केरल में कांग्रेस की मुश्किलें: नायर समाज और पार्टी के भीतर बढ़ती खींचतान

नायर समाज: कांग्रेस से CPI(M) की ओर?-केरल में नायर समाज सेवा (NSS) के महासचिव जी. सुकरमण नायर का CPI(M) सरकार के प्रति खुला समर्थन अब चर्चा का विषय बन गया है। पारंपरिक रूप से कांग्रेस का समर्थन करने वाले इस समाज का रुख बदलना कांग्रेस के लिए चिंता का कारण बन गया है। आइए, इस पूरे घटनाक्रम को विस्तार से समझते हैं:
NSS का CPI(M) की ओर झुकाव-नायर समाज सेवा (NSS) के महासचिव जी. सुकरमण नायर का CPI(M) सरकार के प्रति बढ़ता समर्थन कांग्रेस के लिए एक बड़ी चुनौती बन गया है। NSS, जो पहले कांग्रेस का वफादार समर्थक था, अब सरकार के साथ खड़ा दिख रहा है। यह बदलाव कांग्रेस पार्टी के भीतर हलचल मचा रहा है, क्योंकि यह उनके पारंपरिक वोट बैंक में सेंध लगा रहा है।
कांग्रेस नेताओं की सुलह की कोशिश- कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं ने NSS के साथ संबंधों को सुधारने की कोशिश की। पी.जे. कुरियन और तिरुवनचूर राधाकृष्णन ने सुकरमण नायर से मुलाकात की, लेकिन नायर ने अपनी नाराजगी साफ जाहिर की। यह घटनाक्रम विपक्ष के नेता वी.डी. सतीसन के लिए भी मुश्किलें खड़ी कर रहा है, क्योंकि उन्हें अब NSS को मनाने की चुनौती का सामना करना पड़ रहा है।
सतीसन और नायर के बीच विवाद-कांग्रेस नेता वी.डी. सतीसन के एक बयान ने NSS महासचिव को नाराज कर दिया। सतीसन ने कहा था कि वह किसी भी समुदाय से समर्थन मांगने नहीं जाएंगे, जिससे नायर समुदाय को लगा कि उन्हें नजरअंदाज किया जा रहा है। इस बयान के बाद, दोनों के बीच रिश्ते और खराब हो गए, जिसके परिणामस्वरूप NSS का झुकाव CPI(M) की ओर बढ़ गया।
कांग्रेस के भीतर मतभेद-इस पूरे मामले पर कांग्रेस के भीतर भी मतभेद हैं। कुछ नेता मानते हैं कि सुकरमण नायर के साथ मध्यस्थता करने की कोई आवश्यकता नहीं है, क्योंकि उनकी CPI(M) के प्रति निकटता नायर समुदाय के भीतर भी विरोध पैदा कर रही है। इस वजह से, कांग्रेस के लिए यह स्थिति और भी जटिल हो गई है।
शशि थरूर की वापसी से राहत-कांग्रेस के लिए राहत की बात यह रही कि सांसद शशि थरूर ने पार्टी के एक कार्यक्रम में हिस्सा लिया। थरूर की उपस्थिति से पार्टी नेताओं को उम्मीद है कि आंतरिक मतभेदों के बावजूद एकजुटता बनी रह सकती है। थरूर की वापसी से पार्टी कार्यकर्ताओं में उत्साह का संचार हुआ है।
थरूर और नेतृत्व के बीच खटास-शशि थरूर और कांग्रेस नेतृत्व के बीच कई मुद्दों पर मतभेद रहे हैं। थरूर ने CPI(M) सरकार की नीतियों की सराहना की और केंद्र की कुछ नीतियों का समर्थन किया, जिससे पार्टी में असहज स्थिति पैदा हुई। हालांकि, उनकी मौजूदगी पार्टी के लिए महत्वपूर्ण बनी हुई है, क्योंकि वह पार्टी को एकजुट रखने में मदद कर सकते हैं।



