CEC की नियुक्ति को लेकर राहुल गांधी ने साधा निशाना, कहा- आधी रात का फैसला लोकतंत्र के लिए खतरा

राहुल गांधी ने मुख्य चुनाव आयुक्त की नियुक्ति पर जताई आपत्ति, कहा- सरकार ने सुप्रीम कोर्ट के आदेश का किया उल्लंघन लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी ने मंगलवार को मुख्य चुनाव आयुक्त (CEC) की नियुक्ति को लेकर अपना असहमति पत्र सार्वजनिक किया। उन्होंने इसे प्रधानमंत्री और गृह मंत्री द्वारा किया गया एक “असम्मानजनक और अनुचित” फैसला बताया। राहुल गांधी ने कहा कि जब सुप्रीम कोर्ट खुद इस नियुक्ति प्रक्रिया की वैधता पर सुनवाई करने वाला है, तो सरकार का आधी रात को फैसला लेना लोकतांत्रिक मूल्यों के खिलाफ है। उन्होंने कहा कि यह उनकी जिम्मेदारी है कि वे डॉ. भीमराव अंबेडकर के आदर्शों की रक्षा करें, जिन्होंने कार्यपालिका के चुनाव आयोग में हस्तक्षेप करने को लेकर आगाह किया था। उन्होंने यह भी कहा कि वह देश के संस्थापक नेताओं के सिद्धांतों को बनाए रखने और सरकार को जवाबदेह ठहराने के लिए प्रतिबद्ध हैं।
राहुल गांधी ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘X’ पर लिखा, “प्रधानमंत्री और गृह मंत्री द्वारा आधी रात को CEC नियुक्त करने का फैसला न केवल असम्मानजनक है, बल्कि यह लोकतांत्रिक संस्थानों और हमारे संविधान निर्माताओं के प्रति भी अनादर दर्शाता है। जब इस प्रक्रिया की संवैधानिकता पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई होनी है, तब सरकार का जल्दबाजी में यह निर्णय लेना लोकतांत्रिक मूल्यों पर हमला है।” उन्होंने आगे कहा कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश को दरकिनार कर और चयन समिति से भारत के मुख्य न्यायाधीश (CJI) को हटाकर, मोदी सरकार ने लाखों मतदाताओं के बीच चुनावी प्रक्रिया की निष्पक्षता को लेकर बनी आशंकाओं को और बढ़ा दिया है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में गठित इस चयन समिति में गृह मंत्री अमित शाह और राहुल गांधी सदस्य थे। राहुल गांधी की आपत्ति के बावजूद समिति ने ज्ञानेश कुमार को मुख्य चुनाव आयुक्त और वरिष्ठ आईएएस अधिकारी विवेक जोशी को चुनाव आयुक्त नियुक्त करने की सिफारिश की, जिसे राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने सोमवार देर रात मंजूरी दे दी। राहुल गांधी ने अपनी दो पन्नों की असहमति पत्र में कहा कि कांग्रेस का स्पष्ट मत था कि जब यह मामला सुप्रीम कोर्ट में विचाराधीन है (और 19 फरवरी को सुनवाई होनी है), तो समिति को अपनी बैठक (जो 17 फरवरी को बुलाई गई थी) को स्थगित करना चाहिए था। उन्होंने लिखा, “यह देश की संस्थाओं और हमारे संविधान निर्माताओं का अपमान है कि प्रधानमंत्री के नेतृत्व वाली तीन सदस्यीय समिति, जब खुद सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी जा रही है, तब भी इस प्रक्रिया को आगे बढ़ा रही है।”
राहुल गांधी ने इस पूरी प्रक्रिया को चुनाव आयोग की स्वतंत्रता और निष्पक्षता पर सीधा हमला बताया। उन्होंने सुप्रीम कोर्ट के 2 मार्च 2023 के फैसले का हवाला दिया, जिसमें कहा गया था कि CEC और चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति के लिए प्रधानमंत्री, भारत के मुख्य न्यायाधीश और नेता प्रतिपक्ष की एक समिति बनाई जानी चाहिए। उन्होंने कहा कि यह फैसला देश के लाखों मतदाताओं की चुनाव प्रक्रिया पर भरोसे की चिंता को दर्शाता है। लेकिन सरकार ने इसके बावजूद एक नया कानून लागू कर दिया, जिसमें मुख्य न्यायाधीश को हटाकर प्रधानमंत्री द्वारा चुने गए एक केंद्रीय मंत्री को शामिल कर दिया गया। राहुल गांधी ने अपनी आपत्ति में लिखा, “यह सुप्रीम कोर्ट के आदेश की भावना और उसकी मूल भावना का घोर उल्लंघन है।” उन्होंने समिति को स्पष्ट किया कि यह मामला 48 घंटों के भीतर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के लिए आने वाला है और समिति को इस पर फैसला लेने से पहले अदालत के निर्णय की प्रतीक्षा करनी चाहिए थी।