपील की गई है कि वे सड़कों पर न उतरें बल्कि अपने घरों में रहकर दुआ करें और किसी भी तरह की अव्यवस्था से बचें। परिवार चाहता है कि हादी को शांति और सम्मान के साथ विदा दिया जाए।
सिंगापुर से ढाका पहुंचा पार्थिव शरीर, हर कदम पर कड़ी सुरक्षा-शुक्रवार शाम करीब 6 बजे हादी का पार्थिव शरीर सिंगापुर से ढाका के हज़रत शाहजलाल अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे पर पहुंचा। उनकी मौत की खबर पहले ही देश में गुस्से और शोक की लहर फैला चुकी थी। एयरपोर्ट से लेकर शहर तक भारी सुरक्षा व्यवस्था की गई। सेना, बॉर्डर गार्ड और पुलिस के जवान हर जगह तैनात थे। लोग सड़कों पर कतारों में खड़े होकर अपने नेता को अंतिम विदाई देने आए, जिससे माहौल और भी भावुक हो गया।
हिंसा की आग: सांस्कृतिक संस्थानों और मीडिया पर हमले-हादी की मौत के बाद ढाका और अन्य शहरों में हालात तेजी से बिगड़े। कथित कट्टरपंथी तत्वों ने राजधानी में वामपंथी सांस्कृतिक संगठन उदीची शिल्पीगोष्ठी के मुख्य दफ्तर को आग के हवाले कर दिया। इसके अलावा ‘प्रथम आलो’ और ‘डेली स्टार’ जैसे बड़े अखबारों के दफ्तरों पर भी हमला हुआ। बंगबंधु मेमोरियल म्यूज़ियम में तोड़फोड़ की गई, जबकि राजशाही में अवामी लीग के दफ्तर को गिरा दिया गया। इन घटनाओं ने अभिव्यक्ति की आज़ादी और लोकतंत्र पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं।
अंतरिम सरकार की अपील और यूनुस का सख्त संदेश-बिगड़ते हालात के बीच अंतरिम सरकार के मुख्य सलाहकार मोहम्मद यूनुस ने राष्ट्र के नाम संबोधन में कहा कि हादी की हत्या के दोषियों को जल्द सजा दी जाएगी। उन्होंने जनता से धैर्य और संयम बनाए रखने की अपील की। सरकार ने एक दिन के राष्ट्रीय शोक का ऐलान किया और साफ किया कि भीड़ की हिंसा और कानून हाथ में लेने की किसी को अनुमति नहीं दी जाएगी। यह संदेश देश में शांति बनाए रखने के लिए बेहद जरूरी था।
भारत से जुड़े आरोप और चटगांव में राजनयिक तनाव-हिंसा का असर भारत-बांग्लादेश संबंधों पर भी पड़ा। चटगांव में भारतीय सहायक उच्चायोग के आवास पर पत्थरबाज़ी हुई, हालांकि कोई बड़ा नुकसान नहीं हुआ। प्रदर्शनकारियों ने भारत विरोधी नारे लगाए और आरोप लगाया कि हादी के हमलावर भारत भाग गए हैं। नेशनल सिटिजन पार्टी के नेताओं ने भारतीय उच्चायोग को बंद करने की मांग भी की। पुलिस ने आंसू गैस और लाठीचार्ज कर स्थिति को काबू में किया और 12 लोगों को हिरासत में लिया।
देश के अन्य हिस्सों में भी हिंसा, लिंचिंग से दहशत-हिंसा केवल ढाका तक सीमित नहीं रही। मयमनसिंह शहर में कथित ईशनिंदा के आरोप में एक हिंदू युवक की पीट-पीटकर हत्या कर दी गई और शव को जला दिया गया। इस घटना ने पूरे देश को झकझोर दिया। अंतरिम सरकार ने इस बर्बर हत्या की कड़ी निंदा की और कहा कि नए बांग्लादेश में ऐसी हिंसा के लिए कोई जगह नहीं है। दोषियों को सख्त सजा दी जाएगी, यह सुनिश्चित किया जाएगा।
राजनीतिक साज़िश के आरोप और अंतरराष्ट्रीय चेतावनी-बीएनपी नेता मिर्ज़ा फखरुल इस्लाम आलमगीर ने कहा कि हादी की हत्या के बाद हुई हिंसा एक बड़ी साज़िश है, जिसका मकसद देश को अस्थिर करना और कट्टरपंथ को बढ़ावा देना है। अमेरिका और ब्रिटेन ने भी अपने नागरिकों को बड़े जमावड़ों से दूर रहने और संवेदनशील इलाकों की यात्रा से बचने की सलाह दी है। यह सब दर्शाता है कि बांग्लादेश इस वक्त एक नाज़ुक दौर से गुजर रहा है, जहां शांति बनाए रखना सबसे बड़ी चुनौती है।
इस तरह, हादी के जनाज़े और उसके बाद की घटनाओं ने बांग्लादेश में राजनीतिक और सामाजिक तनाव को बढ़ा दिया है। सरकार की सुरक्षा व्यवस्था और शांति बनाए रखने की कोशिशें जारी हैं, लेकिन देश की स्थिरता के लिए सभी पक्षों को संयम और समझदारी से काम लेना होगा।



