जिला अस्पताल में बड़ी लापरवाही: मासूमों की ज़िंदगी से खिलवाड़, एचआईवी संक्रमित ब्लड चढ़ाने पर सियासी घमासान

जिला अस्पताल में थैलेसीमिया बच्चों को एचआईवी संक्रमित खून चढ़ाने का मामला: प्रशासनिक लापरवाही पर सवाल-जिला अस्पताल में थैलेसीमिया से पीड़ित छह बच्चों को एचआईवी संक्रमित खून चढ़ाए जाने का मामला अब सिर्फ एक स्वास्थ्य गलती नहीं रह गया है। यह प्रशासन की बड़ी लापरवाही और सिस्टम की संवेदनहीनता का उदाहरण बन चुका है। जैसे-जैसे मामले की तहें खुल रही हैं, राजनीतिक बयानबाज़ी भी तेज हो रही है। दोषियों पर कार्रवाई और पीड़ितों को न्याय दिलाने की मांग जोर पकड़ रही है।
विधायक सिद्धार्थ कुशवाहा ने खुले मंच से उठाया मुद्दा-सतना विधानसभा के कांग्रेस विधायक और जिला कांग्रेस अध्यक्ष सिद्धार्थ कुशवाहा ने विंध्य व्यापार मेले के मंच से इस गंभीर मामले को उठाया। उन्होंने कहा कि यह मंच शायद इस मुद्दे के लिए सही नहीं, लेकिन मामला इतना संवेदनशील है कि चुप रहना मुमकिन नहीं। उन्होंने जोर देकर कहा कि जिन मासूम बच्चों के साथ यह लापरवाही हुई है, उनके लिए न्याय जरूरी है और सरकार को कड़े कदम उठाने होंगे।
सिविल सर्जन के प्रमोशन पर उठे सवाल-विधायक कुशवाहा ने सिर्फ घटना की निंदा नहीं की, बल्कि सिविल सर्जन के प्रमोशन पर भी सवाल खड़े किए। उनका कहना था कि जब इतनी बड़ी लापरवाही सामने आई है, तो जिम्मेदार अधिकारियों को पदोन्नति देना समझ से परे है। उन्होंने कहा कि ऐसे मामलों में इनाम नहीं, बल्कि जवाबदेही तय होनी चाहिए ताकि भविष्य में कोई और परिवार इस दर्द से न गुजरे।
स्वास्थ्य मंत्री ने घटना को बताया दुर्भाग्यपूर्ण-सतना दौरे पर आए डिप्टी सीएम और स्वास्थ्य मंत्री राजेंद्र शुक्ला ने मीडिया से बातचीत में इस घटना को बेहद दुर्भाग्यपूर्ण और दिल दहला देने वाला बताया। उन्होंने कहा कि छह मासूम बच्चों का एचआईवी संक्रमित होना किसी भी हालत में स्वीकार्य नहीं है। मंत्री ने भरोसा दिलाया कि लापरवाही करने वालों को बख्शा नहीं जाएगा और सख्त कार्रवाई की जाएगी।
पीड़ित बच्चों को हर संभव मदद का आश्वासन-स्वास्थ्य मंत्री ने कहा कि राज्य सरकार प्रभावित बच्चों और उनके परिवारों के साथ पूरी तरह खड़ी है। इलाज से लेकर भविष्य की चिंता तक हर स्तर पर मदद की जाएगी ताकि परिवारों को कोई परेशानी न हो। सरकार ने भरोसा दिया है कि बच्चों की सेहत और सुरक्षा को सर्वोच्च प्राथमिकता दी जाएगी।
स्वास्थ्य व्यवस्था पर उठे गंभीर सवाल-इस पूरे मामले ने जिले की स्वास्थ्य व्यवस्था पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। प्रशासनिक जांच और राजनीतिक दबाव के बीच यह मामला अब बड़ी चुनौती बन चुका है। आम लोगों के मन में सवाल है कि जब जिला अस्पताल में ऐसी चूक हो सकती है, तो मरीजों की सुरक्षा कितनी पुख्ता है। अब सबकी नजरें इस बात पर टिकी हैं कि कार्रवाई कितनी तेज और प्रभावी होगी।



