दक्षिण चीन सागर में फिर टकराव: मछुआरों पर कार्रवाई से बढ़ा चीन-फिलीपींस तनाव

सबीना शोल पर फिर भड़की हिंसा: मछुआरों पर चीन की कार्रवाई से बढ़ा तनाव- दक्षिण चीन सागर में चीन और फिलीपींस के बीच पुराना विवाद एक बार फिर गंभीर हो गया है। 13 दिसंबर 2025 को सबीना शोल के पास चीन कोस्ट गार्ड के जहाजों ने फिलीपींस की मछली पकड़ने वाली नौकाओं पर कार्रवाई की, जिसमें तीन मछुआरे घायल हो गए। यह इलाका फिलीपींस के लिए रोज़ी-रोटी का बड़ा स्रोत है। चीन ने इसे अपने अधिकार क्षेत्र में बताया और नियंत्रण के कदम उठाने का दावा किया। इस घटना ने दिखा दिया कि विवादित समुद्री इलाकों में दोनों देशों के बीच तनाव बढ़ रहा है, जिसका असर आम मछुआरों पर पड़ रहा है।
दक्षिण चीन सागर विवाद की जड़: सबीना शोल पर टकराव की कहानी- सबीना शोल फिलीपींस के पलावन द्वीप से करीब 150 किलोमीटर दूर है और मछली पकड़ने के लिए बेहद महत्वपूर्ण माना जाता है। फिलीपींस का आरोप है कि चीन कोस्ट गार्ड ने आक्रामक रवैया अपनाकर उनके मछुआरों को घायल किया। चीन ने करीब 20 फिलीपीनी नौकाओं पर नियंत्रण के कदम उठाने की बात कही। इससे पहले भी इस क्षेत्र में कई बार झड़पें हो चुकी हैं। यह विवाद अब सिर्फ सीमाओं तक सीमित नहीं रहा, बल्कि क्षेत्रीय स्थिरता के लिए भी खतरा बन गया है, जहां हर नई घटना तनाव को बढ़ावा देती है।
चीन का व्यापक दावा और फिलीपींस का अंतरराष्ट्रीय कानून पर जोर- चीन दक्षिण चीन सागर के बड़े हिस्से पर ‘नाइन-डैश लाइन’ के आधार पर दावा करता है, जबकि फिलीपींस इसे अपने विशेष आर्थिक क्षेत्र का हिस्सा मानता है। अंतरराष्ट्रीय अदालतों ने चीन के दावों को कानूनी मान्यता नहीं दी है, लेकिन चीन अपनी मौजूदगी मजबूत करता जा रहा है। इस वजह से दोनों देशों के बीच भरोसे की कमी बढ़ रही है और विवाद और जटिल होता जा रहा है। फिलीपींस अंतरराष्ट्रीय कानूनों के आधार पर अपने अधिकारों की रक्षा करना चाहता है।
तेल, गैस और रणनीतिक हितों ने बढ़ाई टकराव की आग- दक्षिण चीन सागर में तेल और प्राकृतिक गैस के बड़े भंडार होने की संभावना इस क्षेत्र को और महत्वपूर्ण बनाती है। चीन और फिलीपींस दोनों इस संसाधन पर नियंत्रण चाहते हैं, जिससे विवाद गहरा गया है। साथ ही, सैन्य गतिविधियों और रक्षा सहयोग में वृद्धि ने भी तनाव बढ़ाया है। अमेरिका, जापान और ऑस्ट्रेलिया जैसे देश फिलीपींस का समर्थन करते हैं और इस क्षेत्र में शक्ति संतुलन बनाए रखने की कोशिश कर रहे हैं, जबकि चीन इसे अपने आंतरिक मामले मानता है।
अंतरराष्ट्रीय प्रतिक्रिया और भविष्य की चुनौती- चीन का आक्रामक रवैया नया नहीं है, और फिलीपींस भी इसका खुलकर विरोध कर रहा है। अक्टूबर में स्प्रैटली आइलैंड्स के पास एक घटना में फिलीपींस ने आरोप लगाया था कि चीनी जहाज ने जानबूझकर उनके सरकारी जहाज को टक्कर मारी, जिसे चीन ने खारिज किया। अमेरिका, जापान और ऑस्ट्रेलिया जैसे देश फिलीपींस के पक्ष में खड़े हैं और नौवहन की स्वतंत्रता पर जोर देते हैं। अब देखना होगा कि कूटनीतिक बातचीत से विवाद सुलझता है या यह और बढ़ता है।



