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जम्मू-कश्मीर में पानी की कमी पर अलर्ट, CM बोले – जल प्रबंधन के लिए मिलकर करें प्रयास

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जम्मू-कश्मीर में पानी की किल्लत का खतरा, बारिश की भारी कमी से बढ़ी चिंता

जम्मू-कश्मीर इस साल गंभीर जल संकट की ओर बढ़ रहा है। मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने बुधवार को कहा कि प्रदेश में बारिश की भारी कमी के चलते हालात चिंताजनक हो गए हैं। उन्होंने जल प्रबंधन और संरक्षण के लिए सरकार और आम जनता को मिलकर कदम उठाने की जरूरत बताई। इस बार कश्मीर में सर्दियों में सूखा पड़ा है, और पूरे प्रदेश में 80% कम बारिश हुई है। इससे गर्मियों में सूखे की स्थिति बनने की आशंका है।

“पानी को अब हल्के में नहीं ले सकते” – उमर अब्दुल्ला

मुख्यमंत्री ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर लिखा,
“जम्मू-कश्मीर इस साल पानी की गंभीर समस्या का सामना कर सकता है। यह कोई नई बात नहीं है, बल्कि पिछले कुछ सालों से हालात बिगड़ रहे हैं। जल संरक्षण और प्रबंधन के लिए सरकार को सक्रिय होना पड़ेगा, लेकिन यह सिर्फ सरकार की जिम्मेदारी नहीं है। हम सभी को पानी को हल्के में लेना बंद करना होगा और इसके महत्व को समझना होगा।” उन्होंने यह भी कहा कि वे जल शक्ति (PHE) विभाग द्वारा उठाए जा रहे कदमों की समीक्षा करेंगे और अगले कुछ महीनों में आम जनता से इस समस्या पर चर्चा करेंगे।

कई जलस्रोत सूखने की कगार पर

अधिकारियों के मुताबिक, जम्मू-कश्मीर में कई नदियों और झीलों का जलस्तर बेहद नीचे चला गया है। कुछ जगहों पर तो पानी ज़ीरो-लेवल मार्क से भी नीचे पहुंच गया है। दक्षिण कश्मीर के कई झरने और जल स्रोत पूरी तरह सूख चुके हैं। चाई और बाढ़ नियंत्रण विभाग के एक अधिकारी ने बताया कि झेलम नदी समेत कई अन्य जलधाराओं में पानी का स्तर सामान्य से एक मीटर नीचे चला गया है। उन्होंने चेतावनी दी कि “अगर अगले दो हफ्तों में बारिश या बर्फबारी नहीं हुई, तो पीने के पानी और सिंचाई के लिए गंभीर संकट खड़ा हो सकता है।”

सोशल मीडिया पर सूखे की तस्वीरें वायरल

सोशल मीडिया पर सूखे पड़े जलस्रोतों की तस्वीरें और वीडियो वायरल हो रहे हैं। खासकर अचाबल झरना पूरी तरह सूख चुका है। झेलम नदी के कई हिस्सों में तलहटी दिखाई देने लगी है, खासकर दक्षिण कश्मीर में। उत्तर कश्मीर में भी इसका जलस्तर बेहद चिंताजनक स्थिति में है। यही हाल घाटी की अन्य प्रमुख नदियों और जलस्रोतों का भी है।

बारिश की भारी कमी से बढ़ी परेशानी

आंकड़ों के अनुसार, जम्मू-कश्मीर को 1 जनवरी से 12 फरवरी के बीच सिर्फ 29.8 मिमी बारिश मिली, जबकि सामान्य रूप से इस दौरान 140 मिमी बारिश होती है।

जिलों में बारिश की कमी का हाल

  • कठुआ में सबसे ज्यादा 97% बारिश की कमी
  • जम्मू में 94% बारिश की कमी
  • उधमपुर और सांबा में 92% की कमी
  • श्रीनगर में 82% बारिश की कमी

इसके अलावा, शोपियां, रियासी, रामबन, कुलगाम, डोडा, बडगाम और अनंतनाग में 80% से 89% तक बारिश की कमी दर्ज की गई। पुलवामा, कुपवाड़ा, बांदीपोरा और बारामूला में बारिश की कमी 70% से 79% के बीच रही, जबकि पुंछ, राजौरी, किश्तवाड़ और गांदरबल में यह 60% से 69% के बीच रही।

“सबसे बड़ी चिंता पानी की कमी है” – उमर अब्दुल्ला

इससे पहले भी मुख्यमंत्री अब्दुल्ला ने बारिश की कमी को लेकर चिंता जताई थी। जब उनसे पूछा गया कि क्या केंद्र सरकार की ओर से कोई दबाव है, तो उन्होंने मजाकिया अंदाज में कहा, “दबाव न केंद्र से है, न उपराज्यपाल से, न किसी अधिकारी से… असली दबाव तो इस मौसम का है!” फिर उन्होंने गंभीर लहजे में कहा, “मुझे इस बढ़ती गर्मी की बहुत चिंता है। अगर यही हाल रहा, तो गर्मियों में पानी की भारी किल्लत होगी। यह हमारी सबसे बड़ी समस्या होगी, किसी भी अन्य समस्या से ज्यादा बड़ी।” मुख्यमंत्री ने बताया कि इस मुद्दे को हल करने के लिए उन्होंने संबंधित विभागों के साथ बैठक बुलाई है और उम्मीद जताई कि आने वाले दिनों में बारिश या बर्फबारी होगी। “मैं ऊपरवाले से दुआ करता हूं कि जल्द बारिश या बर्फबारी हो। अभी तो ऐसा लग रहा है जैसे फरवरी में मार्च या अप्रैल का मौसम चल रहा हो। मुझे डर है कि यह गर्मी हमारे लिए बहुत मुश्किलें लेकर आएगी,” उन्होंने कहा।

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