अमेरिका के नए टैक्स की धमकी पर भड़का चीन, कहा- अब आर-पार की लड़ाई

चीन ने कहा – अमेरिका से आख़िरी दम तक लड़ेंगे, अपने हितों की रक्षा के लिए उठाएंगे कदम चीन ने मंगलवार को साफ़ कह दिया कि वो अमेरिका से “आख़िरी दम तक लड़ाई” करेगा और अपने हितों की हिफ़ाज़त के लिए ज़रूरी जवाबी कार्रवाई भी करेगा। ये बयान तब आया जब अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने चीन से आने वाले सामान पर 50% और टैक्स लगाने की धमकी दी। चीन के वाणिज्य मंत्रालय ने कहा कि अमेरिका द्वारा लगाए गए “कथित जवाबी टैक्स” पूरी तरह बेबुनियाद हैं और ये एकतरफा दबाव डालने की कोशिश है, जो बिल्कुल ग़लत है। चीन ने पहले भी जवाबी टैक्स लगाए हैं और मंत्रालय ने अपने ताज़ा बयान में इशारा किया कि आगे और भी सख्त कदम उठाए जा सकते हैं। मंत्रालय ने कहा, “चीन जो जवाबी कदम उठा रहा है, उसका मकसद है अपनी संप्रभुता, सुरक्षा और विकास से जुड़े हितों की रक्षा करना और अंतरराष्ट्रीय व्यापार व्यवस्था को सामान्य बनाए रखना। ये कदम पूरी तरह जायज़ हैं। अमेरिका का ये नया टैक्स लगाने का इरादा एक के बाद एक ग़लती है और इससे फिर साबित होता है कि वो दबाव बनाकर अपनी बात मनवाना चाहता है। चीन इसे कभी नहीं मानेगा। अगर अमेरिका अपनी ज़िद पर अड़ा रहा, तो चीन भी आख़िरी दम तक लड़ेगा।” सोमवार को ट्रंप की तरफ़ से दी गई नई टैक्स की धमकी ने चिंता बढ़ा दी कि उनके ग्लोबल इकॉनमी को संतुलित करने की कोशिशें अब एक बड़ी और नुकसानदायक ट्रेड वॉर का रूप ले सकती हैं। टोक्यो से लेकर न्यूयॉर्क तक शेयर बाज़ारों में इस वजह से गिरावट देखी जा रही है। ट्रंप की ये धमकी तब आई जब चीन ने कहा कि वो अमेरिका के पिछले हफ्ते लगाए गए टैक्स का जवाब देगा।
ट्रंप ने अपने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘ट्रुथ सोशल’ पर लिखा, “अगर चीन ने अपनी लंबे वक्त से चल रही व्यापारिक मनमानी पर 34% की बढ़ोतरी को कल यानी 8 अप्रैल तक वापस नहीं लिया, तो अमेरिका 9 अप्रैल से चीन पर 50% और टैक्स लगाएगा। इसके अलावा चीन के साथ किसी भी तरह की बातचीत भी खत्म कर दी जाएगी!” अगर ट्रंप अपने नए टैक्स लागू करते हैं, तो चीन से आने वाले सामान पर कुल मिलाकर 104% टैक्स लग जाएगा। ये नए टैक्स पहले से तय 20% टैक्स (जो फेंटानिल ड्रग तस्करी की सज़ा के तौर पर लगाया गया था) और 34% के पिछले टैक्स के अलावा होंगे। इससे अमेरिका में चीज़ों की कीमतें और ज़्यादा बढ़ सकती हैं और चीन सस्ते माल को दूसरे देशों में बेचकर यूरोप जैसे बड़े बाज़ारों से गहरे रिश्ते बना सकता है। ट्रंप अपने पहले कार्यकाल में शेयर बाज़ार की तरक्की की खूब तारीफ करते थे, और ये उम्मीद की जा रही थी कि दूसरे कार्यकाल में शेयर बाज़ार में गिरावट उन्हें जोखिम भरे फैसले लेने से रोकेगी। लेकिन अब ऐसा नहीं लग रहा, क्योंकि ट्रंप का कहना है कि कुछ दिनों का आर्थिक नुकसान उन्हें मंज़ूर है। उन्होंने कहा, “मुझे इसमें कोई दिक्कत नहीं क्योंकि मैं अंत में एक खूबसूरत तस्वीर देखता हूँ।”
ट्रंप के अधिकारी टीवी पर बार-बार आकर उनकी नीतियों का बचाव करते रहे हैं, लेकिन इससे बाज़ार को कोई राहत नहीं मिली। एक बार शेयर बाज़ार में थोड़ी तेजी सिर्फ़ इस अफवाह की वजह से आई कि उनके आर्थिक सलाहकार केविन हैसेट ने कहा है कि ट्रंप सभी टैक्स पर रोक लगा सकते हैं — सिवाय चीन के। लेकिन बाद में व्हाइट हाउस ने इसे “फेक न्यूज़” बता कर खारिज कर दिया। चीन अमेरिका का एक अहम व्यापारिक साथी है, खासकर कंज्यूमर प्रोडक्ट्स के मामले में। और ये टैक्स, जो कि असल में अमेरिकी कंपनियों द्वारा चुकाए जाते हैं, आख़िरकार ग्राहकों पर ही बोझ बनते हैं। फेडरल रिजर्व के चेयरमैन जेरोम पॉवेल ने शुक्रवार को चेतावनी दी कि इन टैक्स से महंगाई बढ़ सकती है। उन्होंने कहा, “हम भी बाकियों की तरह देख और समझ रहे हैं कि आगे क्या कदम उठाना है।” यूरोपीय आयोग की अध्यक्ष उर्सुला वॉन डेर लेयेन ने कहा कि अब यूरोपीय संघ अमेरिका के बजाय बाकी देशों से व्यापार बढ़ाने पर ध्यान देगा, क्योंकि वहां भी बड़े मौके हैं। 2024 में अमेरिका और चीन के बीच कुल व्यापार लगभग 582 अरब डॉलर का था, जो इसे अमेरिका का सबसे बड़ा ट्रेड पार्टनर बनाता है। 2024 में चीन के साथ अमेरिका का व्यापार घाटा 263 अरब डॉलर से लेकर 295 अरब डॉलर के बीच रहा।