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Year Ender 2025 Politics: सत्ता, सियासत और सवालों के बीच बीता भारत का सियासी साल

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2025: जब राजनीति ने हर मोर्चे पर मचाई हलचल-“चुनाव जनता का होता है और फैसला भी जनता का ही होता है”—अब्राहम लिंकन की यह बात 2025 की भारतीय राजनीति पर बिल्कुल सही बैठती है। भले ही इस साल सिर्फ दो विधानसभा चुनाव हुए, लेकिन राजनीति ने पूरे साल देश की सुर्खियां बटोरीं। सत्ता और विपक्ष के बीच टकराव, चुनाव आयोग की भूमिका, अदालतों की दखलअंदाजी और सड़क से संसद तक गूंजती बहसों ने यह साबित कर दिया कि 2025 पूरी तरह से एक सियासी साल था।

दिल्ली से बिहार तक BJP का भगवा अभियान- 2025 की शुरुआत BJP के लिए खुशियों भरी रही। 27 साल बाद पार्टी ने दिल्ली में सत्ता पर कब्जा जमाया और आम आदमी पार्टी को करारी हार दी। AAP सिर्फ 22 सीटों पर सिमट गई, जबकि BJP ने 48 सीटें जीतकर स्पष्ट बहुमत हासिल किया। इसके बाद बिहार में NDA की जीत ने विपक्ष को और कमजोर कर दिया। नीतीश कुमार ने दसवीं बार मुख्यमंत्री पद संभालकर अपनी राजनीतिक पकड़ मजबूत की।

राहुल गांधी के आरोप और ‘वोट चोरी’ की गूंज-2025 में लोकतंत्र की सबसे बड़ी चर्चा राहुल गांधी के चुनाव आयोग पर लगाए गए आरोपों की रही। उन्होंने वोटर लिस्ट में हेरफेर का दावा करते हुए हरियाणा के राय विधानसभा क्षेत्र का उदाहरण दिया। उनकी बातों ने देश-विदेश में हलचल मचा दी। इसी बीच SIR की शुरुआत ने विपक्ष को नया मुद्दा दिया, जिसे उन्होंने छुपा हुआ NRC बताया और सरकार पर निशाना साधा।

कर्नाटक में कुर्सी की राजनीति और ब्रेकफास्ट मीटिंग-कर्नाटक में पूरा साल नेतृत्व परिवर्तन की चर्चाओं में बीता। मुख्यमंत्री सिद्धारमैया और डिप्टी सीएम डीके शिवकुमार के बीच खींचतान ने कांग्रेस की मुश्किलें बढ़ाईं। हालांकि दिल्ली में हुई दो ‘ब्रेकफास्ट मीटिंग’ ने फिलहाल सरकार को राहत दी। BJP ने इस अस्थिरता को मुद्दा बनाकर सरकार पर हमला बोला और कहा कि इससे राज्य का विकास प्रभावित हो रहा है।

आतंकवाद पर कड़ा जवाब और सीमा पर बढ़ता तनाव-सुरक्षा के लिहाज से 2025 चुनौतीपूर्ण रहा। अप्रैल में पहलगाम आतंकी हमले में 26 लोगों की मौत के बाद भारत ने ऑपरेशन सिंदूर के तहत पाकिस्तान और PoK में आतंकी ठिकानों पर कार्रवाई की। इसके बाद सीमा पर तनाव बढ़ा, जो मई में सीजफायर के बाद थमा। लेकिन अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के बयान ने इस मुद्दे को फिर से सियासी बहस में ला दिया।

संसद में कानून, टकराव और उपराष्ट्रपति का इस्तीफा-2025 में संसद भी लगातार चर्चा में रही। वक्फ संशोधन कानून और VB-G RAM G कानून पर सरकार और विपक्ष आमने-सामने दिखे। सरकार ने इन्हें सुधार और पारदर्शिता से जोड़ा, जबकि विपक्ष ने अधिकारों पर हमला बताया। इसी साल जुलाई में उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ के अचानक इस्तीफे ने सबको चौंका दिया। सितंबर में सीपी राधाकृष्णन ने नए उपराष्ट्रपति के रूप में शपथ ली।

तमिलनाडु में राज्यपाल और सरकार की जंग-तमिलनाडु में मुख्यमंत्री एमके स्टालिन और राज्यपाल आरएन रवि के बीच टकराव पूरे साल जारी रहा। सुप्रीम कोर्ट के फैसलों और ‘डीम्ड असेंट’ जैसे मुद्दों ने संवैधानिक सीमाओं पर नई बहस छेड़ दी। राज्य सरकार और राजभवन के बीच खींचतान ने सवाल उठाए कि संघीय ढांचे में संतुलन कैसे कायम रखा जाए।

2026 की ओर भारत: बड़े सवाल और उम्मीदें-
अब नजरें 2026 पर टिकी हैं, जब पश्चिम बंगाल, केरल, तमिलनाडु, असम और पुडुचेरी में चुनाव होने हैं। SIR को लेकर विवाद अभी खत्म नहीं हुआ है। सबसे बड़ा सवाल यह है कि क्या विपक्ष 2025 के झटकों से उबर पाएगा या BJP अपनी पकड़ और मजबूत करेगी। लेकिन इन सबके बीच लोकतांत्रिक संस्थाओं पर भरोसा और संघीय संतुलन 2025 की सबसे बड़ी सीख बनकर सामने आया।

 

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